ETV Bharat / state

कर्मचारियों की हड़ताल ने बिगाड़ी सिम्स मेडिकल कॉलेज की सेहत, भगवान के भरोसे मरीज

सिम्स मेडिकल कॉलेज (CIMS) के हड़ताल को 24 दिन हो गए हैं. इन दिनों में 7 सौ बिस्तर वाले अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. हड़ताली कर्मचारी (striking workers) अभी भी काम पर वापस नहीं लौटे है. वहीं मरीज का इलाज भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है.

हड़ताली कर्मचारी
हड़ताली कर्मचारी
author img

By

Published : Sep 15, 2021, 9:07 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 11:09 PM IST

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज (Chhattisgarh Institute of Medical Sciences) के हड़ताल को 24 दिन हो गए हैं. लगातार हड़ताल से इन दिनों में 7 सौ बिस्तर वाले अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. जहां एक ओर भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. वहीं जांच कराने पहुंचे मरीजों के परिजन को जांच रिपोर्ट लेने में लंबी लाइन में खड़े होना पड़ रहा है. मांगें पूरी नहीं होने पर सिम्स अस्पताल (CIMS HOSPITAL) के कर्मचारी अब भी धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, सिम्स मेडिकल कॉलेज से लगभग पौने दो सौ मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया गया है. इलाज के लिए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कर्मचारियों की हड़ताल ने बिगाड़ी सिम्स मेडिकल कॉलेज की सेहत

CIMS में 316 कर्मचारियों ने काम किया बंद, हड़ताल से चरमराई अस्पताल की व्यवस्था


एक दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई थी बैठक

दरअसल, एक दिन पहले रायपुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singh Deo), सिम्स प्रबंधक और नगर विधायक की बैठक हुई थी. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मामले का जल्द निपटारा करने के कई दिशा निर्देश दिए हैं. बावजूद इसके हड़ताली कर्मचारी अब भी अपने जिद पर अड़े हैं. वहीं हड़ताली कर्मचारियों से जानकारी लेने पर उनका पक्ष है कि जब तक उन्हें लिखित में खोज दस्तावेज नहीं दिए जाएंगे. वह हड़ताल से वापस नहीं जाएंगे.

24 वें दिन भी हड़ताली कर्मचारी काम पर नहीं लौटे

बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज में 24 वें दिन भी हड़ताली कर्मचारी अपने काम पर नहीं पहुंचे. कर्मचारियों के काम पर नहीं लौटने की वजह से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था ठप पड़ गई है. ओपीडी के अलावा दूसरे चिकत्सीय कार्य में बाधा बना हुआ है. कर्मचारियों में वार्ड ब्वॉय, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, एमआरआई, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कई टेक्निकल कर्मचारियों के नहीं होने से जांच भी ठप है. सिम्स मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर आरती पांडे ने बताया कि मरीजों को कई बार दवा लिखते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी किया जाता है. उन्हें वह कुछ बोल नहीं सकते क्योंकि सर्विस में दूसरे अस्पताल भेजने पर संकट आ सकती है और यहां रखने पर मरीज की जान जा सकती है. उन्होंने बताया कि कर्माचारियों को धरने पर चले जान से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. कोशिश कर रहे हैं जितना हो सके मरीजों को सुविधा दे सकें.

क्या है कर्मचारियों की मांग

संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज के तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी अपनी "वेतन वृद्धि" की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इसका सीधा असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है. इधर हड़ताली कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. प्रबंधन का कहना है कि, शासन से निर्देश मिले हैं जिसपर कार्रवाई जारी है. इसके अलावा शासन ने इन कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि भी खत्म कर दी है. परिवीक्षा अवधि खत्म होने से अब हड़तालियों को प्रबंधन वापस काम पर लौटने की अपील कर रहा है, लेकिन वो वापस नहीं आ रहे है.

क्या है पूरा मामला ?

साल 2013-14 में 337 तृतीय वर्ग के और चतुर्थ वर्ग के टेक्निकल और गैर टेक्निकल कर्मचारियों की भर्ती हुई थी. जिसके बाद दो साल की प्रोबेशन की अवधि थी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी नियमित नहीं किया गया है. नियमित नहीं होने की वजह से उनकी वेतन वृद्धि नहीं की गई. उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जा रहा था. कर्मचारी प्रबंधन और जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रशासन और शासन के सामने भी अपनी मांगों को रखा था,लेकिन मांगें पूरी नहीं हुई.

