बिलासपुर: राज्य स्त्रोत निशक्त जन-संस्थान में हुए करोड़ों के घोटाले मामले में शुक्रवार को राज्य सरकार समेत अनेक IAS अधिकारी हाईकोर्ट पहुंचे. मामले में राज्य सरकार और कई IAS अधिकारी ने रिव्यू पिटीशन दायर की, जिसे हाईकोर्ट की जस्टिस प्रशांत मिश्रा और गौतम चरोड़िया कि बेंच ने सुनने से इंकार कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में प्रशांत मिश्रा और पीपी साहू की डिविजन बेंच ने अपना फैसला दिया था इसलिए हम इसे नहीं सुन सकते.
बता दें कि मामले में याचिकाकर्ता के वकील देवर्षि ठाकुर ने कहा है कि अगर 7 दिन में सीबीआई मामले में FIR दर्ज नहीं करती है तो अवमानना की याचिका दायर करेंगे. प्रशांत मिश्रा और पीपी साहू की डिविजन बेंच ने CBI को एक हफ्ते में FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे.
क्या है पूरा मामला
मामला समाज कल्याण विभाग से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता कुंदनसिंह ठाकुर की ओर से आरोप लगाया गया था कि राज्य स्त्रोत निःशक्त जन संस्थान केवल कागजों में बनाई गई है. इसमें याचिकाकर्ता और अन्य लोगों को कर्मचारी बताकर सभी भत्तों के साथ वेतन आहरित किया जाता था. इस संस्थान के माध्यम से निःशक्तजनों को प्रशिक्षण दिया जाना और उन्हें बेहतर जीवन उपलब्ध कराए जाने की कवायद की जाती थी, लेकिन यह सब कुछ कागजों में था. बीते दस सालों में इस संस्थान के माध्यम से अब तक एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है.
केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह पर भी आरोप
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कई लोगों को पक्षकार बनाया है, जिसमें रिटायर्ड CS, रिटायर ACS, पूर्व IAS बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पीपी सोटी, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हेमंत खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा के नाम शामिल हैं. बता दें कि याचिकाकर्ता ने रेणुका सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. रेणुका सिंह पहले राज्य स्त्रोत निःशक्त जन संस्थान की चेयरमैन थी और फिलहाल केंद्रीय मंत्री है उन्हें भी याचिका में पक्षकार बनाया गया है.