बिलासपुर कानन पेंडारी जू : स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव, जानवरों को ठंडा-ठंडा कूल-कूल एहसास - कानन पेंडारी जू
गर्मी शुरू होते ही कानन जू के जानवरों की मुसीबत बढ़ जाती है. ऐसे में कानन पेंडारी जू प्रंबधन ने जानवरों और केज को ठंडा रखने के लिए कई उपाय किए हैं. स्प्रिंकलर से जानवरों और गुफाओं पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है.
![बिलासपुर कानन पेंडारी जू : स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव, जानवरों को ठंडा-ठंडा कूल-कूल एहसास Kanan Pendari Zoo](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-14844460-thumbnail-3x2-im.jpg?imwidth=3840)
बिलासपुर : गर्मी शुरू होते ही कानन जू के जानवरों की मुसीबत बढ़ जाती है. केज में खुले आसमान के नीचे होने से जानवरों को तपती धूप में रहना पड़ रहा है. हालांकि कानन जू प्रबंधन ने जानवरों और केज को ठंडा रखने कई उपाय किये हैं. लेकिन ये कई जानवरों के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं. कुछ जानवरों को तो पूरे दिन चिलचिलाती धूप में ही रहना पड़ रहा है.
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जानवरों को राहत के लिए कई उपाय: गर्मी के सीजन में बिलासपुर का तापमान 40 डिग्री हो जाता है. जंगली जानवरों को इस गर्मी में कई परेशानियों का सामना करन पड़ता है. खास कर गर्म खून वाले जानवरों को. इस गर्मी से जानवरों को बचाने बिलासपुर का कानन पेंडारी जू प्रबंधन के उपाय किये हैं. जंगली जानवरों को इस चिलचिलाती गर्मी से बचाने के लिए और जानवरों को सुरक्षित रखने की कई उपाय कर रहा है. कानन पेंडारी में जानवरों को ठंडा रखने स्प्रिंकलर का सहारा लिया जा रहा है. पीने के लिए ठंडा पानी इस्तेमाल कर जानवरों को राहत पहुंचाया जा रहा है. जिससे इस तपती गर्मी में भी जंगली जानवर कूल रहे और उन्हें कोई नुकसान न हो.
स्प्रिंकलर से जानवरों पर पानी का छिड़काव: इस चिलचिलाती गर्मी से इंसान क्या जानवर भी हाय तौबा करने लगते हैं लेकिन कानन पेंडारी जू की बात ही अलग है. यहां का वातावरण तपती गर्मी को मुहतोड़ जवाब दे रहा है. कानन प्रबंधन ने जानवरों के लिए ऐसी व्यवस्था की है, जिसकी वजह से जानवर खुद को कूल-कूल महसूस कर रहे हैं. प्रबंधन ने जानवरों के केज पर ग्रीन क्लाथ लगा कर उस पर ही स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव कर तापमान कम करने का प्रयास कर रहा है. प्रबंधन केज पर हर 15 मिनट में पानी का छिड़काव करता है और गर्म ताशीर वाले जानवरों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है. जानवरों के केज पर निर्माण कार्य कर उन्हें जंगली आवास मुहैय्या कराया गया है.
कानन पेंडारी के एसडीओ संजय लूथर ने बताया कि, "वह जानवरों को ठंडा रखने जू में पाइप लाइन के जरिये पानी पंहुचा रहे हैं, जिससे पानी की कमी केज पर न हो और जानवर को इसकी कमी महसूस न हो. प्रबंधन लॉयन और टाइगर बंद करने वाले कमरों में कूलर लगाकर ठंडा करने की कोशिश कर रहे हैं"
नील गायों को भूला प्रबंधन: एक ओर कई केज में कानन प्रबंधन की मुस्तैदी और जंगली जानवरों की हिफाजत के पुख्ता इंतजाम दिखते हैं. वही कुछ ऐसे जानवर भी हैं जिनके केज को लावारिस की तरह छोड़ दिया गया है. नीलगाय और दूसरे हिरणों के केज को प्रबंधन ऐसा भुला है मानो वह कानन जू का हिस्सा ही नहीं है. पहले से सूख चुके पेड़ों से उन्हें कोई राहत तो नहीं मिल रहा है. वही पेड़ से बनाए गए सेड भी हिरणों और नीलगाय के लिए पर्याप्त नहीं है. प्रबंधन जानवरों की सुरक्षा के लिए काफी तत्पर है. दूसरी ओर प्रबंधन की लापरवाही तो अच्छे व्यवस्था पर पानी फेर देता है.