बिलासपुर: बिलासपुर के रहने वाले प्ले बैक सिंगर जी उमा महेश को छत्तीसगढ़ का रफी उनके दोस्त और चाहने वाले मानते हैं. उमा महेश रफी की आवाज में जब गाना गाते हैं तो सुनने वाले को ऐसा लगता है जैसे रफी का गाया गाना कहीं बज रहा है. उमा को गाने और कला की खुराक उनको परिवार में ही मिली. पिता घर में अच्छा गुगुनाते थे और बड़े भाई भी स्टेज के अच्छे आर्टिस्ट थे. पांच साल की उम्र में उमा को गाने का जो चस्का लगा वो आज भी बदस्तूर जारी है. उमा पिछले 6 दशकों से रफी के गाए गानों गुनगुना रहे हैं.
जी उमा महेश हैं रफी के दीवाने: रफी को अपना भगवान और गुरु मानने वाले उमा महेश ने कभी रफी साहब की याद और खुद्दारी में सरकारी नौकरी को छोड़ दिया था. उमा महेश को आज मध्यप्रदेश सहित सात राज्यों की फिल्म इंडस्ट्री के चहते कलाकार हैं. दोस्त भी जब उनसे मिलने आते हैं तो दुआ सलाम के बाद उनसे गाने सुनाने की फरमाइश किए बिना नहीं रहते. उमा दूसरी भाषाओं में भी गाना उसी अंदाज में गाते हैं जैसे हिंदी गाने. तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री से भी जी उमा महेश को फिल्मों के गाने गाने का ऑफर मिलता रहता है. कला के क्षेत्र शुरुआत में जरूर उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन अब वो इस फील्ड में स्थापित कलाकारों में गिने जाते हैं.
अन्नू कपूर की जब भर आई थी आंखें: उमा महेश का एक बार चयन मेरी आवाज सुनो रियलिटी प्रोग्राम के लिए हुआ. उमा को आयोजकों ने गाने के लिए मुंबई बुलाया. रियलिटी शो में फाइनल तक पहुंचे उमा ने जब अन्नू कपूर की मौजदूगी में नौशाद साहब की फिल्म के गाने पर परफार्म किया तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आई. बिलासपुर रेलवे कॉलोनी में रहने वाले उमा महेश का एक ही पैशन हैं रफी के गाये गानों को पूरी जिंदगी गुनगुनाना. पांच साल की उम्र से गाना गा रहे उमा को आज पूरा छत्तीसगढ़ जानता है. दर्जनों रियलिटी शो में शिरकत कर चुके उमा को पास आज गाने के कई प्रपोजल हैं जिनपर वो काम कर रहे हैं.