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कोरोना काल में घर लौटे प्रवासी अब रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर

करोना वायरस संक्रमण का दौरान लाखों की संख्या में प्रवासी अपने राज्य छत्तीसगढ़ लौटे थे. इस दौरान सरकार ने सभी को रोजगार दिलाने की बात कही थी, लेकिन बिलासपुर के ग्रामीण एरिया में लौटे मजदूरों को अबतक रोजगार नहीं मिला, जिससे उनके सामने रोटी का संकट आ गया है.

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Published : Jul 15, 2020, 8:45 PM IST

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प्रवासी मजदूरों को नहीं मिला रोजगार

बिलासपुर: करोना वायरस संक्रमण का दौर अभी खत्म भी नहीं हुआ है और बेरोजगारी की समस्या ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दे दी है. छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के खुलने के बाद सरकार ने अपने क्षेत्र के मजदूरों की वापसी के लिए काफी प्रयास किया था. इस दौरान मजदूरों को लोकल स्तर पर कौशल के आधार पर रोजगार मुहैया कराए जाने की बात भी कही गई थी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. बिलासपुर के ग्रामीण इलाकों में बाहर से लौटे प्रवासी अब भी रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिला रोजगार

बिलासपुर की बात की जाए तो यहां सबसे बड़े विकासखंड बिल्हा में 127 ग्राम पंचायतें हैं. इन पंचायतों में भी बाहर गए मजदूर कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए लौट आए हैं. उन्होंने अपना क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेशन का वक्त भी पूरा कर लिया है, लेकिन अब रोजगार न मिलने से मजदूर हताश हैं. उन्हें परिवार चलाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. श्रमिकों ने बताया है कि वापसी के दौरान सरकार की ओर से रोजगार का वादा किया गया था. मगर गांव में काम ही नहीं है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना संकट में यात्री नहीं मिलने से बस संचालक बेबस, सरकार से मदद की आस

मनरेगा में नहीं है काम

छत्तीसगढ़ सरकार लगातार मनरेगा को लेकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन इसकी हकीकत सरकार के बयान से बिल्कुल अलग है. दरअसल ग्राम पंचायतों में पहले ही रोजगार के लिए मनरेगा के काम खोल दिए गए थे. 100 दिनों के कामकाज का लक्ष्य पूरा भी हो गया है. जिसमें बाहर से लौटे मजदूरों को काम नहीं मिल सका है. अब श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. बिलासपुर के बुंदेला, कया और सेवार से अधिकांश मजदूर बाहर कमाने खाने गए थे. फिलहाल मजदूर रोजगार की तलाश में ग्राम पंचायत कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

मामले में सरपंचों का कहना है कि निर्धारित लक्ष्य के अनुसार मनरेगा का काम पूरा हो गया और अन्य कार्य उपलब्ध कराने जनपद को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक ग्राम स्तर पर कोई कामकाज नहीं खुला है. जिससे अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को काम देने में दिक्कत हो रही है. अब देखना यह होगा कि बगैर काम के गांव में रोजगार का इंतजार कर रहे मजदूरों को आखिर कब तक इस तरह दिन काटने होंगे.

छत्तीसगढ़ में बढ़ी बेरोजगारी

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अप्रैल महीने में देशभर में रोजगार मुहैया कराने के मामले में दूसरे स्थान पर थी, लेकिन जून महीने की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ बेरोजगारों की संख्या में टॉप-10 राज्य की सूची में शामिल हो गया है.

बिलासपुर: करोना वायरस संक्रमण का दौर अभी खत्म भी नहीं हुआ है और बेरोजगारी की समस्या ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दे दी है. छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के खुलने के बाद सरकार ने अपने क्षेत्र के मजदूरों की वापसी के लिए काफी प्रयास किया था. इस दौरान मजदूरों को लोकल स्तर पर कौशल के आधार पर रोजगार मुहैया कराए जाने की बात भी कही गई थी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. बिलासपुर के ग्रामीण इलाकों में बाहर से लौटे प्रवासी अब भी रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.

प्रवासी मजदूरों को नहीं मिला रोजगार

बिलासपुर की बात की जाए तो यहां सबसे बड़े विकासखंड बिल्हा में 127 ग्राम पंचायतें हैं. इन पंचायतों में भी बाहर गए मजदूर कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए लौट आए हैं. उन्होंने अपना क्वॉरेंटाइन और होम आइसोलेशन का वक्त भी पूरा कर लिया है, लेकिन अब रोजगार न मिलने से मजदूर हताश हैं. उन्हें परिवार चलाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. श्रमिकों ने बताया है कि वापसी के दौरान सरकार की ओर से रोजगार का वादा किया गया था. मगर गांव में काम ही नहीं है.

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मनरेगा में नहीं है काम

छत्तीसगढ़ सरकार लगातार मनरेगा को लेकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन इसकी हकीकत सरकार के बयान से बिल्कुल अलग है. दरअसल ग्राम पंचायतों में पहले ही रोजगार के लिए मनरेगा के काम खोल दिए गए थे. 100 दिनों के कामकाज का लक्ष्य पूरा भी हो गया है. जिसमें बाहर से लौटे मजदूरों को काम नहीं मिल सका है. अब श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. बिलासपुर के बुंदेला, कया और सेवार से अधिकांश मजदूर बाहर कमाने खाने गए थे. फिलहाल मजदूर रोजगार की तलाश में ग्राम पंचायत कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.

मामले में सरपंचों का कहना है कि निर्धारित लक्ष्य के अनुसार मनरेगा का काम पूरा हो गया और अन्य कार्य उपलब्ध कराने जनपद को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक ग्राम स्तर पर कोई कामकाज नहीं खुला है. जिससे अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों को काम देने में दिक्कत हो रही है. अब देखना यह होगा कि बगैर काम के गांव में रोजगार का इंतजार कर रहे मजदूरों को आखिर कब तक इस तरह दिन काटने होंगे.

छत्तीसगढ़ में बढ़ी बेरोजगारी

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अप्रैल महीने में देशभर में रोजगार मुहैया कराने के मामले में दूसरे स्थान पर थी, लेकिन जून महीने की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ बेरोजगारों की संख्या में टॉप-10 राज्य की सूची में शामिल हो गया है.

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