बिलासपुर : जिले में गर्मियों में आए दिन आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं, लेकिन आग से निपटने वाला दमकल विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. वहीं जो स्टाफ है उसमें से आधे से ज्यादा स्टाफ पूरी तरह प्रशिक्षित भी नहीं है, जिसका खामियाजा जान-माल को हो सकता है.
दरअसल, जिले में 40 लोगों का स्टाफ है इनमें से आधे से ज्यादा स्टाफ अर्ध प्रशिक्षित स्टाफ है. इसके अलावा फायर ब्रिगेड वाहन के चालक भी सिर्फ 9 ही हैं. ऐसे में जब कभी एक से अधिक जगहों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं तो ज्यादातर स्टाफ को ओवर ड्यूटी करनी पड़ती है.
हाइड्रोलिक वाहन की कमी
फायर बिग्रेड टीम के साथ सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि उनके पास एक भी हाइड्रोलिक वाहन नहीं है. इस कारण ऊंची इमारतों में आग की घटना घटने पर आग पर कापू करना मुश्किल हो जाता है.
अवेयरनेस की कमी
एक्सपर्ट की मानें तो ऐसी घटना को लेकर आम लोगों में भी अवेयरनेस की कमी है. ऐसी घटनाओं में लोग अक्सर पुलिस को फोन करते हैं फिर डायल 112 पर फोन लगाते हैं. इससे कम्युनिकेशन गैप होता है और इसका खामियाजा आग से पीड़ित हुए लोगों को उठाना पड़ता है.
शॉर्ट सर्किट अहम कारण
एक्सपर्ट के मुताबिक आग की घटना का सबसे अहम कारण है शॉर्टसर्किट. इसके लिए लोगों को बिजली के तारों को अक्सर चेक करवाते रहना चाहिए. इसके अलावा पुराने बिजली के ट्रांसफार्मर के नजदीक भी आग लगने की संभावना अत्यधिक रहती है. बिजली विभाग के लोगों को भी इस पर सतर्कता बरतनी चाहिए.
बिलासपुर और उसके आसपास के इलाकों में रोजाना 5 से 7 आग लगने की घटनाएं घटती हैं ऐसे में दमकल विभाग के कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनके पास अत्याधुनिक उपकरण नहीं हैं. साथ ही स्टाफ की कमी से भी विभाग जूझ रहा है, लेकिन मौजूदा स्टाफ ओवर टाइम कर अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा रहा है.