ETV Bharat / state

ज्यादा सुविधाओं के कारण पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पा रहे बच्चे!

कोचिंग सेंटर से लेकर हाईटेक स्कूलों तक की सुविधा होने के बाद भी बड़े शहरों से छात्र-छात्राएं मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.

डॉक्टर नितिन मलिक
author img

By

Published : May 11, 2019, 10:09 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से 10वीं और 12वीं के नतीजे जारी होने के बाद अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. दरअसल माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से जारी मेरिट लिस्ट में छत्तीसगढ़ के तमाम बड़े शहरों में पढ़ने वाले छात्रों के नाम सूची से नदारद है. तमाम तरह की सुविधाएं, कोचिंग सेंटर से लेकर हाईटेक स्कूल होने के बाद भी बड़े शहरों से छात्र-छात्राएं इस मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.

डॉक्टर नितिन मलिक

गौर किया जाए तो इस मेरिट लिस्ट में रायगढ़ के ग्रामीण अंचल और मुंगेली लोरमी जैसी जगहों के बच्चों ने टॉप किया है. दसवीं और बारहवीं की सूची में तमाम सुख-सुविधाओं के बाद भी शहरी इलाकों के अपेक्षा ग्रामीण अंचल के बच्चों मेरिट लिस्ट में अपना लोहा मनवाया है. शिक्षाविद और साइकोलॉजिस्ट इसे लेकर ईटीवी भारत से अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं.

साइकोलॉजिस्ट के डॉक्टर नितिन मलिक का मानना है कि शहरी इलाकों के बच्चों में बेसिक जरूरतों की निड कम होने और अन्य तरह की सुख सुविधाएं होने के कारण वे चैलेंजिंग मोड पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाते हैं. इसका बड़ा कारण सोशल मीडिया के अलावा तमाम तरह की दिनचर्या और टेलीविजन भी हो सकता है. इसके अलावा और भी अन्य तरह की सुविधाएं मिलने के बाद भी शहरी इलाकों के बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अन्य तरह की गतिविधियों में जरूरत से ज्यादा लिप्त होने के कारण बेसिक पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं. इसके साथ ही बच्चों पर न केवल टीचर्स और स्कूलों का बल्कि परिवार का ज्यादा दबाव होता है. इसका भी असर परिणाण में देखने को मिलता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से 10वीं और 12वीं के नतीजे जारी होने के बाद अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. दरअसल माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से जारी मेरिट लिस्ट में छत्तीसगढ़ के तमाम बड़े शहरों में पढ़ने वाले छात्रों के नाम सूची से नदारद है. तमाम तरह की सुविधाएं, कोचिंग सेंटर से लेकर हाईटेक स्कूल होने के बाद भी बड़े शहरों से छात्र-छात्राएं इस मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.

डॉक्टर नितिन मलिक

गौर किया जाए तो इस मेरिट लिस्ट में रायगढ़ के ग्रामीण अंचल और मुंगेली लोरमी जैसी जगहों के बच्चों ने टॉप किया है. दसवीं और बारहवीं की सूची में तमाम सुख-सुविधाओं के बाद भी शहरी इलाकों के अपेक्षा ग्रामीण अंचल के बच्चों मेरिट लिस्ट में अपना लोहा मनवाया है. शिक्षाविद और साइकोलॉजिस्ट इसे लेकर ईटीवी भारत से अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं.

साइकोलॉजिस्ट के डॉक्टर नितिन मलिक का मानना है कि शहरी इलाकों के बच्चों में बेसिक जरूरतों की निड कम होने और अन्य तरह की सुख सुविधाएं होने के कारण वे चैलेंजिंग मोड पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाते हैं. इसका बड़ा कारण सोशल मीडिया के अलावा तमाम तरह की दिनचर्या और टेलीविजन भी हो सकता है. इसके अलावा और भी अन्य तरह की सुविधाएं मिलने के बाद भी शहरी इलाकों के बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अन्य तरह की गतिविधियों में जरूरत से ज्यादा लिप्त होने के कारण बेसिक पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं. इसके साथ ही बच्चों पर न केवल टीचर्स और स्कूलों का बल्कि परिवार का ज्यादा दबाव होता है. इसका भी असर परिणाण में देखने को मिलता है.

Intro:1005 RPR BORD EXAM RESULTS SOCIALIST EFFECT

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से 10वीं और 12वीं के नतीजे जारी होने के बाद अब कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। दरअसल माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से जारी किए गए इस मेरिट लिस्ट में छत्तीसगढ़ के तमाम बड़े शहरों में पढ़ने वाले छात्रों के नाम सूची से नदारद है। तमाम तरह के सुख सुविधाएं मिलने, कोचिंग सेंटर से लेकर हाईटेक स्कूलों तक की सुविधा होने के बाद भी बड़े शहरों से छात्र-छात्राएं इस मेरिट लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं। अगर गौर किया जाए तो इस मेरिट लिस्ट में रायगढ़ के ग्रामीण अंचल और मुंगेली लोरमी जैसी जगहों से बच्चों ने मेरिट लिस्ट में टॉप रैंक हासिल किया है। बात की जाए दसवीं की या फिर हायर सेकेंडरी बारहवीं की दोनों ही सूची में यह बात गौर करने वाली है कि तमाम सुख-सुविधाओं के बाद भी शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण अंचल के बच्चों ने इस मैरिड लिस्ट में अपना लोहा मनवाया है। शिक्षाविद और साइकोलॉजिस्ट इसे लेकर ईटीवी भारत से अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं । साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर नितिन मलिक ने कहा है कि शहरी इलाकों के बच्चों में बेसिक जरूरतों की न्यूड कम होने और अन्य तरह की सुख सुविधाएं होने के कारण वे चैलेंजिंग मोड पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाते हैं। इसका बड़ा कारण सोशल मीडिया के अलावा तमाम तरह की दिनचर्या और टेलीविजन और फिल्म को शामिल करना बड़ा कारण हो सकती है। इसके अलावा और भी अन्य तरह की सुविधाएं मिलने के बाद भी शहरी इलाकों के बच्चे पढ़ाई के साथ साथ अन्य तरह की गतिविधियों में जरूरत से ज्यादा लिप्त होने के चलते बेसिक तरह की पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही बच्चों पर ना केवल टीचर्स और स्कूलों का बल्कि परिवार का ज्यादा दबाव होता है। इसका भी कई तरह का असर परिणामो में देखने को मिलता है।

बाईट- डॉ नितिन मलिक, साइकोलॉजिस्ट

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरBody:NoConclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.