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज (Chhattisgarh Institute of Medical Sciences) के हड़ताल को 24 दिन हो गए हैं. लगातार हड़ताल से इन दिनों में 7 सौ बिस्तर वाले अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. जहां एक ओर भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. वहीं जांच कराने पहुंचे मरीजों के परिजन को जांच रिपोर्ट लेने में लंबी लाइन में खड़े होना पड़ रहा है. मांगें पूरी नहीं होने पर सिम्स अस्पताल (CIMS HOSPITAL) के कर्मचारी अब भी धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, सिम्स मेडिकल कॉलेज से लगभग पौने दो सौ मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया गया है. इलाज के लिए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कर्मचारियों की हड़ताल ने बिगाड़ी सिम्स मेडिकल कॉलेज की सेहत

CIMS में 316 कर्मचारियों ने काम किया बंद, हड़ताल से चरमराई अस्पताल की व्यवस्था


एक दिन पहले स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई थी बैठक

दरअसल, एक दिन पहले रायपुर में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singh Deo), सिम्स प्रबंधक और नगर विधायक की बैठक हुई थी. बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मामले का जल्द निपटारा करने के कई दिशा निर्देश दिए हैं. बावजूद इसके हड़ताली कर्मचारी अब भी अपने जिद पर अड़े हैं. वहीं हड़ताली कर्मचारियों से जानकारी लेने पर उनका पक्ष है कि जब तक उन्हें लिखित में खोज दस्तावेज नहीं दिए जाएंगे. वह हड़ताल से वापस नहीं जाएंगे.

24 वें दिन भी हड़ताली कर्मचारी काम पर नहीं लौटे

बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज में 24 वें दिन भी हड़ताली कर्मचारी अपने काम पर नहीं पहुंचे. कर्मचारियों के काम पर नहीं लौटने की वजह से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था ठप पड़ गई है. ओपीडी के अलावा दूसरे चिकत्सीय कार्य में बाधा बना हुआ है. कर्मचारियों में वार्ड ब्वॉय, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, एमआरआई, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कई टेक्निकल कर्मचारियों के नहीं होने से जांच भी ठप है. सिम्स मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर आरती पांडे ने बताया कि मरीजों को कई बार दवा लिखते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी किया जाता है. उन्हें वह कुछ बोल नहीं सकते क्योंकि सर्विस में दूसरे अस्पताल भेजने पर संकट आ सकती है और यहां रखने पर मरीज की जान जा सकती है. उन्होंने बताया कि कर्माचारियों को धरने पर चले जान से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. कोशिश कर रहे हैं जितना हो सके मरीजों को सुविधा दे सकें.

क्या है कर्मचारियों की मांग

संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज के तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी अपनी "वेतन वृद्धि" की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इसका सीधा असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है. इधर हड़ताली कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. प्रबंधन का कहना है कि, शासन से निर्देश मिले हैं जिसपर कार्रवाई जारी है. इसके अलावा शासन ने इन कर्मचारियों की परिवीक्षा अवधि भी खत्म कर दी है. परिवीक्षा अवधि खत्म होने से अब हड़तालियों को प्रबंधन वापस काम पर लौटने की अपील कर रहा है, लेकिन वो वापस नहीं आ रहे है.

क्या है पूरा मामला ?

साल 2013-14 में 337 तृतीय वर्ग के और चतुर्थ वर्ग के टेक्निकल और गैर टेक्निकल कर्मचारियों की भर्ती हुई थी. जिसके बाद दो साल की प्रोबेशन की अवधि थी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी नियमित नहीं किया गया है. नियमित नहीं होने की वजह से उनकी वेतन वृद्धि नहीं की गई. उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जा रहा था. कर्मचारी प्रबंधन और जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रशासन और शासन के सामने भी अपनी मांगों को रखा था,लेकिन मांगें पूरी नहीं हुई.

Last Updated : Sep 15, 2021, 11:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.