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प्राइवेट स्कूलों ने याचिका दायर कर कहा, 'फीस निर्धारण का अधिकार सरकार को नहीं' - प्राइवेट स्कूल का फीस को लेकर याचिका

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के जरिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

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Published : Jan 22, 2021, 10:55 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने फीस निर्धारण को लेकर याचिका दायर की है. इस याचिका में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 को चुनौती दी गई है. कोर्ट को बताया गया है कि अशासकीय विद्यालयों के फीस का निर्धारण करने का अधिकार राज्य शासन के पास नहीं है.

पढ़ें : सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर HC ने शासन से मांगा जवाब

फीस निर्धारण को लेकर याचिका

पीएनए पाई फाउंडेशन इस्लामिक एजुकेशन और पीए नामदार केस का हवाला देते हुए अशासकीय विद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर के संबंध में तथ्य रखा गया. इसमें कहा गया है कि फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ विद्यालय प्रबंधन को है. राज्य शासन सिर्फ प्रवेश और एकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है.

हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में हुई.कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी और बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने फीस निर्धारण को लेकर याचिका दायर की है. इस याचिका में छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 को चुनौती दी गई है. कोर्ट को बताया गया है कि अशासकीय विद्यालयों के फीस का निर्धारण करने का अधिकार राज्य शासन के पास नहीं है.

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फीस निर्धारण को लेकर याचिका

पीएनए पाई फाउंडेशन इस्लामिक एजुकेशन और पीए नामदार केस का हवाला देते हुए अशासकीय विद्यालयों के फीस स्ट्रक्चर के संबंध में तथ्य रखा गया. इसमें कहा गया है कि फीस निर्धारण का अधिकार सिर्फ विद्यालय प्रबंधन को है. राज्य शासन सिर्फ प्रवेश और एकेडमिक स्टैंडर्ड पर ध्यान दे सकती है.

हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में हुई.कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया है.

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