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Bilaspur news : जानिए हत्या के बाद साइकोकिलर की मानसिक स्थिति - साइकोकिलर

देश के कई हिस्सों में क्रिमिनल दर्दनाक हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं. पिछले दिनों दिल्ली के श्रद्धा वॉकर हत्याकांड जैसे ही बिलासपुर में वारदात देखने को मिली. जिसमें पति ने पत्नी की हत्या करने के बाद उसके लाश के कई टुकड़े कर दिए थे. ऐसे हत्यारो की हत्या के दौरान और उसके बाद क्या मनोदशा होती है. क्यों इतनी बेरहमी से हत्या को अंजाम देते हैं. इन सब बातों का जवाब हमने मनोचिकित्सक से जानने की कोशिश की.

Bilaspur news
हत्या के बाद साइकोकिलर का भयानक रूप
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Published : Mar 15, 2023, 7:22 PM IST

बिलासपुर : 2022-23 में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पत्नी या प्रेमिका की हत्या के बाद उनके शवों के टुकड़े करके घरों में ही छिपाकर रखा गया. फिर धीरे धीरे उनके बॉडी पार्ट्स को ठिकाने लगाने का काम किया गया.लेकिन हत्या के बाद ऐसी क्या वजह होती है कि आरोपी एक कदम आगे बढ़कर वीभत्स घटनाओं को करता है. इन सब विषयों और सवालों पर मनोचिकित्सक ने अपनी राय दी है. शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि ऐसे किलर्स या फिर आरोपी जिन्होंने ऐसी हत्याओं को अंजाम दिया है उनका बैकग्राउंड ऐसा होता है जो उनके अंदर से मानवीय भावना को खत्म कर देता है. भयानक हत्या को अंजाम देने के बाद भी इन्हें जरा भी पछतावा नहीं होता है.

मानसिक स्थिति भी होती है खराब : हत्याओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती. वो ये नहीं जानते कि इस घटना को अंजाम देने के बाद उनका भविष्य क्या होगा. इन लोगों पर रिसर्च करने पर जानकारी लगती है कि वो लोग पहले से मानसिक रोगी होते हैं. शहर के मशहूर मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' कई लोगों की अनुवांशिक मानसिक बीमारी होती है. उनके अंदर खानदान में किसी न किसी की मानसिक बीमारी का असर होता है. और वह हत्या को अंजाम देता है.''



दूसरों के दर्द को महसूस ना करना : मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जिन्हें बचपन में काफी तकलीफ दी गई हो. या फिर उनके साथ कोई ऐसा घटना हुई हो जिससे उनके मन में लोगों के प्रति गुस्सा और चिढ़ भर जाता है. यही वजह है कि उन लोगों के अंदर दूसरों के दर्द को महसूस करना बंद हो जाता है. वह फिर अपराध को अंजाम देने में जरा भी नहीं हिचकते. हत्या और हत्या के बाद शव के टुकड़े करने में उन्हें मजा आने लगता है. यही कारण है कि लोगों के अंदर मानवता खत्म हो रही है. वे अपराध को अंजाम देने में जरा भी नहीं हिचकते. जो खुद काफी दर्द महसूस किया हो उसके लिए दर्द का एहसास खत्म हो जाता है. तो व्यक्ति दूसरे के दर्द को महसूस करना भूल जाता है. वही अपराध को अंजाम देने का पहला कारण सामने आता है.''

ये भी पढ़ें- जंगल में वन्यजीवों का शिकार करने वाले आरोपी गिरफ्तार

नशा भी सबसे बड़ा कारण : मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' अपराध का सबसे पहला कारण नशा होता है. नशा करने के बाद दिमाग डर को भूल जाता है और यही वजह है कि लोग अपराध करने में डरते नहीं हैं. अपराध करने के बाद जब उसके बारे में सोचते हैं तो उनके अंदर डर जरूर पैदा होता है लेकिन तब तक समय निकल जाता है. वे अपराध की दुनिया में कदम रख चुके होते हैं. ऐसे लोगों का जेल में काउंसलिंग कर रिहैबिलिटेशन सेंटर के माध्यम से उनका इलाज करना चाहिए. फिर लोग अपराध से दूर होने लगते हैं .इसके बाद फिर अपराध नहीं करते. इसलिए नशे के खिलाफ पहले कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोग नशे से दूर हो सके.

