दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ में कोरोना (corona in chhattisgarh) के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं. प्रदेश में करीब 2 महीने रहे लॉकडाउन के बाद जनजीवन अब पटरी पर लौट रहा है. प्रशासन ने तमाम गतिविधियों में छूट के साथ ही बाजार भी खोल दिए हैं, लेकिन दंतेवाड़ा जिले में ऑटो चालक (auto driver) अब भी परेशान हैं. कोरोना संक्रमण के चलते लोग ऑटो की सवारी करने से बच रहे हैं. लिहाजा वे आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं.
अनलॉक में भी ऑटो चालक परेशान
जिला प्रशासन ने कोरोना के कम मामलों के बाद बाजार खोलने की अनुमति दे दी है, लेकिन ऑटो चालकों की समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है. एक तरफ जहां लॉकडाउन से करीब 2 महीने ऑटो के पहिए थमे रहे. वहीं अब सवारी न मिलने उन्हें घर चलाना मुश्किल हो गया है. इन सब में बची-कुसी कसर पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों ने निकाल दी है.
दुर्ग में ऑटो चालकों पर पड़ रही है दोहरी मार, जीना हुआ मुश्किल
कोरोना ने आटो चालकों की तोड़ी कमर
ऑटो चालकों को स्टेशन, बस स्टैंड, स्कूल-कॉलेजों से ज्यादा सवारी मिला करती थी, फिलहाल ट्रेनों का संचालन सीमित है. वहीं बस से भी ज्यादा लोग सफर नहीं कर रहे हैं. इधर स्कूल-कॉलेज बंद होने से उनकी आजीविका पर बड़ा असर पड़ा है. ऑटो चालकों ने बताया कि दिन भर में राशन-सब्जी के लिए भी खर्चा निकल जाए वो भी बहुत है. सुबह आकर नंबर में ऑटो को खड़ा करना पड़ता है. नंबर आने पर ही सवारी मिलती है, यदि जिस दिन नंबर नहीं आया तो खाली जेब ही घर लौटना पड़ता है.
पिछले डेढ़ साल से आर्थिक स्थिति की खराब
ऑटो चालक हरिराम ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से यही स्थिति है. बीच में हालात सुधरे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने बचा-कुचा भी बर्बाद कर दिया. घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई है. अब जाकर मार्केट को खोल दिया गया, लेकिन सवारी नहीं है मिलने से घर चलाना मुश्किल हो गया है. बच्चों की फीस, ऑटो की किस्त तक नहीं भर पा रहे हैं.