बिलासपुर: देश में एक ओर स्वच्छता अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए बैनर, होर्डिंग, पैम्पलेट, विज्ञापन, वालपेंटिंग जैसे तमाम हथकंडों का उपयोग किया जा रहा है. इससे पर्यावरण दूषित न हों, लोग स्वच्छ रहें, इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में सरकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
वैसे तो तखतपुर विधानसभा क्षेत्र 12 मई को ही ओडीएफ घोषित हो गया था, लेकिन उसकी धरातल की कहानी कुछ और ही है, यहां के लोग आज भी सुबह से कतारों में नजर आते हैं. अब भी लोग खुले आसमान के नीचे शौच के लिए जाते हैं.
जिम्मेदारों की जिम्मेदारी पर सवाल
बता दें कि इन दिनों जिले के सभी इलाकों में स्वच्छता अभियान को लेकर गांव-गांव हर गलियों में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. कभी वालपेंटिंग कर तो कभी जागरूकता अभियान चलाकर शौचालयों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन आज भी जिले के कई इलाके के गावों में पर्याप्त शौचालय नहीं है, जिससे लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं. जो जिम्मेदारों की जिम्मेदारी पर सवाल उठा रहा है.
भगवान भरोसे चल रही सरकारी योजनाएं
वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारों की लापरवाही से बायो चलित वाहन बिना उपयोग किये ही कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं. इससे ये लगता है कि केन्द्र और राज्य शासन के महत्वपूर्ण योजनाओं का संचालन भगवान भरोसे चल रहा है. वहीं ग्रामीण भी अपनी समस्याओं को लेकर तखतपुर सीईओ एच गुप्ता के पास जाते हैं, तो वहां हमेशा कार्यालय में ताला लटका मिलता है, जिससे ग्रामीणों को शिकायत के लिए सप्ताहभर से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ता है.
कलेक्टर ने कहा जांच के बाद होगी कार्रवाई
मामले की पड़ताल में जब ETV भारत मौके पर पहुंची तो तखतपुर जनपद सीईओ के कार्यालय में ताला लटका मिला. जब मामले में सीईओ से फोन कॉल से बातचीत की गई तो वे कुछ भी कहने से बचते नजर आए. वहीं पूरे मामले में बिलासपुर कलेक्टर डॉ. संजय कुमार अलंग को फोन से जानकारी दी गई है, जांच के बाद कार्रवाई की बात कह रहे हैं.