बिलासपुर: मजदूरों का जत्था रोजी कमाने के लिए अपने गांव को छोड़ परदेश के लिए रवाना होने वाला है. इन तस्वीरों को देखकर तो आप अंदाजा लगा ही चुके होंगे कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं.
अमूमन इस वक्त लोग परदेश से वापस आकर अपने खेतों में मेहनत किया करते थे, ताकि वो अनाज उगा सकें और अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिता सकें, लेकिन अफसोस इस साल कुदरत की मार ने उन्हें लाचार कर दिया और सूखे की मार झेल रहे इलाकों के लोगों ने मजबूरी में मजदूरी का रास्ता चुन लिया.
रोजी के तलाश में करते हैं पलायन
फिलहाल ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब रेलवे स्टेशन पर रोटी की तलाश में गैर शहर जाने वालों का दीदार न होता हो. ये लोग दूसरे शहरों में जाकर देह पीटते हैं ताकि उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.
प्रशासन ने दिया आश्वासन
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इस पलायन की भनक नहीं है , जिम्मेदार नियमों का हवाला देकर हाथ खडे कर चुके हैं. अमूमन सवाल उठने पर सिस्टम योजनाओं से गरीबों के जख्म पर मरहम लगाने की बात तो करता है.
पलायन को मजबूर किसान
लेकिन आप खुद सोचिए कि अगर सच में योजनाओं का फायदा हितग्राहियों तक पहुंच पाता तो शायद ही कोई होता जो. रोटी की तलाश में दूसरे शहर का रुख करता.