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बिलासपुर स्थित एयू के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी आज भी करते हैं तख्त पर बैठकर काम

बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति कक्ष में आप हैरान हो सकते हैं. दरअसल कुलपति प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी आज भी बैठने के लिए लकड़ी की तख्त का प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने अपने चेंबर के गेट पर नीम के पत्ते रखवाए हैं. आज भी लिखने के लिए कमल दवात का उपयोग कर रहे हैं. खबर को विस्तार से पढ़कर जानें कि आखिर कौन हैं कुलपति प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी.

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एयू के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी
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Published : Jun 17, 2021, 10:58 PM IST

बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी अपने अनोखे तरीके के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं. कुलपति साहब कुर्सी छोड़ तख्त पर बैठकर यूनिवर्सिटी का कामकाज कर रहे हैं. उनको तख्त पर बैठ कर काम करता देख लोग हैरान हो जाते हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने चेंबर के गेट पर नीम के पत्ते रखवा दिए थे. कोई भी उनसे मिलने आता था तो नीम की पत्तियां खिलाई जाती थी. स्वाद आता था तो विजिटर्स को एंट्री मिलती थी वरना नहीं.

एयू के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी

26 सालों से तख्त पर ही कर रहे काम

आचार्य वाजपेयी ने बताया कि वे 26 सालों से तख्त पर ही बैठकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गुरुकुल परंपरा में इस तरह के नियमों का पालन किया जाता था, जिसे वे अब भी निभा रहे हैं. कुलपति अभी भी कलम-दवात का उपयोग लिखने में करते हैं. हालांकि सरकारी कामकाज में साइन करने के लिए पेन का ही उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि तख्त पर बैठने से रीढ़ की हड्‌डी में समस्या नहीं होती है. साथ ही शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है.

कुलपति बनते ही बदले रिवाज

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 22 फरवरी को प्रोफेसर आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी को कुलपति बनाया था. कुलपति बनने के पश्चात जब वे यूनिवर्सिटी पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने गेट पर ही अपनी शॉल बिछाई और हवन-पूजन किया. इसके बाद कक्ष में पहुंचते ही उन्होंने कुर्सी हटवाने और लकड़ी का तख्त लगवाने को कहा था, ताकि वह उसमें बैठकर विश्वविद्यालय के कार्य कर सकें.

एयू के कुलपति आचार्य वाजपेयी अर्थशास्त्री और कवि भी हैं. इसके अलावा इनकी किताबें अरुण सतसई-2014, रंग और पंकज के शिष्य प्रकाशित हुई हैं. बता दें भारत सरकार द्वारा गठित महात्मा गांधी के 150वीं जन्म उत्सव समिति के सदस्य भी हैं. एयू के कुलपति के अलावा इनके पास अन्य प्रभार भी हैं. इसमें गृह मंत्रालय, भारत सरकार की सांप्रदायिक सद्भाव राष्ट्रीय प्रतिष्ठान के संचालक मंडल में सदस्य, भाषा विशेषज्ञ समिति संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार में सदस्य, टास्क फोर्स कमेटी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मध्य प्रदेश शासन में सदस्य, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं.

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कई सम्मानों से सम्मानित

आचार्य बाजपेयी पूर्व में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति, महात्मा गांधी चित्रकूट विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के पूर्व कुलपति रह चुके हैं. भारतीय विश्वविद्यालय संघ नई दिल्ली के पूर्व महासचिव, एसोसिएशन ऑफ कामनवेल्थ यूनिवर्सिटीज लंदन के पूर्व परिषद सदस्य, भारतीय अर्थशास्त्र परिषद मुंबई के पूर्व कोषाध्यक्ष और सचिव रहे हैं. इन्हें हिमाचल गौरव सम्मान, कौटिल्य बेस्ट इकोनामिस्ट अवार्ड, राधाकृष्णन अंतरराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान, जैन मित्र अवार्ड, अंबेसडर ऑफ पीस अवार्ड, गुरु वशिष्ठ सम्मान, साधक शिरोमणि सम्मान सहित अन्य सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं.

गेट पर नीम की पत्ती

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुलपति ने अपने कार्यालय के गेट पर नीम की पत्ती रखी. अप्रैल में जब कोरोना संक्रमण बहुत फैला हुआ था तो कुलपति वाजपेयी से मिलने आने वाले लोगों को नीम की पत्तियां चबाने के लिए देते थे. इसके बाद ही वह उनके कक्ष के भीतर प्रवेश दिया जाता था. उन्होंने इसे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति बताई है जो आज भी उनके कक्ष के बाहर लगी हुई है. हालांकि जो नीम नहीं चबाना चाहता था, उसके लिए सैनिटाइजर की भी व्यवस्था थी. ताकि कोई भी संक्रमित न हो.

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कुलपति ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय

बिलासपुर के अटल यूनिवर्सिटी के कुलपति बनने के पश्चात प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने कई महत्वपूर्ण निर्णय छात्र हितों को ध्यान में रखकर लिया है. साथ ही उन्होंने आगे भी यूनिवर्सिटी के शिक्षण संबंधित व्यवस्था को बढ़ाने और छात्र हित को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की बात कही है.

  • छात्रों के उत्तर पुस्तिका व डाक शुल्क का पैसा वापस करने का निर्णय लिया.
  • UTD में NCC शुरू करने NCC के कर्नल से चर्चा की.
  • सहायक प्राध्यापकों को सीनियर सहायक प्राध्यापक के वेतन की घोषणा.
  • 5 साल रुकी Ph D शुरू की गई, तीन DRC हुई.
  • सह प्राध्यापक को प्राध्यापक बनाने कमेटी गठित करने की प्रक्रिया शुरू.
  • UTD के विभागों के रिजल्ट जारी किए.
  • 10 साल से अटकी 12बी की मान्यता के लिए UGC टीम को निरीक्षण की तारीख दी गई.

बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी अपने अनोखे तरीके के लिए सुर्खियां बटोर रहे हैं. कुलपति साहब कुर्सी छोड़ तख्त पर बैठकर यूनिवर्सिटी का कामकाज कर रहे हैं. उनको तख्त पर बैठ कर काम करता देख लोग हैरान हो जाते हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपने चेंबर के गेट पर नीम के पत्ते रखवा दिए थे. कोई भी उनसे मिलने आता था तो नीम की पत्तियां खिलाई जाती थी. स्वाद आता था तो विजिटर्स को एंट्री मिलती थी वरना नहीं.

एयू के कुलपति अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी

26 सालों से तख्त पर ही कर रहे काम

आचार्य वाजपेयी ने बताया कि वे 26 सालों से तख्त पर ही बैठकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गुरुकुल परंपरा में इस तरह के नियमों का पालन किया जाता था, जिसे वे अब भी निभा रहे हैं. कुलपति अभी भी कलम-दवात का उपयोग लिखने में करते हैं. हालांकि सरकारी कामकाज में साइन करने के लिए पेन का ही उपयोग करते हैं. उन्होंने बताया कि तख्त पर बैठने से रीढ़ की हड्‌डी में समस्या नहीं होती है. साथ ही शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है.

कुलपति बनते ही बदले रिवाज

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 22 फरवरी को प्रोफेसर आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी को कुलपति बनाया था. कुलपति बनने के पश्चात जब वे यूनिवर्सिटी पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने गेट पर ही अपनी शॉल बिछाई और हवन-पूजन किया. इसके बाद कक्ष में पहुंचते ही उन्होंने कुर्सी हटवाने और लकड़ी का तख्त लगवाने को कहा था, ताकि वह उसमें बैठकर विश्वविद्यालय के कार्य कर सकें.

एयू के कुलपति आचार्य वाजपेयी अर्थशास्त्री और कवि भी हैं. इसके अलावा इनकी किताबें अरुण सतसई-2014, रंग और पंकज के शिष्य प्रकाशित हुई हैं. बता दें भारत सरकार द्वारा गठित महात्मा गांधी के 150वीं जन्म उत्सव समिति के सदस्य भी हैं. एयू के कुलपति के अलावा इनके पास अन्य प्रभार भी हैं. इसमें गृह मंत्रालय, भारत सरकार की सांप्रदायिक सद्भाव राष्ट्रीय प्रतिष्ठान के संचालक मंडल में सदस्य, भाषा विशेषज्ञ समिति संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार में सदस्य, टास्क फोर्स कमेटी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मध्य प्रदेश शासन में सदस्य, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष हैं.

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कई सम्मानों से सम्मानित

आचार्य बाजपेयी पूर्व में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के कुलपति, महात्मा गांधी चित्रकूट विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के पूर्व कुलपति रह चुके हैं. भारतीय विश्वविद्यालय संघ नई दिल्ली के पूर्व महासचिव, एसोसिएशन ऑफ कामनवेल्थ यूनिवर्सिटीज लंदन के पूर्व परिषद सदस्य, भारतीय अर्थशास्त्र परिषद मुंबई के पूर्व कोषाध्यक्ष और सचिव रहे हैं. इन्हें हिमाचल गौरव सम्मान, कौटिल्य बेस्ट इकोनामिस्ट अवार्ड, राधाकृष्णन अंतरराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान, जैन मित्र अवार्ड, अंबेसडर ऑफ पीस अवार्ड, गुरु वशिष्ठ सम्मान, साधक शिरोमणि सम्मान सहित अन्य सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं.

गेट पर नीम की पत्ती

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुलपति ने अपने कार्यालय के गेट पर नीम की पत्ती रखी. अप्रैल में जब कोरोना संक्रमण बहुत फैला हुआ था तो कुलपति वाजपेयी से मिलने आने वाले लोगों को नीम की पत्तियां चबाने के लिए देते थे. इसके बाद ही वह उनके कक्ष के भीतर प्रवेश दिया जाता था. उन्होंने इसे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति बताई है जो आज भी उनके कक्ष के बाहर लगी हुई है. हालांकि जो नीम नहीं चबाना चाहता था, उसके लिए सैनिटाइजर की भी व्यवस्था थी. ताकि कोई भी संक्रमित न हो.

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कुलपति ने लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय

बिलासपुर के अटल यूनिवर्सिटी के कुलपति बनने के पश्चात प्रोफेसर अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने कई महत्वपूर्ण निर्णय छात्र हितों को ध्यान में रखकर लिया है. साथ ही उन्होंने आगे भी यूनिवर्सिटी के शिक्षण संबंधित व्यवस्था को बढ़ाने और छात्र हित को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की बात कही है.

  • छात्रों के उत्तर पुस्तिका व डाक शुल्क का पैसा वापस करने का निर्णय लिया.
  • UTD में NCC शुरू करने NCC के कर्नल से चर्चा की.
  • सहायक प्राध्यापकों को सीनियर सहायक प्राध्यापक के वेतन की घोषणा.
  • 5 साल रुकी Ph D शुरू की गई, तीन DRC हुई.
  • सह प्राध्यापक को प्राध्यापक बनाने कमेटी गठित करने की प्रक्रिया शुरू.
  • UTD के विभागों के रिजल्ट जारी किए.
  • 10 साल से अटकी 12बी की मान्यता के लिए UGC टीम को निरीक्षण की तारीख दी गई.
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