बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 18 से 45 वर्ष के लोगों के वैक्सीनेशन में वर्गीकरण को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से वैक्सीनेशन में वर्गीकरण करना न्यायोचित नहीं है. वैक्सीनेशन को लेकर नीति तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को है ना कि राज्य सरकार को. राज्य सरकार की गरीबों तक लाभ पहुंचाने की मंशा सही है. लेकिन सभी का टीकाकरण हो सके इसके लिए ठोस नीति की जरूरत है.
राज्य सरकार ने बीते दिनों आदेश जारी किया था. जिसमें 18+ लोगों के वैक्सीनेशन में पहले अंत्योदय कार्ड धारकों, फिर बीपीएल और उसके बाद एपीएल कार्ड धारकों को वैक्सीन लगाने की बात कही गई. सरकार के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अमित जोगी सहित अन्य लोगों ने याचिका दायर की है. सोमवार को मामले में वकील सभ्य सांची भादुड़ी की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
रायपुर में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी नहीं लगी वैक्सीन, लोगों ने राज्य सरकार को कोसा
ठोस नीति प्रस्तुत करे सरकार: हाईकोर्ट
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सरकार के फैसले को संविधान में समानता का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 14 के खिलाफ बताया. याचिकाकर्ता की तरफ से किशोर भादुड़ी ने अपनी दलील में कहा कि सरकार के इस फैसले से दूसरे वर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन में देरी होगी. जिससे संक्रमण की वजह से राज्य में मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है. कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से शुक्रवार तक ठोस नीति प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि ठोस नीति न पेश कर पाने की स्तिथि में राज्य सरकार का यह आदेश हम रद्द कर देंगे. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने की.
लोग भी छत्तीसगढ़ सरकार के इस आदेश से खुश नजर नहीं आ रहे हैं.