बिलासपुर: नवरात्र के इस खास मौके पर ETV भारत आपको अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित देवी मां के दर्शन करा रहा है. इसी कड़ी में बिलासपुर के चिंगराजपारा में स्थित माता धूमावती (Dhumavati Mata temple of Bilaspur ) के दर्शन करते हैं. मां धूमावती 'चिट्ठी वाली देवी माता' (chitthee wali maata) के नाम से भी जानी जाती हैं. क्या है यहां कि खासियत और माता का नाम चिट्ठी वाली माता कैसे पड़ा ये जानते हैं.
बिलासपुर के चिंगराजपारा (Chingrajpara Bilaspur ) स्थित इस मंदिर में शंकर जी के साथ-साथ कई देवी देवताओं की स्थापना की गई है. इन्हीं देवी-देवताओं में एक है मां धूमा देवी. शनिवार को मां की विशेष पूजा होती है. मान्यता है कि कोई भी भक्त यदि सच्चे मन से अपनी मन्नत चिट्ठी लिखकर इनके चरणों में रखता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद माता को धन्यवाद देने का तरीका भी खास है. भक्त माता को मिर्ची भजिया, प्याज भजिया, दही वड़ा, जलेबी, पूड़ी और हल्वे का भोग लगाते हैं.
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भारत-चीन युद्ध के समय से हैं प्रसिद्ध
इस मंदिर में देवी माता के अनोखे स्वरूप के साथ ही पुराना इतिहास भी जुड़ा हुआ है. साल 1962 में भारत और चीन के विनाशकारी युद्ध से राष्ट्र की रक्षा के लिए सबसे पहले मध्यप्रदेश के दतिया जिले में धूमावती देवी मां की स्थापना की गई. इसके बाद 2003 में पीताम्बर पीठ में माता धूमावती मंदिर की स्थापना बिलासपुर में की गयी. इस मंदिर को लेकर लोगों मे एक अलग ही श्रद्धा है. मंदिर की धूमावती माता की कृपा पाने के लिए भक्त मन में बोलकर नहीं बल्कि चिट्ठी लिखकर मां से अपने मन की बात बताते हैं. माता भी भक्तों की चिट्ठी पढ़कर उनकी समस्या का समाधान करती है. कहा जाता है कि 3 दिन में किसी की भी मन्नत पूरी हो जाती है.
हर शनिवार को भक्त चढ़ाते हैं चिट्ठी
मंदिर के पुरोहित देवानन्द गुरु ने बताया कि 'माता धूमावती की आराधना पूरे भारत में प्रसिद्द है. क्योकि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, माता धूमावती उनके कष्टों को दूर जरूर करती है. इसका प्रमाण भारत-चीन युद्ध से मिलता है. जब भारत और चीन का युद्ध हो रहा था तब महागुरु ने माता धूमावती का आह्वान कर अनुष्ठान किया. इसके तीन दिनों के भीतर ही चीनियों को हार का मुह देखना पड़ा था. माता धूमावती की कृपा की कई कहानियां प्रसिद्ध है. माता को मिर्ची भजिया का भोग चढ़ाया जाता है. माता के भक्त दूर-दूर से आते है और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए चिठ्ठी लिखते हैं. नवरात्र के दौरान पूरे 9 दिनों तक माता को चिट्ठी लिखकर अर्जी लगाया जाता है.
यहां आने वाले श्रद्धालुओं का भी कहना है कि यहां आने के बाद कई बार उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. हर शनिवार को वे चिट्ठी लेकर आते हैं और मां को चढ़ाते हैं. इसी तरह मां की प्रसिद्धि बढ़ती गई. श्रद्धालुओं का कहना है कि जब से क्षेत्र में माता विराजमान है, तब से क्षेत्र में प्राकृतिक विपदाओं में कमी आई है.