बिलासपुर: सरकारी नौकरी में तमाम तरह की परेशानियां आती हैं, जिनके निराकरण के लिए लोग कोर्ट का रुक करते हैं. आमतौर पर सरकारी सेना के दौरान गृह जनपद तैनाती बहुत ही विरले मिलती है. यहि किसी को गृह जनपद मिल भी जाए तो हमेशा ट्रांसफर की तलवार लटकती रहती है. अपने ट्रांसफर के भय से एक महिला तहसीलदार ने हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ में अनोखी याचिका लगाई है. याचिकाकर्ता तहसीलदार पूनम तिवारी ने अपना गृह जिला बदलकर भदोही उत्तर प्रदेश करने की मांग का है.
कांकेर जिले में हुई थी पहली तैनाती: याचिकाकर्ता पूनम तिवारी का नायाब तहसीलदार के पद पर चयन 4 मार्च 2014 को हुआ था. उनकी तैनाती कांकेर जिले में हुई. साल 2016 में कांकेर से बिलासपुर ट्रांसफर हुआ और वर्ष 2018 में बिलासपुर से मुंगेली. साल 2020 में उनकी पदोन्नति नायब तहसीलदार से तहसीलदार के पद पर हुई और पोस्टिंग मुंगेली में बनी रही. 30 सितम्बर 2022 को इनका स्थानान्तरण मुँगेली जिले से तहसीलदार राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण शाला बिलासपुर हुआ. 28 अगस्त 2022 को उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया.
सेवा पुस्तिका में बिलासपुर दर्ज है गृह जनपद: तहसीलदार पूनम तिवारी ने 26 दिसंबर 2022 को एक अभ्यावेदन सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, राजस्व-आपदा प्रबन्धन विभाग को देकर कहा कि उनकी सेवा पुस्तिका में उनके गृह जिले का पता सिरगिट्टी बिलासपुर दर्ज है. उनका विवाह वर्ष 2019 में नीरज मिश्रा के साथ हुआ है, जो कि जिला भदोही उत्तरप्रदेश के निवासी हैं. इसलिए उनके गृह जिले में परिवर्तन करते हुए भदोही (संत रविदास नगर) कर दिया जाए. शासन की ओर से इसका निराकरण नहीं होने पर वकील मतीन सिद्दीकी, संदीप सिंह, मोनिका ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की.
याचिका में दिया गया है यह तर्क: याचिकाकर्ता तहसीलदार पूनम तिवारी ने कहा कि वर्तमान जगह पर उनकी पदस्थापना हुए 14 महीने ही हुए हैं. फिर भी आशंका है कि गृह जिला बिलासपुर दर्शित होने से उनका तबादला दूसरी जगह हो सकता है. अगर राज्य शासन उनके गृह जिले पर तत्काल निर्णय नहीं लेता है, तो उनको जिले से बाहर स्थानान्तरित किया जा सकता है. साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें चुनाव संबंधी कोई भी कार्य आबंटित नहीं किया गया है. जस्टिस पी सैम कोशी ने याचिका को निराकरण करते हुए विभाग को 45 दिनों में निर्णय लेने को कहा है.