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बीजापुर का पातालतोड़ कुआं: 3 साल से लगातार बह रहा है इस बोरवेल का पानी - भोपालपटनम में भूमिगत जल स्त्रोत

बीजापुर जिले के भोपालपटनम के पास तोडेंम पारा के पास माता के मंदिर में स्थित बोरवेल में पिछले 3 साल से लगातार पानी की धारा बह रही है. ग्रामीणों ने इस जगह को संरक्षित कर पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने की मांग की है.

Pataltod Kuan Bijapur
पातालतोड़ कुआं
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Published : Oct 17, 2020, 4:05 PM IST

बीजापुर: जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर भोपालपटनम-मट्टीमरका मार्ग पर वरदली ग्राम के निकट तोडेंम पारा में एक बोरवेल से विगत तीन वर्षों से लगातार पानी की धारा बह रही है. माता के मंदिर के पास इस बोरवेल में पानी की धारा को देखने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. ग्रामीणों की मानें तो सिर्फ 10 फीट की खुदाई पर ही तीव्र गति से निरंतर पानी बह रह है. गांव के लोग इसे देवी का चमत्कार मान रहे हैं.

लगातार बह रहा है पानी

पढ़ें-इस बार बस्तर दशहरा में शामिल नहीं होंगे मांझी-चालकी

इस प्राकृतिक भूमिगत जल स्त्रोत पाताल तोड़ कुआं की धारा तीन वर्षों से कम नहीं हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि पानी की निरन्तर तीव्र प्रवाह के वजह से बोरवेल की खुदाई ज्यादा नहीं हो सकी. काफी प्रयास के बाद लगभग 40 फीट की खुदाई कर बोरवेल निर्मित किया गया. 3 वर्ष पूर्व खुदे इस बोरवेल में निर्माण के समय से ही पानी दिन-रात तीव्र गति से निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक निरंतर जारी है.

जल संरक्षण की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि यहां सोलर पैनल लगाकर नल-जल की सुविधा दी जाए. इस प्राकृतिक भूमिगत जलस्रोत का पेयजल के उपयोग के साथ ही अन्य कृषि कार्यों में पूरे साल उपयोग किया जा सकता है. माता मन्दिर के दर्शनार्थियों के लिए भी पानी का समुचित उपयोग हो सकेगा. प्रदेश में इस प्राकृतिक भूमिगत जलस्त्रोत को बचाना जरूरी है. इस अमूल्य प्राकृतिक भूमिगत जल स्रोत से निरन्तर निकलकर व्यर्थ बहते हुए पानी का सदुपयोग कर पर्यटन के दृष्टिकोण से संरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए.

साइंस के अनुसार ये भी एक वजह-

पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के कारण इस तरह की घटनाएं होती है. पानी गुरुत्वाकर्षण के विपरित प्रभाव के कारण ऊपर की ओर निरन्तर प्रवाहित हो रहा है. चट्टान और बालू की वजह से छनकर आने की वजह से पानी पूरी तरह से शुद्ध है. इसे प्रवाहित जल भी कहा जाता है जो 24 घंटे निरन्तर बहते रहती है. यह जल का वह भाग है जो पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के कारण जमीन के क्षेत्रों से होता हुआ अंत में नीचे आकर ठोस चट्टानों के ऊपर इकट्ठा हो जाता है. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के प्रभाव के कारण वर्षा का पानी नीचे उतरते-उतरते चट्टानों तक पहुंच जाता है. धीरे-धीरे चट्टान के ऊपर की मिट्टी की परतें पूरी तरह ढक जाती है. इस प्रकार का एकत्र पानी भौम जल परिक्षेत्र की रचना करता है.

बीजापुर: जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर भोपालपटनम-मट्टीमरका मार्ग पर वरदली ग्राम के निकट तोडेंम पारा में एक बोरवेल से विगत तीन वर्षों से लगातार पानी की धारा बह रही है. माता के मंदिर के पास इस बोरवेल में पानी की धारा को देखने लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. ग्रामीणों की मानें तो सिर्फ 10 फीट की खुदाई पर ही तीव्र गति से निरंतर पानी बह रह है. गांव के लोग इसे देवी का चमत्कार मान रहे हैं.

लगातार बह रहा है पानी

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इस प्राकृतिक भूमिगत जल स्त्रोत पाताल तोड़ कुआं की धारा तीन वर्षों से कम नहीं हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि पानी की निरन्तर तीव्र प्रवाह के वजह से बोरवेल की खुदाई ज्यादा नहीं हो सकी. काफी प्रयास के बाद लगभग 40 फीट की खुदाई कर बोरवेल निर्मित किया गया. 3 वर्ष पूर्व खुदे इस बोरवेल में निर्माण के समय से ही पानी दिन-रात तीव्र गति से निकलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक निरंतर जारी है.

जल संरक्षण की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि यहां सोलर पैनल लगाकर नल-जल की सुविधा दी जाए. इस प्राकृतिक भूमिगत जलस्रोत का पेयजल के उपयोग के साथ ही अन्य कृषि कार्यों में पूरे साल उपयोग किया जा सकता है. माता मन्दिर के दर्शनार्थियों के लिए भी पानी का समुचित उपयोग हो सकेगा. प्रदेश में इस प्राकृतिक भूमिगत जलस्त्रोत को बचाना जरूरी है. इस अमूल्य प्राकृतिक भूमिगत जल स्रोत से निरन्तर निकलकर व्यर्थ बहते हुए पानी का सदुपयोग कर पर्यटन के दृष्टिकोण से संरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए.

साइंस के अनुसार ये भी एक वजह-

पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के कारण इस तरह की घटनाएं होती है. पानी गुरुत्वाकर्षण के विपरित प्रभाव के कारण ऊपर की ओर निरन्तर प्रवाहित हो रहा है. चट्टान और बालू की वजह से छनकर आने की वजह से पानी पूरी तरह से शुद्ध है. इसे प्रवाहित जल भी कहा जाता है जो 24 घंटे निरन्तर बहते रहती है. यह जल का वह भाग है जो पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के कारण जमीन के क्षेत्रों से होता हुआ अंत में नीचे आकर ठोस चट्टानों के ऊपर इकट्ठा हो जाता है. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्त्ति के प्रभाव के कारण वर्षा का पानी नीचे उतरते-उतरते चट्टानों तक पहुंच जाता है. धीरे-धीरे चट्टान के ऊपर की मिट्टी की परतें पूरी तरह ढक जाती है. इस प्रकार का एकत्र पानी भौम जल परिक्षेत्र की रचना करता है.

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