ETV Bharat / state

मौसम की मार ने किया लाचार, पलायन के लिए मजबूर हुए किसान

बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही बिलासपुर के आस-पास के इलाकों के लोग काम की तलाश में दूसरे शहरों का रुख करने लगे हैं.

पलायन को मजबूर किसान
author img

By

Published : Jul 25, 2019, 11:05 PM IST

बिलासपुर: मजदूरों का जत्था रोजी कमाने के लिए अपने गांव को छोड़ परदेश के लिए रवाना होने वाला है. इन तस्वीरों को देखकर तो आप अंदाजा लगा ही चुके होंगे कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं.
अमूमन इस वक्त लोग परदेश से वापस आकर अपने खेतों में मेहनत किया करते थे, ताकि वो अनाज उगा सकें और अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिता सकें, लेकिन अफसोस इस साल कुदरत की मार ने उन्हें लाचार कर दिया और सूखे की मार झेल रहे इलाकों के लोगों ने मजबूरी में मजदूरी का रास्ता चुन लिया.

पलायन के लिए मजबूर हुए किसान

रोजी के तलाश में करते हैं पलायन
फिलहाल ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब रेलवे स्टेशन पर रोटी की तलाश में गैर शहर जाने वालों का दीदार न होता हो. ये लोग दूसरे शहरों में जाकर देह पीटते हैं ताकि उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.

प्रशासन ने दिया आश्वासन
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इस पलायन की भनक नहीं है , जिम्मेदार नियमों का हवाला देकर हाथ खडे कर चुके हैं. अमूमन सवाल उठने पर सिस्टम योजनाओं से गरीबों के जख्म पर मरहम लगाने की बात तो करता है.

पलायन को मजबूर किसान
लेकिन आप खुद सोचिए कि अगर सच में योजनाओं का फायदा हितग्राहियों तक पहुंच पाता तो शायद ही कोई होता जो. रोटी की तलाश में दूसरे शहर का रुख करता.

बिलासपुर: मजदूरों का जत्था रोजी कमाने के लिए अपने गांव को छोड़ परदेश के लिए रवाना होने वाला है. इन तस्वीरों को देखकर तो आप अंदाजा लगा ही चुके होंगे कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं.
अमूमन इस वक्त लोग परदेश से वापस आकर अपने खेतों में मेहनत किया करते थे, ताकि वो अनाज उगा सकें और अपने परिवार के साथ कुछ वक्त बिता सकें, लेकिन अफसोस इस साल कुदरत की मार ने उन्हें लाचार कर दिया और सूखे की मार झेल रहे इलाकों के लोगों ने मजबूरी में मजदूरी का रास्ता चुन लिया.

पलायन के लिए मजबूर हुए किसान

रोजी के तलाश में करते हैं पलायन
फिलहाल ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जब रेलवे स्टेशन पर रोटी की तलाश में गैर शहर जाने वालों का दीदार न होता हो. ये लोग दूसरे शहरों में जाकर देह पीटते हैं ताकि उनके परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.

प्रशासन ने दिया आश्वासन
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इस पलायन की भनक नहीं है , जिम्मेदार नियमों का हवाला देकर हाथ खडे कर चुके हैं. अमूमन सवाल उठने पर सिस्टम योजनाओं से गरीबों के जख्म पर मरहम लगाने की बात तो करता है.

पलायन को मजबूर किसान
लेकिन आप खुद सोचिए कि अगर सच में योजनाओं का फायदा हितग्राहियों तक पहुंच पाता तो शायद ही कोई होता जो. रोटी की तलाश में दूसरे शहर का रुख करता.

Intro:शुरुआती मॉनसूनी बारिश के बाद प्रदेश में बारिश कुछ इस तरह रूठा कि अब प्रदेश के मजदूर, किसान शहर से दूर महानगरों की ओर पलायन को मजबूर हो चुके हैं । बिलासपुर और उसके आसपास के जिलों की बात करें तो पलायन कर रहे मजदूर किसानों की स्थिति यहां कुछ ज्यादा ही भयावह है । स्थिति ऐसी है कि इनदिनों दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की ओर जानेवाली गाड़ियों में बड़े तादात में किसान और मजदूर पलायन को मजबूर हैं ।






Body:पलायन की इन्ही सच्चाई को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम आज बिलासपुर स्टेशन पर पहुंची तो स्थिति वाकई चिंताजनक थी । जिस ट्रेन में अभी आप भेड़ बकरियों की तरह मजदूर और किसानों को बाहर जाते हुए देख रहे हैं वह पुणे-बिलासपुर एक्सप्रेस है । आप भी सुनिये पलायन कर रहे इन मजदूरों के मुंह से उनकी मजबूरी को। सभी मजदूरों का यही कहना है कि समय पर बारिश नहीं होने के कारण अब वो सूखे के
हालात में गांव में और नहीं रह सकते । उनके लिए रोजी रोटी की
संकट आ गई है इसलिए वो महानगरों में काम की तलाश में निकल चुके हैं । ऐसी स्थिति फ़िलहाल रोज देखने को मिल रही है । खेती के लिहाज से बात करें तो यह समय बोनी का होता है और छत्तीसगढ़ में लम्बे समय के बाद जून जुलाई के महीने में ग्रामीणों को बाहर जाते हुए देखा जा रहा है । ऐसी धारणा है कि बारिश के दिनों में खासकर बोनी के समय किसान मजदूर अपने घर की ओर लौटते हैं लेकिन इस बार अकाल की आशंका ने ग्रामीणों को बाहर पलायन करने पर मजबूर कर दिया है । आपको जानकारी दें कि खेती के लिहाज से जिले में अबतक 600 मिमी बारिश को आदर्श आंकड़ा माना जाता है जो इसबार 314 मिमी पर अटक गया है । मतलब जरूरत के मुताबिक अभी लगभग आधी बारिश ही हुई है । बीते वर्ष 416 मिमी बारिश दर्ज की गई थी लेकिन इसबार स्थिति ज्यादा ही भयानक है । आगामी प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए हालांकि प्रशासन अभी मुस्तैद नजर आ रहा है और कई कार्ययोजना बनाई जा रही है ।










Conclusion:लेकिन मजदूरों के पलायन के मामले में श्रम विभाग बेहद लाचार नजर आ रहा है । श्रम विभाग का कहना है कि वो किसी ठेकेदार के द्वारा मजदूरों को ले जाने की प्रक्रिया में ही कुछ कर सकते हैं,अपने मन से महानगर कूच कर रहे मजदूरों को वो नहीं रोक सकते । यह उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है । लेकिन सवाल यह उठता है कि भगवान भरोसे बारिश का इंतजार कर रहे किसानों के पास आय का अगर वैकल्पिक साधन ना हो तो पलायन उनकी मजबूरी ही है । ऐसे में शासन को अब किसानों के कल्याण को लेकर जल्द कोई ठोस निर्णय लेना होगा ताकि सूबे श्रम शक्ति बाहर जाने को मजबूर ना हों ।
बाईट...... ट्रेनों में जा रहे मजदूर-किसान
बाईट...... काशी कांत पांडेय,श्रम निरीक्षक
विशाल झा.... बिलासपुर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.