बिलासपुर: सांसद अरुण साव ने शुक्रवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान एक बार फिर कटघोरा-मुंगेली-डोंगरगढ़ रेलवे लाइन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि 2018 में स्वीकृत इस परियोजना के कार्यों में कोई प्रगति नहीं दिख रही है. रेल मंत्री इस नई रेल परियोजना में व्यक्तिगत रूप से रुचि लें और कार्य में गति लाएं.
कटघोरा से मुंगेली होते हुए डोंगरगढ़ तक 277 किलोमीटर नई रेलवे लाइन बिछाने के लिए पूर्व में रेल मंत्रालय और छत्तीसगढ रेल कार्पोरेशन लिमिटेड की एक संयुक्त कार्य एजेंसी बनाई गई थी. सर्वे के अनुसार निर्धारित रूट पर नई रेलवे लाइन बिछाने के लिए राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने भूमि अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया था. मुंगेली जिले में जनसुनवाई भी की गई थी. लेकिन अब इस प्रोजेक्ट के कार्यों में कोई नई प्रगति नहीं दिखाई दे रही है.
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आजादी के 74 साल बाद भी सपना अधूरा
आजादी के 74 सालों बाद भी रेल सुविधाओं से अछूते मुंगेली और कबीरधाम जिले के लोगों की इस बहुप्रतीक्षित मांग को एक बार फिर पुरजोर तरीके से उठाया गया है. सांसद साव इस मुद्दे को पहले भी संसद में उठा चुके हैं. शुक्रवार को शून्यकाल के दौरान साव ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूर्ण होने वाले हैं. लेकिन मुंगेली और कबीरधाम जिले की जनता आज भी रेल सुविधा के लिए तरस रही है. मुंगेली में तो अंग्रेजों के शासनकाल में रेल लाइन बिछाने का काम प्रारंभ हो गया था, परंतु अंग्रेजी शासन के अंत के साथ ही वह योजना बंद हो गई.
मोदी सरकार ने दी थी मंजूरी
सांसद अरुण साव ने बताया कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार बनी तो राज्य की पूर्ववर्ती रमन सरकार और रेल मंत्रालय के बीच एमओयू हुआ. 2018 में कटघोरा से मुंगेली होते हुए डोंगरगढ़ तक 277 किलोमीटर की नई रेलवे लाइन निर्माण के लिए मंजूरी दी गई. तब इस परियोजना की अनुमानित लागत 4821 करोड़ रुपए थी. स्वीकृति के इतने सालों बाद भी इस परियोजना के कार्यों में कोई प्रगति नहीं दिख रही है. बिलासपुर सांसद ने कहा कि मुंगेली और कबीरधाम जिले को रेल नेटवर्क से जुड़वाना पहले दिन से उनकी प्राथमिकता में है.