बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में रेल यात्री इन दिनों दोहरी मार झेल रहे हैं. ट्रेन कैंसिल होने के बाद अब यात्रियों को रेल नीर की कमी झेलनी पड़ रही है. गर्मी आते ही रेलवे स्टेशन में पानी की कमी हो जाती है. खासकर छोटे स्टेशनों में पानी की किल्लत से यात्रियों को काफी दिक्कतें हो रही (shortage of Rail Neer in small stations in Bilaspur) है. रेलवे बोर्ड यात्री ट्रेनों और स्टेशन में यात्रियो को सस्ता पानी मुहैया कराने के लिए आईआरसीटीसी के माध्यम से रेल नीर उपलब्ध कराती है.
हालांकि पिछले 3 सालों से रेल नीर पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं की जा रही है. व्यवस्था सही न होने की वजह से छोटे स्टेशनों में यात्रियों को रेल नीर नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि रेल नीर अन्य कंपनियों के पानी के मुकाबले सस्ता होता है. लेकिन इसके उपलब्ध न होने से यात्रियो को महंगा पानी खरीदना पड़ रहा है. कई स्टेशनों में तो पानी समय पर न मिलने से यात्री प्यास से परेशान रह रहे हैं. उधर रेल मंत्रालय और रेल मंत्री को यात्रियों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है. रेलवे के अधिकारी बस रटा रटाया जवाब दे रहे हैं. कब रेल नीर की किल्लत छत्तीसगढ़ सहित बिलासपुर में दूर होगी इसका कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है.
छत्तीसगढ़ के छोटे स्टेशनों में रेल नीर की किल्लत : रेलवे बोर्ड आईआरसीटीसी के माध्यम से स्टेशन और ट्रेनों के यात्रियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करती है.आईआरसीटीसी इस व्यवस्था को बनाने के लिए ठेका प्रथा के माध्यम से ठेका देकर यात्रियों को सस्ता खाना और पानी उपलब्ध कराती है. आईआरसीटीसी पानी के लिए रेल नीर के माध्यम से यात्रियों को सस्ते दामों में पानी की सप्लाई करती है. इस व्यवस्था में अब कमी आ गई है.कैटरिंग और कैंटीनों में मिलने वाला रेल नीर अब या तो महंगा होगा या फिर ठेकेदारों के जरिए बिक रहा है. इसके लिए आईआरसीटीसी पानी की सप्लाई के लिए टेंडर करने की तैयारी कर रहा है. बीते 5 वर्षों में आईआरसीटीसी रेल नीर के सप्लाई का सिस्टम दुरुस्त नहीं कर सका है. छोटे स्टेशनों में तो रेल नीर पहुंच ही नहीं रहा है. जिससे यात्री काफी परेशान हैं.
2019 में सप्लायर ने छोड़ा ठेका: साल 2016- 17 में बिलासपुर में रेल नीर प्लांट शुरू किया गया था. यहां से रेल नीर की सप्लाई सभी रेलवे स्टेशनों के अलावा पेंट्रीकार में की जाती है. चूंकि सीधे ट्रेनों के जरिये सप्लाई का प्रावधान नहीं है. लिहाजा सप्लाई के लिए टेंडर देना होता है. साल 2019 में सप्लायर ने ठेका छोड़ दिया था. तब से रेल नीर की सप्लाई बेपटरी चल रही है. कोरोनाकाल के बाद से और फिर ट्रेनों के लगातार रद्द होने की वजह से रेल नीर की बिक्री में भी फर्क आया है. प्लांट की उत्पादन क्षमता 72 हजार पानी बोतल की है. लेकिन वर्तमान में 40 हजार बोतल रेल नीर का ही उत्पादन हो रहा है. इसके साथ ही रेल नीर की सप्लाई के लिए जो रेट्स निर्धरित किये गए थे. वह रेट्स सप्लाई ठेकेदार को रास नहीं आ रहा है.
छोटे स्टेशनों को नहीं मिलता पानी का मार्जिन: दूसरी बात यह है कि बड़े स्टेशनों में पानी सप्लाई में थोड़ा बहुत मार्जिन होता भी था, लेकिन छोटे स्टेशनों में मार्जिन जीरो है. क्योंकि ट्रेनों से पानी की सप्लाई नहीं होती. अन्य माध्यम से सप्लाई में खर्च ज्यादा आता है. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए आईआरसीटीसी फायदे के सौदे की तरफ हाथ बढ़ा रहा है. अब इस व्यवस्था को फिर एक बार निजी हाथों को सौंपने की तैयारी की जा रही है.
रेल नीर की सप्लाई के लिये कैरिंग एजेंट नियुक्त: आईआरसीटीसी के अधिकारियों की मानें तो इसके लिए टेंडर किए जा रहे हैं. ताकि रेल नीर सप्लाई की सुविधा को जारी रखा जा सके. आईआरसीटीसी के एरिया मैनेजर एस जेरॉल्ड सोरेंग ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, "अभी हमने रेल नीर की सप्लाई के लिये कैरिंग एजेंट नियुक्त कर लिया है. इसलिए अभी कोई समस्या नहीं है. इसका टेंडर भी 6 माह के लिए जारी हो रहा है. कोरोनाकाल के समय डिमांड कम थी, लेकिन अभी डिमांड बढ़ गई है."
रेल नीर पर यात्रियों को भरोसा: बिलासपुर स्टेशन के स्वदेशी स्टाल के संचालक ने जयंत मिरी ने ईटीवी भारत से कहा, " बिलासपुर स्टेशन में अभी रेल नीर की डिमांड तो ठीक है. यात्री रेल नीर मांगते है. सस्ता होने के अलावा रेलवे का प्रोडक्ट होने की वजह से यात्रियों को इसके पानी की शुद्धता पर भरोसा है.
छोटे स्टेशनों में नहीं पहुच रहा रेल नीर: ठेकेदार के ठेका छोड़कर भागने के बाद से रेल नीर बड़े स्टेशनों में तो उपलब्ध रहता है, लेकिन छोटे स्टेशनों में रेल नीर नहीं पहुंच पाता. इसके पीछे का कारण यह है कि रेल नीर की सप्लाई ट्रेन के माध्यम से नहीं की जाती है. इसे अन्य ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेजा जाता है. अन्य ट्रांसपोर्ट के माध्यम से जाने की वजह से इसका कमीशन बहुत कम हो जाता है. लोकल ब्रांड के बोतलबंद पानी से अधिक कमीशन मिलता है. यही कारण है कि छोटे स्टेशनों में यात्रियों को मजबूरी में दूसरी कंपनियों के पानी खरीदने पड़ते हैं, वह भी महंगे दामों पर. रेल नीर 15 रुपए में उपलब्ध कराया जाना है. अन्य कंपनी के पानी 20 रुपए में 1 लीटर मिलता है. रेल नीर न मिलने से यात्रियो को महंगा पानी खरीदना पड़ता है.
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अवैध वेंडर दूसरी कंपनी का पानी बेच रहे: रेलवे के छोटे बड़े स्टेशन और प्लेटफार्म में कई अवैध वेंडर धंधा कर रहे हैं. यह अधिक मुनाफा कमाने के लिए मल्टीनेशनल कंपनियों के समक्ष लोकल कंपनियों की बोतलबंद पानी बेच रहे हैं. मल्टीनेशनल कंपनियों के पानी से कम मुनाफा होता है. लेकिन लोकल कंपनियों के पानी से अधिक मुनाफा होता है. वेंडर अधिक मुनाफा के चक्कर में अमानक स्तर के पानी भी यात्रियों की बेच रहे है. हालांकि इस मामले में आईआरसीटीसी के अधिकारी कुछ भी कहने से इनकार करते रहे हैं. लेकिन इस मामले में कहीं ना कहीं कई अलग-अलग लोगों के शामिल होने की बात कही जाती है. सभी को अपने-अपने कमीशन मिलते हैं.यही कारण है कि अवैध वेंडर, स्टेशनों में वेंडिंग के माध्यम से अमानक स्तर के खाद्य पदार्थ और पानी यात्रियों को बेच रहे हैं, जिससे यात्रा के दौरान कई बार यात्रियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्या भी सामने आती है.
नल का अमानक पानी बोतल में भरकर होती है बिक्री: छोटे-बड़े स्टेशनों में अक्सर देखा गया है कि घुमंतू लोग ज्यादा दिखाई देते हैं. ये लोग यात्रा कर रहे गरीब तबकों को सस्ता पानी मुहैया कराने की बात कहते हुए यूज्ड बोतल उठा कर उसमें पानी भर कर ट्रेनों में बेचते हैं. यह पानी सामान्य स्तर के होते हैं. इन बोतलों में स्टेशन में लगे प्याऊ का पानी रहता है.कई बार इन बोतलों में वे ऐसे जगह के पानी भरते है, जो पहले ही दूषित होता है. जिससे यात्रियो की तबियत बिगड़ जाती है. इन लोगों को रोकने के लिए रेलवे भी ध्यान नहीं देता है.