बिलासपुर: शहर में एक्यूप्रेशर के माध्यम से महिलाएं मरीजों का मुफ्त में इलाज कर रही हैं. Women doing free treatment with acupressure in bilaspur आज के भाग दौड़ भरी दुनिया में इंसान अपने शरीर के विषय में सोचे बिना ही, पैसा कमाने की जद्दोजहद में अपना कीमती समय लगा देता है. वह भूल जाता है कि उसके इस भागदौड़ और मेहनत से उसके शरीर में कितना प्रभाव पड़ रहा है. समय के साथ युवावस्था से वृद्धावस्था की ओर शरीर बढ़ने लगता है, तब शारीरिक तकलीफ होने लगती है. खासकर शरीर के जोड़ और नसों में खिंचाव आने की वजह से शारीरिक दुर्बलता बढ़ती है. इससे व्यक्ति लाचार होकर बिस्तर पकड़ लेता है. Bilaspur news लेकिन एक ऐसी संस्था भी है, जो मुफ्त में लोगों के इन समस्याओं को दूर कर रही है.
एक्यूप्रेशर से कर रहीं लोगों का इलाज: एक्यूप्रेशर के माध्यम से लोगों का इलाज कर रही है. बिलासपुर के रेलवे कॉलोनी स्थित गायत्री मंदिर की महिलाएं एक्यूप्रेशर के लिए महिला सेवा समिति बनाकर लोगों का इलाज मरीजों का निशुल्क इलाज करती हैं. यह महिलाएं पिछले 18 सालों से लोगों के दुख दर्द को दूर कर रही हैं. इसमें थॉयराइड, शुगर, लकवा, साइटिका, साइनस, घुटने के दर्द, कमर दर्द जैसी तकलीफों को एक्यूप्रेशर के माध्यम से दूर किया जाता है. उनका कहना है कि "गुरु राम नारायण तिवारी के इस संकल्प को वह पूरा करने फ्री सर्विस दे रही हैं."
कैसे हुई इस संस्था की शुरुआत: संस्था की सदस्य शोभा खन्ना ने बताया कि "रामलीला मैदान तोरवा में निशुल्क एक्यूप्रेशर उपचार की नींव स्वर्गीय नारायण प्रसाद तिवारी ने रखी थी. लगभग 40 साल पहले शुरू की गई इस सेवा से कई लोग जुड़े. इस सेवा के लिए स्वर्गीय नारायण प्रसाद तिवारी मरीजों का एक्यूप्रेशर के माध्यम से इलाज करते थे. उनके हाथ में जादू था, वह शरीर के उन नसों को जानते थे, जिनसे समस्याएं होती हैं. वे एक्यूप्रेशर के माध्यम से मरीजों का इलाज कर उन्हें ठीक करते थे. उनके जाने के बाद महिलाओं ने खुद ही आपस में मिलकर संस्था तैयार की. अब वे पिछले 18 सालों से एक्यूप्रेशर के माध्यम से मुफ्त चिकित्सा सेवा कर रही हैं, और मरीजों को ठीक कर रही हैं."
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"मरीज बनकर आई, अब चिकित्सक बन कर रही इलाज": संस्था के सदस्य झरना मजूमदार ने बताया कि "जब वो यहां आई थी, तो खुद एक मरीज थी. तब पंडित नारायण प्रसाद तिवारी ने उनसे कहा कि इस हुनर को अपने साथ ले जाना नहीं चाहते, बल्कि इस एक्यूप्रेशर के हुनर का लाभ लोगों को हमेशा मिले, इसके लिए वो उन्हें इस हुनर को देकर जाना चाहते हैं. इस तरह से उन्होंने एक्यूप्रेशर से इलाज कराने आने वाली महिलाओं को इस हुनर को सिखाया."
एक्यूप्रेशर से कई मरीजों को मिली राहत: संस्था की सदस्य आशा झा ने कहा कि "जब वो यहां आई थी, तब चल फिर नहीं सकती थी. उन्हें शरीर में काफी तकलीफ थी, लेकिन धीरे धीरे 6 महीने में वे चलने लगी. तिवारी जी के इलाज ने उनके शरीर को ठीक कर सामान्य रूप से चलना सिखाया." वहीं वे लोगों की भलाई के लिए इसे सीख कर आज खुद चिकित्सक बन लोगों का इलाज कर रही हैं. एक्यूप्रेशर के माध्यम से वे मरीजों के कई बीमारियों को ठीक कर चुकी हैं और मरीज अब अपनी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं."
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"संस्था की सदस्यों के हाथों में है जादू": यहां इलाज कराने वाले नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि "वे यहां जब आए थे, तब उनकी कमर पूरी झुकी हुई थी और तकलीफ बहुत ज्यादा था. लेकिन यहां के इलाज ने उन्हें ठीक तो कर दिया, साथ ही अब वे तंदुरुस्त भी हो गए हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं." उन्होंने संस्था की महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि "इनके हाथों में जादू है. इस जादू ने उन्हें ठीक कर दिया है."
"जब तक यह पद्धति रहेगी, तब तक लोगों को लाभ मिलता रहेगा": इसी तरह विनोबा नगर में रहने वाले उमेश कुमार झा ने बताया कि "वे 75 साल के हैं. जब उन्हें नसों में तकलीफ शुरू हुई, तब यहां आया था. जब मैं यहां आया, तो मेरे दोनों हाथ नहीं उठते थे और बहुत तकलीफ थी. अब मेरे दोनों हाथ ऊपर तक चले जाते हैं. मुझे अब किसी प्रकार की शारीरिक तकलीफ नहीं है. ना ब्लड प्रेशर है, ना शुगर है, ना चलने में तकलीफ होती है. ना ही कभी थायराइड का प्रॉब्लम हुआ. लगातार यहां आते है और अब आगे भी यहां की सेवा लेते रहेंगे." उन्होंने भी महिलाओं की तारीफ करते हुए कहा कि "जब तक यह पद्धति रहेगी, तब तक लोगों को लाभ मिलता रहेगा."