बिलासपुर: कमर्शियल माइनिंग के फैसले के खिलाफ और जनहित से जुड़े अन्य कई मुद्दों पर मजदूर यूनियनों ने आंदोलन किया है. पांचों यूनियन सामूहिक तौर पर गुरुवार यानी 2 जुलाई से से 4 जुलाई तक राष्ट्रव्यापी हड़ताल कर रहे हैं. बिलासपुर के SECL मुख्यालय गेट के पास श्रमिक संगठनों ने विरोध जताया है.
मजदूर संगठनों की प्रमुख मांग
- कोयला खनन में वाणिज्यिक खनन का निर्णय वापस हो.
- CIL या SECL को कमजोर या निजीकरण करने के दिशा में सभी प्रयासों पर रोक लगे.
- CIL और CMPDIL को अलग करने के फैसले को वापस लिया जाए.
- मजदूरी की बढ़ी हुई दर को लागू किया जाए.
- राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते के विभिन्न खंडों और SECL एपेक्स जेसीसी की बैठकों के दौरान उठाए गए अन्य मुद्दों का कार्यान्वयन हो.
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कोल इंडिया देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी
इस आंदोलन से जुड़े एटक, एचएमएस, इंटक, सीटू और बीएमएस श्रम संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि कोल इंडिया देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन करने वाली कंपनी है. यदि यह निजी मालिकों के हाथों में चली जाएगी तो धीरे-धीरे कोल इंडिया बर्बाद हो जाएगा. कोल मजदूर सर्वाधिक शोषण के शिकार होंगे.
कमर्शियल माइनिंग का फैसला गलत
संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमलोग अपने आंदोलन को तबतक जीवित रखेंगे जबतक सरकार कमर्शियल माइनिंग का अपने फैलसा वापस न ले ले. मजदूर नेताओं ने गुरुवार को हड़ताल के व्यापक असर होने के संकेत दिए हैं.
'देश को विशाल कोयला भंडार बनाना है'
उन्होंने बताया कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला रिजर्व रखकर भी चीन आज सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और उपभोक्ता देश है. विकास की दौड़ में चीन को टक्कर देते हुए उससे आगे निकलने के लिए भी यह बेहद जरूरी है कि हम अपने देश में मौजूद विशाल कोयला भंडार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें.