बिलासपुर: इस दीपावली ETV भारत आपसे लगातार दिवाली, मिट्टी के दीयों संग मनाने की अपील कर रहा है. रोशनी का त्योहार नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन ने मिट्टी और गोबर से बने दीये खरीदने के लिए जागरूक कर रहा है लेकिन कुम्हारों की स्थिति ऐसी है कि उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल ETV भारत ने जाना.
तखतपुर क्षेत्र के अलग-अलग कुम्हार परिवारों ने बताया कि दीये बनाने और उन्हें बेचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दीये बनाने वालों का कहना है कि उनके घर में मिट्टी का समान पीढ़ी दर पीढ़ी से बनाया जा रहा है लेकिन उन्हें इस व्यवसाय को बचाए रखने के लिए सरकारी सहायता नहीं मिली है. निजी व्यवस्था कर इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के उत्पाद घड़ा, मरकी, दीया, ठेकली, चुकलि आदि बनाकर वे अपना और परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.
जमीन, मिट्टी और भूसा की समस्या
एक तरफ जहां शासन और प्रशासन की तरफ से मिट्टी से बने दीये का उपयोग करने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं कुम्हारों की स्थिति नजरअंदाज हो रही है. रामकुमार कुम्भकार ने बताया कि युवा इसे सीखना नहीं चाहते हैं. मिट्टी, जमीन और भूसा की परेशानी है. ईंधन की उपलब्धता न होना भी इनके लिए बड़ी परेशानी है.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुम्हार परिवार के लिए लगभग 5 से 10 एकड़ भूमि सुरक्षित रखने की बात सामने आई लेकिन अभी तक इन कुम्हारों को जमीन नहीं मिल पाई है. जिससे उन्हें मिट्टी की बहुत परेशानी हो रही है.
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युवाओं को प्रशिक्षण लेकिन स्थायी रोजगार नहीं
युवा मनीष कुम्भकार ने बताया कि उसने मिट्टी से अलग-अलग उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ली है. मनीष ने बताया कि वो दीये, मूर्तियां और बर्तन बना लेता है लेकिन उसे अभी तक कोई स्थायी रोजगार नहीं मिला है. इलेक्ट्रॉनिक चाक से मनीष मिट्टी के खूबसूरत बर्तन बनाता है.
हम एक बार फिर आपसे अपील करते हैं कि इस दिवाली मिट्टी के दीये घर लाएं, जिससे उनकी भी दिवाली रोशन हो, जो साल भर इसका इंतजार करते हैं.