दंतेवाड़ा : अरनपुर नक्सली हमले में 10 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. ये सभी जवान डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यानी डीआरजी यूनिट के थे.नक्सली हमले में डीआरजी जवानों को लेकर जा रहे ड्राइवर की भी मौत हो गई थी.लेकिन इस हमले के बाद अब पुलिस ग्रामीणों को निशाना बना रही है. ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस की टीम नक्सलियों की मदद करने का आरोप लगाकर गांवों के नवयुवकों को गिरफ्तार कर रही है. ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन की टीम पर आरोप लगाया है कि, "गांव में हमले के बाद से ही लोग डरे हुए हैं.पुलिस की टीमें आकर लोगों को अपने साथ लेकर जा रही है."
क्या है ग्रामीणों का आरोप : अरनपुर के ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि ''अरनपुर नक्सली हमले के बाद से गांव में पुलिस की टीमें दौरा कर रही हैं. 3 मई को पुलिस की टीम ने गांव का दौरा किया.इस दौरान गांव के लोगों से पूछताछ की.पूछताछ के बाद अलग-अलग घरों से सात ग्रामीणों को अपने साथ लेकर चले गए.पुलिस ने जिन लोगों को हिरासत में लेकर रखा है.उनमें से कुछ ग्रामीण नाबालिग हैं. जिसके कारण ग्रामीणों में काफी गुस्सा है.पुलिस की कार्रवाई से परेशान होकर ग्रामीणों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की है.लेकिन ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है.''
कब हुआ था हमला : आपको बता दें कि नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट करके दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में अरनपुर-समेली के हमला किया था. जवान हार्डकोर और 8 लाख के इनामी नक्सली कमांडर जगदीश की सूचना पर निकले थे. बुधवार 26 अप्रैल को सुबह करीब 7 बजे समेली में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ के बाद दो नक्सलियों को लेकर टीम वापस लौट रही थी.तभी रास्ते में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट करके डीआरजी जवानों को नुकसान पहुंचाया.
ये भी पढ़ें- नक्सलियों के खिलाफ पुलिस ने बनाई नई रणनीति
क्या है पुलिस का बयान: अरनपुर मामले में गिरफ्तारियों को लेकर एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि '' सात संदिग्ध लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. जिसमें तीन नाबालिग भी हैं. जिन से पुलिस पूछताछ कर रही है. पूछताछ के बाद इस मामले में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है. फिलहाल यह सब आरोपी न्यायिक रिमांड में भेजे गए हैं.'' इधर नक्सलियों ने अरनपुर ब्लास्ट के बाद प्रेस नोट जारी करके पुलिस की गिरफ्तारियों को झूठा बताया है.प्रेस नोट की माने तो पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है वो बेकसूर आदिवासी हैं. इतना ही नहीं पत्र में उल्लेख किया है कि पुलिस ग्रामीणों को गिरफ्तार कर रही और उनके घरों में रखे पैसे को भी लूट रही है.