बिलासपुर : 2022-23 में कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पत्नी या प्रेमिका की हत्या के बाद उनके शवों के टुकड़े करके घरों में ही छिपाकर रखा गया. फिर धीरे धीरे उनके बॉडी पार्ट्स को ठिकाने लगाने का काम किया गया.लेकिन हत्या के बाद ऐसी क्या वजह होती है कि आरोपी एक कदम आगे बढ़कर वीभत्स घटनाओं को करता है. इन सब विषयों और सवालों पर मनोचिकित्सक ने अपनी राय दी है. शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि ऐसे किलर्स या फिर आरोपी जिन्होंने ऐसी हत्याओं को अंजाम दिया है उनका बैकग्राउंड ऐसा होता है जो उनके अंदर से मानवीय भावना को खत्म कर देता है. भयानक हत्या को अंजाम देने के बाद भी इन्हें जरा भी पछतावा नहीं होता है.

मानसिक स्थिति भी होती है खराब : हत्याओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती. वो ये नहीं जानते कि इस घटना को अंजाम देने के बाद उनका भविष्य क्या होगा. इन लोगों पर रिसर्च करने पर जानकारी लगती है कि वो लोग पहले से मानसिक रोगी होते हैं. शहर के मशहूर मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' कई लोगों की अनुवांशिक मानसिक बीमारी होती है. उनके अंदर खानदान में किसी न किसी की मानसिक बीमारी का असर होता है. और वह हत्या को अंजाम देता है.''



दूसरों के दर्द को महसूस ना करना : मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जिन्हें बचपन में काफी तकलीफ दी गई हो. या फिर उनके साथ कोई ऐसा घटना हुई हो जिससे उनके मन में लोगों के प्रति गुस्सा और चिढ़ भर जाता है. यही वजह है कि उन लोगों के अंदर दूसरों के दर्द को महसूस करना बंद हो जाता है. वह फिर अपराध को अंजाम देने में जरा भी नहीं हिचकते. हत्या और हत्या के बाद शव के टुकड़े करने में उन्हें मजा आने लगता है. यही कारण है कि लोगों के अंदर मानवता खत्म हो रही है. वे अपराध को अंजाम देने में जरा भी नहीं हिचकते. जो खुद काफी दर्द महसूस किया हो उसके लिए दर्द का एहसास खत्म हो जाता है. तो व्यक्ति दूसरे के दर्द को महसूस करना भूल जाता है. वही अपराध को अंजाम देने का पहला कारण सामने आता है.''

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नशा भी सबसे बड़ा कारण : मनोचिकित्सक डॉ अनिल यादव ने बताया कि '' अपराध का सबसे पहला कारण नशा होता है. नशा करने के बाद दिमाग डर को भूल जाता है और यही वजह है कि लोग अपराध करने में डरते नहीं हैं. अपराध करने के बाद जब उसके बारे में सोचते हैं तो उनके अंदर डर जरूर पैदा होता है लेकिन तब तक समय निकल जाता है. वे अपराध की दुनिया में कदम रख चुके होते हैं. ऐसे लोगों का जेल में काउंसलिंग कर रिहैबिलिटेशन सेंटर के माध्यम से उनका इलाज करना चाहिए. फिर लोग अपराध से दूर होने लगते हैं .इसके बाद फिर अपराध नहीं करते. इसलिए नशे के खिलाफ पहले कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोग नशे से दूर हो सके.

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