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जिस दवा को पहले अमानक बताया गया, बाद में उसे क्लीन चिट देकर पास भी कर दिया गया

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Published : Jun 5, 2019, 7:40 AM IST

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निशुल्क वितरण के लिए खरीदी गई दवा में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. आरोप है कि आयुर्वेदिक दवा कंपनी और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन, दुर्ग वेयर हॉउस के अधिकारियों ने मिलीभगत कर दवा खरीदी में बड़ा हेराफेरी किया है.

दवाईयां.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निशुल्क वितरण के लिए खरीदी गई दवा में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. आरोप है कि आयुर्वेदिक दवा कंपनी और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन, दुर्ग वेयर हॉउस के अधिकारियों ने मिलीभगत कर दवा खरीदी में बड़ा हेराफेरी किया है.

दवा खरीदी में भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को मामले से संबंधित दस्तावेज सौंपकर संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इधर, इन आरोपों को दुर्ग वेयर हाउस के प्रभारी महिमा दुबे ने निराधार बताते हुए कहा है कि दवा खरीदी में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.

दुर्ग जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में दवा सप्लाई करने के लिए दुर्ग स्थित ड्रग वेयर हाउस में 1 मार्च 2018 को 5 दवाइयों की सप्लाई 2 दवा कंपनियों के द्वारा की गई थी. दवा के वेयर हाउस में पहुचने के कुछ दिन बाद उनमें से कुछ दवाओं में खामियों की शिकायत प्रभारी महिमा दुबे ने अपने उच्च अधिकारियों से की थी.

शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड रायपुर ने उक्त कंपनियों को नोटिस जारी कर जिन दवाओ में खामिया पाई गई थी, उसका पेमेंट रोकने और सही दवा की सप्लाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दवा कंपनी के प्रतिनिधि ने दुर्ग वेयर हॉउस में रखे दवा का प्रभारी के साथ मिलकर जांच किया. जिसपर कुछ दवा डैमेज होने की वजह से खराब होना पाया गया. बावजूद इसके दवा नहीं बदली गई और न ही कंपनी को भुगतान रोका गया.

मामले में दुर्ग ड्रग वेयर हाउस की सहायक प्रबंधक महिमा दुबे और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक वी. रामाराव पर मिली भगत का आरोप लगाया गया है. शिकायतकर्ता ने साफ-साफ आरोप लगाया है कि इन दवाओं को पहले अमानक बताया गया था, बाद में उसे ही क्लीन चिट देकर पास करते हुए 53 लाख रुपये की राशि का भुगतान कर दिया गया.

दुर्ग: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निशुल्क वितरण के लिए खरीदी गई दवा में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. आरोप है कि आयुर्वेदिक दवा कंपनी और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन, दुर्ग वेयर हॉउस के अधिकारियों ने मिलीभगत कर दवा खरीदी में बड़ा हेराफेरी किया है.

दवा खरीदी में भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को मामले से संबंधित दस्तावेज सौंपकर संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इधर, इन आरोपों को दुर्ग वेयर हाउस के प्रभारी महिमा दुबे ने निराधार बताते हुए कहा है कि दवा खरीदी में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है.

दुर्ग जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में दवा सप्लाई करने के लिए दुर्ग स्थित ड्रग वेयर हाउस में 1 मार्च 2018 को 5 दवाइयों की सप्लाई 2 दवा कंपनियों के द्वारा की गई थी. दवा के वेयर हाउस में पहुचने के कुछ दिन बाद उनमें से कुछ दवाओं में खामियों की शिकायत प्रभारी महिमा दुबे ने अपने उच्च अधिकारियों से की थी.

शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड रायपुर ने उक्त कंपनियों को नोटिस जारी कर जिन दवाओ में खामिया पाई गई थी, उसका पेमेंट रोकने और सही दवा की सप्लाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दवा कंपनी के प्रतिनिधि ने दुर्ग वेयर हॉउस में रखे दवा का प्रभारी के साथ मिलकर जांच किया. जिसपर कुछ दवा डैमेज होने की वजह से खराब होना पाया गया. बावजूद इसके दवा नहीं बदली गई और न ही कंपनी को भुगतान रोका गया.

