बिलासपुर: झीरम घाटी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस केस में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर कभी भी अपना फैसला सुना सकता है. झीरम घाटी हत्याकांड में एनआईए की याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. झीरम कांड में अब कभी भी फैसला आ सकता है
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बुधवार को झीरम कांड पर दूसरे दिन भी सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच में पिछले दो दिन से चल रही थी. मंगलवार को NIA की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी और हाईकोर्ट के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने बहस की. इस दौरान उन्होंने NIA एक्ट का हवाला देते हुए कहा, कि जिस मामले की एनआईए जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है
राज्य शासन ने रखा अपना पक्ष
उन्होंने कहा कि कोई बिंदु जांच करने लायक अगर है तो उसे NIA के सामने रखा जा सकता है. इस मामले में बुधवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील ओटवानी ने शासन का पक्ष रखते हुए कहा, कि ट्रायल कोर्ट को इस केस को ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं था. नियमों के अनुसार एक FIR को दूसरे प्रकरण में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. झीरम घाटी हत्याकांड वृहद राजनीतिक षडयंत्र है, जिस पर NIA ने जांच नहीं की है. इसी वजह से राज्य पुलिस ने अलग से अपराध दर्ज किया है.
जितेंद्र मुदलियार के वकील ने दी ये दलील
हस्तक्षेपकर्ता और पुलिस में आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने वाले जितेंद्र मुदलियार की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने पक्ष रखा. उन्होंने NIA एक्ट को अपवाद बताया और कहा, कि किसी भी अपराध की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस को होता है. NIA किसी विशेष प्रकरण की ही जांच कर सकती है. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.