बिलासपुर : सिविल लाइन थाना क्षेत्र में जमीन की खरीद बिक्री करने वाले युवक के साथ तीस लाख की धोखाधड़ी हो गई. युवक का नाम राजेश अग्रवाल है जो सिंधी कॉलोनी में रहता है. दिसंबर 2019 में जबलपुर जाते वक्त राजेश को कटनी के पास ट्रेन में राजेश पाठक नाम का व्यक्ति मिला. राजेश ने बताया कि वो रीवा का रहने वाला है और एनजीओ चलाता है.राजेश के मुताबिक उसका एनजीओ रांची में है.इस दौरान दोनों ने एक दूसरे का नंबर एक्सचेंज किया. करीब दो साल तक दोनों फोन के माध्यम से जुड़े रहे.
कैसे की धोखाधड़ी : इस दौरान एनजीओ संचालक ने युवक राजेश को बताया कि यदि वो उसके एनजीओ में 30 लाख रुपए लगाते हैं तो तीन महीने के अंदर वो 40 लाख रुपए लौटाएगा.इसके लिए आरोपी ने राजेश को अपने रांची वाले दफ्तर में बुलाया. राजेश अग्रवाल अपने दोस्त कमलकान्त के साथ 10 जनवरी 2022 को वहां गया. इस दौरान आरोपी ने राजेश और उसके मित्र को अपने दफ्तर ले जाकर काफी सारी रकम दिखाई.राजेश को आरोपी एनजीओ संचालक पर भरोसा हो चुका था.इसके बाद 28 जनवरी 2022 में राजेश पाठक बिलासपुर आया और राजेश अग्रवाल से मुलाकात की.
आरोपी ने 30 लाख रुपए कैश लिए : इस दौरान राजेश अग्रवाल ने एनजीओ संचालक से दस्तावेज और अनुबंध की कॉपी मांगी.लेकिन उसे सिर्फ एनजीओ की कॉपी दी गई.आरोपी ने कहा कि अभी आप तीस लाख रुपए दे दीजिए ताकि प्रोजेक्ट में पैसा लगाया जा सके.इसके बाद कभी भी रांची आकर अनुबंध में हस्ताक्षर कर लेना.राजेश अग्रवाल भी आरोपी की बातों में आकर उसे पैसे दे दिए.जिसकी रसीद एनजीओ संचालक ने दे दी और वहां से वापस रांची चला आया.
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फर्जी निकली रसीद : तीन महीने बीत जाने के बाद जब राजेश अग्रवाल को फायदा नहीं हुआ तो उसने राजेश पाठक से अपने पैसे वापस मांगे.लेकिन राजेश हर बार उसे अलग अलग जगह पर बुलाकर गुमराह करता रहा.और एक दिन चकमा देकर फरार हो गया. परेशान होकर प्रार्थी ने राजेश पाठक और उनके साथियों के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से तीस लाख की ठगी करने का मामला थाने में दर्ज करा दिया.