गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: बीमारी से तंग आकर एक शिक्षक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. शिक्षक ने आत्महत्या करने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है. फिलहाल पुलिस ने मर्ग कायम कर आगे की जांच शुरू कर दी है.
घटना पेंड्रा थाना क्षेत्र के धनपुर गांव की है. जहां रहने वाले शिक्षक ने बीमारी से तंग आकर गुरुवार को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. शिक्षक मरवाही के रटगा गांव के स्कूल में पदस्थ था. शिक्षक ने आत्महत्या के पहले सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें लम्बे समय से लकवा बीमारी से परेशान होकर खुदखुशी करने का जिक्र है. पुलिस के मुताबिक शिक्षक बिलासपुर जिले के चकरभाठा के बोदरी गांव के रहने वाला था. शिक्षक ने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं मानते हुए बीमारी के वजह से अपनी जिंदगी खत्म करने की बात लिखी है. फिलहाल पेंड्रा पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद कर आगे की जांच में जुटी गई है.
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प्रदेश में आत्महत्या की घटना तेजी से बढ़ती जा रही है. रोजाना छत्तीसगढ़ के कई जिलों से खुदकुशी की खबरें सामने आ रही हैं. 1 सितंबर को ही गरियाबंद के कोदोबतर मिडिल स्कूल में प्रधान पाठक ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी. वहीं लॉकडाउन के दौरान भी कई आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. जिसमें किसी ने आर्थिक तंगी के कारण अपनी जान दी, तो किसी ने मानसिक तनाव के कारण मौत को गले लगा लिया, लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं, जिसमें आत्महत्या के कारणों का कभी पता ही नहीं चल पाया. इसके लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. ताकि लोगों को आत्महत्या करने से बचाया जा सके.
भारत में बीमारी के कारण 55 प्रतिशत लोगों ने की आत्महत्या
भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भारत में 1,39,123 आत्महत्याएं हुईं, जबकि 2018 में 1,34,516 आत्महत्या के मामले सामने आए थे. आंकड़ों के मुताबिक भारत में आत्महत्या दर (10.4) की तुलना में शहरों में आत्महत्या दर (13.9) ज्यादा था. बीमारी (17.1%) के कारण वर्ष 2019 में देश में कुल 55 प्रतिशत मामले आत्महत्याओं के हैं.
आत्महत्या करने वालों में शिक्षित लोगों की संख्या ज्यादा
आत्महत्या करने वालों में से 12.6 प्रतिशत अशिक्षित (illiterate) थे, 16.3 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक शिक्षित थे, 19.6 प्रतिशत मध्यम स्तर तक शिक्षित थे और 23.3 प्रतिशत हाईस्कूल तक शिक्षित थे. कुल आत्महत्या करने वालों में से सिर्फ 3.7 प्रतिशत स्नातक और उससे अधिक शिक्षित थे.