बिलासपुर: हाईकोर्ट में सोवमार को कई चर्चित मुद्दों पर सुनवाई हुई. सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी रही. हाईकोर्ट ने कई मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगे हैं. इनमें अंतागढ़ टेपकांड, कब्जाधारियों को पट्टा, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के ई-टेंडर पर रोक, बंदी प्रत्यक्षीकरण समेत कई मामले शामिल हैं.
इन केसेस पर हुई सुनवाई-
केस 1 : कब्जाधारियों को पट्टा देने पर रोक लगाने की मांग
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा वितरण के फैसले को सोमवार को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. मामले में हाईकोर्ट ने राज्य शासन से 10 दिन में जवाब मांगा है.
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अक्टूबर 2019 को प्रदेश के भूमिहीन कब्जाधारियों को पट्टा बांटने का फैसला लिया गया था. यह पट्टा वितरण बाजार मूल्य से 2% से लेकर 102% की दर से वसूली कर किया जाना था, जिसे मधुकर द्विवेदी ने कोर्ट में चुनौती दी है. याचिकाकर्ता की ओर से अपनी याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार यदि ऐसे पट्टा वितरण करने लगी तो राज्य में सरकारी जमीन नहीं बचेगी, जिन पर लोगों का कब्जा है. मामले में सरकार के इस आदेश पर रोक लगाने के साथ इसे निरस्त करने की मांग की गई है.
केस 2 : ई-टेंडर मामले में मांगा जवाब
छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के ई-टेंडर को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. ई-टेंडर में पहले से लगे फर्म को अवैध तरीक से फायदा पहुंचाने का आरोप है. इस क्रम में कोर्ट ने निगम से जवाब मांगा है. इस संबंध में रायपुर की फर्म रामा ऑफसेट ने निगम के खिलाफ रिट याचिका दायर की है. फर्म ने आरोप लगाया है कि ई-टेंडर में जो पहले से प्रकाशन कर रहें हैं, वही फर्म टेंडर भर सकेंगे. बता दें कि हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी. चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच सुनवाई करेगी.
केस 3 : रिट याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण पर जवाब दें सरकार
रिट याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. यचिकाकर्ता ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआई से जांच कराने के लिए आवेदन दिया. मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शासन को दो सप्ताह में जवाब देने के लिए आदेश दिया है. बता दें कि फरवरी से लापता जुही साहू की मां जयमती साहू ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत की थी, जिस पर समय-समय पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायमूर्ति पीपी साहू की खंडपीठ ने आईजी को विस्तृत जांच के लिए निर्देदिए थे.