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जेलों में बुजुर्ग कैदियों के मामले की याचिका निराकृत, हाईकोर्ट ने दिया आदेश - छत्तीसगढ़ में बुजुर्ग कैदियों को पैरोल

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शुक्रवार को जेल में बंद 60 वर्ष से ऊपर के कैदियों के मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट ने बुजुर्ग कैदियों को लेकर हाई पावर कमेटी को उचित कदम उठाने का निर्देश जारी किया है और याचिका निराकृत कर दी गई है.

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (फाइल)
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Published : May 29, 2020, 9:22 PM IST

बिलासपुर: जेल में बंद 60 वर्ष से ऊपर के कैदियों के मामले पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुजुर्ग कैदियों को लेकर हाई पावर कमेटी को उचित कदम उठाने का निर्देश जारी किया है. निर्देश जारी करने के साथ ही याचिका निराकृत कर दी गई है.

बता दें कि जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के जेलों में ऐसे ही क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा जा रहा है. साथ ही मौजूदा स्थिति में कोरोना को देखते हुए जेलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा. ऐसे में अगर जेल में कोई कोरोना पीड़ित पाया गया तो उसका सबसे पहला असर जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों पर होगा. इसलिए 60 वर्ष से ऊपर के कैदियों को पैरोल देने की बात कही गई है.हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद हाई पावर कमेटी को मामले में उचित कदम उठाने का निर्देश जारी करते हुए याचिका निराकृत कर दी है.

पढ़ें- बिलासपुर: जेल के कैदियों की पैरोल अवधि हाईकोर्ट ने 30 जून तक बढ़ाई

बता दें कि कोरोना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हर एक राज्य में एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है, जो कि जेल में बंद कौन से कैदियों को पैरोल देना है यह तय करती है. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और जस्टिस पी.पी साहू की डिवीजन बेंच ने की है.

बिलासपुर: जेल में बंद 60 वर्ष से ऊपर के कैदियों के मामले पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बुजुर्ग कैदियों को लेकर हाई पावर कमेटी को उचित कदम उठाने का निर्देश जारी किया है. निर्देश जारी करने के साथ ही याचिका निराकृत कर दी गई है.

बता दें कि जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के जेलों में ऐसे ही क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा जा रहा है. साथ ही मौजूदा स्थिति में कोरोना को देखते हुए जेलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा. ऐसे में अगर जेल में कोई कोरोना पीड़ित पाया गया तो उसका सबसे पहला असर जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों पर होगा. इसलिए 60 वर्ष से ऊपर के कैदियों को पैरोल देने की बात कही गई है.हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद हाई पावर कमेटी को मामले में उचित कदम उठाने का निर्देश जारी करते हुए याचिका निराकृत कर दी है.

पढ़ें- बिलासपुर: जेल के कैदियों की पैरोल अवधि हाईकोर्ट ने 30 जून तक बढ़ाई

बता दें कि कोरोना को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हर एक राज्य में एक हाई पावर कमेटी गठित की गई है, जो कि जेल में बंद कौन से कैदियों को पैरोल देना है यह तय करती है. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और जस्टिस पी.पी साहू की डिवीजन बेंच ने की है.

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