मामले में दुर्ग ड्रग वेयर हाउस की सहायक प्रबंधक महिमा दुबे और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक वी. रामाराव पर मिली भगत का आरोप लगाया गया है. शिकायतकर्ता ने साफ-साफ आरोप लगाया है कि इन दवाओं को पहले अमानक बताया गया था, बाद में उसे ही क्लीन चिट देकर पास करते हुए 53 लाख रुपये की राशि का भुगतान कर दिया गया.

Intro:छग शासन द्वारा निशुक्ल दिए जाने वाली जीवन रक्षक आयुर्वेदिक दवाओं का दवा कंपनी और छत्तीशगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन दुर्ग वेयर हॉउस अधिकारियों के मिलीभगत से बड़े हेराफेरी का आरोप लगा है....इसकी शिकायत प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री,स्वास्थ्य मंत्री,मुख्य सचिव से लिखित तौर पर करते हुए गड़बड़ी संबंधित दस्तावेज भी सौंपकर संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है....गड़बड़ी के आरोप को दुर्ग वेयर हाउस प्रभारी महिमा दुबे ने निराधार करार देते हुए अपना पक्ष रखा हुए बेकसूर बताया है......Body:वीओ _ दुर्ग जिले के आयुर्वेदिक अस्पताल में दवाओं का सप्लाई करने दुर्ग स्थित ड्रग वेयर हाउस में 1 मार्च 2018 को 5 दवाइयों की सप्लाई 2 दवा कंपनियों के द्वारा की गई थी....दवा के वेयर हाउस में पहुचने के कुछ दिन बाद उनमें से कुछ दवाओं में खामियों की शिकायत प्रभारी महिमा दुबे ने अपने उच्च अधिकारी से की थी....शिकायत के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड रायपुर द्वारा उक्त कंपनियों को नोटिस जारी कर जिन दवाओ में खामिया पाई गई उसका वेतन रोकने और सही दवा की सप्लाई करने कहा गया था लेकिन दवा कंपनी के प्रतिनिधि दुर्ग वेयर हॉउस में रखे दवा का प्रभारी के साथ मिलकर जांच किया जिसपर कुछ दवा डेमेज होने की वजह से खराब होना पाया गया जिसकी मात्रा भी रायपुर विभाग को दी गई बावजूद इसके दवा ना ही बदली गई बल्कि उक्त खामियों के बाद भी दोनो ही कंपनियों को दवा सप्लाई की राशि का भुगतान जारी कर दिया गया......पहले डैमेज दवा को बदलने विभाग के द्वारा शख्त निर्देश दिए गए लेकिन बिना बदले ही उक्त कंपनी को राशि का भुगतान किया जाना कही ना कही अधिकारियों की मिली भगत होने का आरोप शिकायतकर्ता ने करते हुए जांच कर दोषी अधिकारियों पर शख्त कार्यवाही करने की बात कही है,, जिनपर आरोप लगे है उनमें दुर्ग ड्रग वेयर हाउस सहायक प्रबंधक महिमा दुबे और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक व्ही रामाराव शामिल है,, दोनो कंपनी जिनमे 5 दवाओं कैथरीना,एशेगान, भूषण ग्राइप,स्पास सिरप की सप्लाई भूषण फार्मास्युटिकल्स प्लिमिटेड दिल्ली और रोमाल्या आइन्टमेन्ट की सप्लाई रोनपाल बायोटेक प्रा लिमिटेड दिल्ली द्वारा की थी,, शिकायतकर्ता ने साफ साफ आरोप लगाया है कि जिन दवाओं को पहले अमानक बताया गया बाद में उसे ही क्लीन चिट देकर पास कर उसके 53 लाख रुपये की राशि जारी कर देना अधिकारियों की मिलीभगत कर हेराफेरी किया गया ....



बाईट-महिमा दुबे,सहायक प्रबंधक, CGMSC, दुर्ग



कोमेन्द्र सोनकर,दुर्ग Conclusion:
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