बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के स्नातक, स्नातकोत्तर प्रथम और द्वितीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा में 3 हजार 681 नियमित परीक्षार्थियों को फेल घोषित किए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. छात्र-छात्राएं आक्रोशित हैं. छात्रों ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों के विपरीत परिणाम जारी करने का आरोप लगाया है.
दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय द्वारा सत्र 2019-20 के लिए आयोजित मुख्य परीक्षा में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स फेल हो गए हैं. इसमें शासकीय जेपी वर्मा कला और वाणिज्य पीजी महाविद्यालय से लेकर डॉ. भंवर सिंह पोर्ते शासकीय पीजी महाविद्यालय मरवाही के छात्र शामिल हैं. ये सभी फेल होने के विरोध में उतर आए हैं. छात्रों का आरोप है इन महाविद्यालयों में 80 फीसदी छात्र फेल हुए हैं, जबकि नियमानुसार सभी को प्रोन्नत किया जाना था.
3,681 छात्र-छात्राओं को किया गया है फेल
इधर मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि छात्रों को इंटरनल असेसमेंट के आधार पर अंक दिए गए हैं. कॉलेजों ने जो मूल्यांकन किया है, उस आधार पर छात्र पास और फेल हुए हैं. बता दें कि विश्वविद्यालय के 92.6 प्रतिशत परीक्षार्थी इसमें पास हुए हैं, जबकि सिर्फ 3,681 छात्र-छात्राओं को फेल घोषित किया गया है.
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कोरोना महामारी की वजह से सिर्फ प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश की शिक्षा-व्यवस्था गड़बड़ा गई है. नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हुए कई महीने बीत गए, अब तक कई स्टूडेंट्स को यह भी नहीं पता है कि उनके कोर्स में क्या है. प्रदेश में राज्य सरकार ने स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों को सुविधा देने के लिए कई प्रयास किए, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो, लेकिन छात्र ऐसी तमाम कोशिशों के बाद भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं.
कॉलेज की परीक्षा परिणाम से असंतुष्ट हैं स्टूडेंट्स
29 सितंबर को रायगढ़ से भी ऐसा ही केस सामने आया था, जहां कॉलेज जाने वाले छात्रों ने आरोप लगाते हुए कहा था कि परिणाम के सम्बन्ध में उनसे भेदभाव हुआ है. इससे उनका एक साल बर्बाद हो सकता है. उन्होंने इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय से मांग की है कि या तो उन्हें सामान्य रूप से जनरल प्रमोशन दिया जाए या स्थिति सामान्य होने के बाद उनकी परीक्षा आयोजित की जाए.
छत्तीसगढ़ सरकार ने लिया था छात्रों को जनरल प्रमोशन देने का निर्णय
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स को जनरल प्रमोशन के आधार पर उत्तीर्ण करने का निर्णय लिया था. इस आदेश से प्रदेश के लगभग 3 लाख 30 हजार छात्र-छात्राएं लाभान्वित होने वाले थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. बहुत से छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो रिजल्ट आने के बाद परीक्षा में फेल हो गए हैं, जिससे उनमें आक्रोश है.