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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में झीरम कांड को लेकर याचिकाओं पर अब भी लंबित है सुनवाई - झीरम नक्सली हमला

झीरम हमले की जांच 8 साल से चल रही है. लोगों को आज भी सच सामने आने का इंतजार है. झीरम मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 2 याचिकाएं दायर की गई हैं. जिसकी सुनवाई अबतक लंबित है.

petitions regarding jhiram attack
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : May 25, 2021, 7:26 PM IST

Updated : May 25, 2021, 8:01 PM IST

बिलासपुर: झीरम मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 2 याचिकाएं दायर हुई हैं. पहली दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार के द्वारा राजनैतिक साजिश की जांच के लिए दरभा थाने में मई 2020 में FIR दर्ज करवाई गई है. जिसे NIA (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) ने जिला कोर्ट में चुनोती दी थी. जिसे जिला कोर्ट ने अस्वीकार्य कर दिया. जिसके बाद NIA ने उच्च न्यायालय में चुनैती दी है. हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई जल्द होनी है.

मामले में मुदलियार ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर कर एनआईए द्वारा खुद को पक्षकार बनाने की मांग उठाई गई है. अपनी याचिका में उन्होंने झीरम हमले की जांच का अधिकार राज्य सरकार को सौंपने की भी मांग की है. अपनी याचिका में जितेंद्र ने इस घटना को षडयंत्र करार दिया है. मुदलियार ने अपनी याचिका में कहा है कि NIA ने झीरम हमले में राजनीतिक षडयंत्र की जांच नहीं की है. एनआईए ने कोर्ट में बताया है कि मामले में अब जांच पूरी हो चुकी है. इसलिए किसी और जांच की जरूरत नहीं. पूरे मामले में अभी सुनवाई जारी है. इस मामले में जितेंद्र मुदलियार के वकील संदीप दुबे और सुदीप श्रीवास्तव है.

'NIA न खुद कर रही और न हमें करने दे रही झीरम हमले की जांच, दाल में कहीं न कहीं काला है'

'राज्य सरकार के अधिकारों का हनन'

झीरम हमले में बाल-बाल बचे बिलासपुर के कांग्रेस नेता विवेक वाजपेयी ने अधिवक्ताओं संदीप दुबे ,सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से भी एक याचिका दायर कर एनआईए एक्ट की धारा 6 को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अपनी याचिका में उन्होंने कहा है की झीरम हमले की जांच राज्य सरकार की पुलिस को करना चाहिए. एनआईए एक्ट की धारा 6 से राज्य सरकार के अधिकारों का हनन का हो रहा है. बहरहाल इस मामले में भी सुनवाई जारी है.

50 से ज्यादा लोगों ने दी गवाही

झीरम हमले को लेकर सीनियर हाईकोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में सरकार ने एक आयोग का भी गठन किया है. जिसके सामने 50 से ज्यादा लोगों की गवाही ली गई थी. आयोग ने बकायदा अखबारों में इश्तेहार छपवा कर लोगों से अपील की थी की अगर किसी को मामले में गवाही देनी है तो वह शपथ पत्र पेश कर अपनी गवाही दे सकता है. जिसके बाद और भी गवाहियां हुई. 3 बार कार्यकाल बढ़ने के बाद अब आयोग का कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन मामले में अभी कोई फैसला नहीं आया है.आयोग का चौथी बार कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका विवेक बाजपाई ने दायर की है, हालांकि इसपर भी सुनवाई लंबित है.

बिलासपुर: झीरम मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 2 याचिकाएं दायर हुई हैं. पहली दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार के द्वारा राजनैतिक साजिश की जांच के लिए दरभा थाने में मई 2020 में FIR दर्ज करवाई गई है. जिसे NIA (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी) ने जिला कोर्ट में चुनोती दी थी. जिसे जिला कोर्ट ने अस्वीकार्य कर दिया. जिसके बाद NIA ने उच्च न्यायालय में चुनैती दी है. हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई जल्द होनी है.

मामले में मुदलियार ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर कर एनआईए द्वारा खुद को पक्षकार बनाने की मांग उठाई गई है. अपनी याचिका में उन्होंने झीरम हमले की जांच का अधिकार राज्य सरकार को सौंपने की भी मांग की है. अपनी याचिका में जितेंद्र ने इस घटना को षडयंत्र करार दिया है. मुदलियार ने अपनी याचिका में कहा है कि NIA ने झीरम हमले में राजनीतिक षडयंत्र की जांच नहीं की है. एनआईए ने कोर्ट में बताया है कि मामले में अब जांच पूरी हो चुकी है. इसलिए किसी और जांच की जरूरत नहीं. पूरे मामले में अभी सुनवाई जारी है. इस मामले में जितेंद्र मुदलियार के वकील संदीप दुबे और सुदीप श्रीवास्तव है.

'NIA न खुद कर रही और न हमें करने दे रही झीरम हमले की जांच, दाल में कहीं न कहीं काला है'

'राज्य सरकार के अधिकारों का हनन'

झीरम हमले में बाल-बाल बचे बिलासपुर के कांग्रेस नेता विवेक वाजपेयी ने अधिवक्ताओं संदीप दुबे ,सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से भी एक याचिका दायर कर एनआईए एक्ट की धारा 6 को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अपनी याचिका में उन्होंने कहा है की झीरम हमले की जांच राज्य सरकार की पुलिस को करना चाहिए. एनआईए एक्ट की धारा 6 से राज्य सरकार के अधिकारों का हनन का हो रहा है. बहरहाल इस मामले में भी सुनवाई जारी है.

50 से ज्यादा लोगों ने दी गवाही

झीरम हमले को लेकर सीनियर हाईकोर्ट जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में सरकार ने एक आयोग का भी गठन किया है. जिसके सामने 50 से ज्यादा लोगों की गवाही ली गई थी. आयोग ने बकायदा अखबारों में इश्तेहार छपवा कर लोगों से अपील की थी की अगर किसी को मामले में गवाही देनी है तो वह शपथ पत्र पेश कर अपनी गवाही दे सकता है. जिसके बाद और भी गवाहियां हुई. 3 बार कार्यकाल बढ़ने के बाद अब आयोग का कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन मामले में अभी कोई फैसला नहीं आया है.आयोग का चौथी बार कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका विवेक बाजपाई ने दायर की है, हालांकि इसपर भी सुनवाई लंबित है.

Last Updated : May 25, 2021, 8:01 PM IST
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