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सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर HC ने शासन से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर जवाब मांगा है.

bilaspur high court
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Published : Jan 22, 2021, 9:33 PM IST

बिलासपुर : सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी किया है. राज्य शासन ने प्रदेश के करीब 200 से ज्यादा स्कूलों को मीडिल से हायर सेकेंडरी तक अंग्रेजी मीडियम में बदलने का निर्णय लिया था. इसके खिलाफ जशपुर निवासी और संस्था अंक भारती के संयोजक डॉ रविन्द्र वर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. इसके अलावा हिंदी अंकों का प्रयोग बंद करने पर भी एक पीआईएल लगाई गई है.

पढ़ें : राज्य के सभी बड़े शहरों में अंग्रेजी माध्यम के उत्कृष्ट स्कूल किए जाएंगे शुरू

चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में याचिकाकर्ता ने खुद पैरवी की है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि पिटिशन में कुछ तकनीकी सुधार की जरूरत है. स्कूलों के अलावा हिंदी के अंकों को लेकर भी जनहित याचिका लगाई गई है. याचिका में कहा गया कि हिंदी माध्यम के विद्यालय बंद होने से हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. अंग्रेजी स्कूल खोलने पर आपत्ति नहीं है. लेकिन हिंदी माध्यम स्कूलों को बन्द न किया जाए. जिस तरह से पढ़ाई की योजना है और हिंदी अध्यापकों का थोक में तबादला किया जा रहा है. उससे शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर असर पड़ेगा.

प्रदेश में 51 शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल

छत्तीसगढ़ में 51 शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए है. जिसमें दुर्ग जिले में सर्वाधिक 10, बलरामपुर जिले में 4, रायपुर, कोरबा और बिलासपुर में 3-3, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, कोरिया, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और सरगुजा में 2-2 और बाकी जिले में 1-1 स्कूल स्वीकृत किए गए हैं.

शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में 27 हजार 741 बच्चों का दाखिला किया गया है और इनकी ऑनलाइन क्लास भी जारी है. इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अधोसंरचना का कार्य 128 करोड़ रुपये की लागत से तेजी से कराया जा रहा है.

बिलासपुर : सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी किया है. राज्य शासन ने प्रदेश के करीब 200 से ज्यादा स्कूलों को मीडिल से हायर सेकेंडरी तक अंग्रेजी मीडियम में बदलने का निर्णय लिया था. इसके खिलाफ जशपुर निवासी और संस्था अंक भारती के संयोजक डॉ रविन्द्र वर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. इसके अलावा हिंदी अंकों का प्रयोग बंद करने पर भी एक पीआईएल लगाई गई है.

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चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच में याचिकाकर्ता ने खुद पैरवी की है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि पिटिशन में कुछ तकनीकी सुधार की जरूरत है. स्कूलों के अलावा हिंदी के अंकों को लेकर भी जनहित याचिका लगाई गई है. याचिका में कहा गया कि हिंदी माध्यम के विद्यालय बंद होने से हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. अंग्रेजी स्कूल खोलने पर आपत्ति नहीं है. लेकिन हिंदी माध्यम स्कूलों को बन्द न किया जाए. जिस तरह से पढ़ाई की योजना है और हिंदी अध्यापकों का थोक में तबादला किया जा रहा है. उससे शिक्षा के बुनियादी ढांचे पर असर पड़ेगा.

प्रदेश में 51 शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल

छत्तीसगढ़ में 51 शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए है. जिसमें दुर्ग जिले में सर्वाधिक 10, बलरामपुर जिले में 4, रायपुर, कोरबा और बिलासपुर में 3-3, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, कोरिया, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही और सरगुजा में 2-2 और बाकी जिले में 1-1 स्कूल स्वीकृत किए गए हैं.

शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में 27 हजार 741 बच्चों का दाखिला किया गया है और इनकी ऑनलाइन क्लास भी जारी है. इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अधोसंरचना का कार्य 128 करोड़ रुपये की लागत से तेजी से कराया जा रहा है.

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