ETV Bharat / state

कभी आम के बगीचे के लिए मशहूर था तखतपुर, अब ये हैं हालात

कभी तखतपुर का ग्रामीण इलाका फलों के राजा आम के लिए मशहूर था, लेकिन पिछले 10 साल से आम को लेकर तखतपुर की ख्याति कम होती जा रही है. लोग अब आम के बगीचे लगाने से कतरा रहे हैं. विशेषकर नई पीढ़ी फलों के बगीचा लगाने के नाम पर कोसों दूर भाग रही है. इसमें उनकी कोई रूचि नहीं दिख रही है. कहीं न कहीं इसमें जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है.

फलों का राजा देसी आम विलुप्त होने के कगार में
author img

By

Published : May 15, 2019, 7:19 PM IST

तखतपुर: कभी तखतपुर का ग्रामीण इलाका फलों के राजा आम के लिए मशहूर था, लेकिन पिछले 10 साल से आम को लेकर तखतपुर की ख्याति कम होती जा रही है. लोग अब आम के बगीचे लगाने से कतरा रहे हैं. विशेषकर नई पीढ़ी फलों के बगीचा लगाने के नाम पर कोसों दूर भाग रही है. इसमें उनकी कोई रूचि नहीं दिख रही है. कहीं न कहीं इसमें जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है.

वीडियो

मनियारी नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांव जो कभी मौसमी फलों के लिए मशहूर थे. इन क्षेत्रों में आम के बगीचे हुआ करते थे, लेकिन अब केवल निजी तालाबों के मेड़ों पर ही देसी आम दिखाई देते हैं. ऐसा ही एक गांव है चुलघट, जहां छायादार आम के पेड़ निजी तालाबों की शोभा बढ़ा रहे हैं. इन्हीं के जरिए यहां रह रही ग्रामीणों की तकरीबन 6 पीढ़ियां देसी आमों का आनंद उठा रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में सेंदरी, खरखरही, सुपाड़ी, अथान, ढेकुना, किरही, लोढ़हवा, चेपटी जैसे देसी आमों का मिलना भी कम हो गया है.

ग्रामीणों का कहना है
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि आम के साथ ही अमरुद, जामुन, सीताफल, रामफल, गंगा ईमली, इमली, महुआ जैसे मौसमी फलों की उपलब्धता के लिए तखतपुर पहचाना जाता था, लेकिन कटाई और आंधी-तूफान के कारण जहां पुराने पेड़ खत्म हो रहे हैं. वहीं नये पौधे लगाने को कोई तैयार नहीं है. पेड़-पौधों के बचाव के लिए कई अभियान चलाए गए. समितियां और नियम भी बनाए गए, लेकिन सारे प्रयास धरे के धरे रह गए. प्रशासन द्वारा संरक्षण की स्थाई व्यवस्था न होना भी एक कारण है.

तखतपुर: कभी तखतपुर का ग्रामीण इलाका फलों के राजा आम के लिए मशहूर था, लेकिन पिछले 10 साल से आम को लेकर तखतपुर की ख्याति कम होती जा रही है. लोग अब आम के बगीचे लगाने से कतरा रहे हैं. विशेषकर नई पीढ़ी फलों के बगीचा लगाने के नाम पर कोसों दूर भाग रही है. इसमें उनकी कोई रूचि नहीं दिख रही है. कहीं न कहीं इसमें जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है.

वीडियो

मनियारी नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांव जो कभी मौसमी फलों के लिए मशहूर थे. इन क्षेत्रों में आम के बगीचे हुआ करते थे, लेकिन अब केवल निजी तालाबों के मेड़ों पर ही देसी आम दिखाई देते हैं. ऐसा ही एक गांव है चुलघट, जहां छायादार आम के पेड़ निजी तालाबों की शोभा बढ़ा रहे हैं. इन्हीं के जरिए यहां रह रही ग्रामीणों की तकरीबन 6 पीढ़ियां देसी आमों का आनंद उठा रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में सेंदरी, खरखरही, सुपाड़ी, अथान, ढेकुना, किरही, लोढ़हवा, चेपटी जैसे देसी आमों का मिलना भी कम हो गया है.

ग्रामीणों का कहना है
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि आम के साथ ही अमरुद, जामुन, सीताफल, रामफल, गंगा ईमली, इमली, महुआ जैसे मौसमी फलों की उपलब्धता के लिए तखतपुर पहचाना जाता था, लेकिन कटाई और आंधी-तूफान के कारण जहां पुराने पेड़ खत्म हो रहे हैं. वहीं नये पौधे लगाने को कोई तैयार नहीं है. पेड़-पौधों के बचाव के लिए कई अभियान चलाए गए. समितियां और नियम भी बनाए गए, लेकिन सारे प्रयास धरे के धरे रह गए. प्रशासन द्वारा संरक्षण की स्थाई व्यवस्था न होना भी एक कारण है.

Intro:Body:गांवों से समाप्त हो रहा देशी मौसमी फल ।
फलों का राजा देशी मौसमी देशी आम ,पतन के कगार में।
तखतपुर विधान सभा क्षेत्र का ग्रामीण इलाका देशी मौसमी फल के लिए जाना जाता है। संरक्षण के अभाव में देशी मौसमी फल विलुप्त होने के कगार में है। पुराने पौधों का हवा तूफ़ान, कटाई के कारण समाप्त हो रहे हैं। नये पौधे नहीं लगाने से देशी मौसमी फल पतन के कगार में है। तखतपुर विधान सभा क्षेत्र जीवन दायिनी मनियारी नदी के नाम से मसहूर है और उससे भी ज्यादा यहाँ का मौसमी फल, मौसमी फल अमरुद के लिए तखतपुर जाना जाता है। यहाँ जामुन, आम, अमरुद, सीताफल, रामफल, गंगा ईमली, इमली, मौहा जैसे मौसमी फल की उपलब्धता तखतपुर की शान मानी जाती रही है।
तखतपुर में दूसरा मौसमी फल फलों का राजा आम के लिए मसहूर है। मगर पिछले 10 वर्ष से पतन के कगार में है। मनियारी नदी के किनारे बसा लगभग सैकड़ों गांवों में मौसमी फलों के बगीचें थे जो अब केवल निजी तालाबों के मेढ़ पर देशी आम का नाम बचाये खड़े हैं। ऐसा एक गाँव चुलघट जहाँ निजी तालाब के शोभा और यहाँ के ग्रामीणों के लिए पिछले 6 पीढ़ी से लगातार देशी आम के आचार और पका आम खाने के लिए है। पिछले 10 वर्ष से सेंदरी, खरखरही, सुपाड़ी, अथान ,ढेकुना, किरही,लोढ़हवा,चेपटी जैसे देशी आम फल कम मिल रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया धीरे धीरे समाप्त हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने क ई बार पेड़ पौधे बचाव अभियान और समिति नियम भी बनाया परन्तु आर्थिक संकट से गुजर रहे ग्रामीण सफलता से दूर रहे, शासन प्रशासन द्वारा स्थाई व्यवस्था नहीं होने से पतन होने का कारण बताया।
ग्रामीण नारायण कश्यप बाइट। Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.