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SPECIAL: ट्रेनिंग लेकर यहां मिट्टी में चार चांद लगा रहे हैं कुम्भकार, लेकिन खाली हाथ

ETV भारत इस दिवाली मिट्टी के दीयों संग मनाने की अपील कर रहा है. ETV भारत ने तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल जाना

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Published : Oct 22, 2019, 11:49 PM IST

ETV भारत ने तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल जाना

बिलासपुर: इस दीपावली ETV भारत आपसे लगातार दिवाली, मिट्टी के दीयों संग मनाने की अपील कर रहा है. रोशनी का त्योहार नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन ने मिट्टी और गोबर से बने दीये खरीदने के लिए जागरूक कर रहा है लेकिन कुम्हारों की स्थिति ऐसी है कि उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल ETV भारत ने जाना.

पैकेज

तखतपुर क्षेत्र के अलग-अलग कुम्हार परिवारों ने बताया कि दीये बनाने और उन्हें बेचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दीये बनाने वालों का कहना है कि उनके घर में मिट्टी का समान पीढ़ी दर पीढ़ी से बनाया जा रहा है लेकिन उन्हें इस व्यवसाय को बचाए रखने के लिए सरकारी सहायता नहीं मिली है. निजी व्यवस्था कर इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के उत्पाद घड़ा, मरकी, दीया, ठेकली, चुकलि आदि बनाकर वे अपना और परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.

जमीन, मिट्टी और भूसा की समस्या

एक तरफ जहां शासन और प्रशासन की तरफ से मिट्टी से बने दीये का उपयोग करने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं कुम्हारों की स्थिति नजरअंदाज हो रही है. रामकुमार कुम्भकार ने बताया कि युवा इसे सीखना नहीं चाहते हैं. मिट्टी, जमीन और भूसा की परेशानी है. ईंधन की उपलब्धता न होना भी इनके लिए बड़ी परेशानी है.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुम्हार परिवार के लिए लगभग 5 से 10 एकड़ भूमि सुरक्षित रखने की बात सामने आई लेकिन अभी तक इन कुम्हारों को जमीन नहीं मिल पाई है. जिससे उन्हें मिट्टी की बहुत परेशानी हो रही है.

पढ़ें :छत्तीसगढ़ में अब नहीं होगा किसानों का कर्ज माफ : सीएम भूपेश

युवाओं को प्रशिक्षण लेकिन स्थायी रोजगार नहीं

युवा मनीष कुम्भकार ने बताया कि उसने मिट्टी से अलग-अलग उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ली है. मनीष ने बताया कि वो दीये, मूर्तियां और बर्तन बना लेता है लेकिन उसे अभी तक कोई स्थायी रोजगार नहीं मिला है. इलेक्ट्रॉनिक चाक से मनीष मिट्टी के खूबसूरत बर्तन बनाता है.

हम एक बार फिर आपसे अपील करते हैं कि इस दिवाली मिट्टी के दीये घर लाएं, जिससे उनकी भी दिवाली रोशन हो, जो साल भर इसका इंतजार करते हैं.

बिलासपुर: इस दीपावली ETV भारत आपसे लगातार दिवाली, मिट्टी के दीयों संग मनाने की अपील कर रहा है. रोशनी का त्योहार नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ शासन-प्रशासन ने मिट्टी और गोबर से बने दीये खरीदने के लिए जागरूक कर रहा है लेकिन कुम्हारों की स्थिति ऐसी है कि उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल ETV भारत ने जाना.

पैकेज

तखतपुर क्षेत्र के अलग-अलग कुम्हार परिवारों ने बताया कि दीये बनाने और उन्हें बेचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. दीये बनाने वालों का कहना है कि उनके घर में मिट्टी का समान पीढ़ी दर पीढ़ी से बनाया जा रहा है लेकिन उन्हें इस व्यवसाय को बचाए रखने के लिए सरकारी सहायता नहीं मिली है. निजी व्यवस्था कर इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के उत्पाद घड़ा, मरकी, दीया, ठेकली, चुकलि आदि बनाकर वे अपना और परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.

जमीन, मिट्टी और भूसा की समस्या

एक तरफ जहां शासन और प्रशासन की तरफ से मिट्टी से बने दीये का उपयोग करने के लिए जागरूकता फैलाई जा रही है, वहीं कुम्हारों की स्थिति नजरअंदाज हो रही है. रामकुमार कुम्भकार ने बताया कि युवा इसे सीखना नहीं चाहते हैं. मिट्टी, जमीन और भूसा की परेशानी है. ईंधन की उपलब्धता न होना भी इनके लिए बड़ी परेशानी है.

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कुम्हार परिवार के लिए लगभग 5 से 10 एकड़ भूमि सुरक्षित रखने की बात सामने आई लेकिन अभी तक इन कुम्हारों को जमीन नहीं मिल पाई है. जिससे उन्हें मिट्टी की बहुत परेशानी हो रही है.

पढ़ें :छत्तीसगढ़ में अब नहीं होगा किसानों का कर्ज माफ : सीएम भूपेश

युवाओं को प्रशिक्षण लेकिन स्थायी रोजगार नहीं

युवा मनीष कुम्भकार ने बताया कि उसने मिट्टी से अलग-अलग उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ली है. मनीष ने बताया कि वो दीये, मूर्तियां और बर्तन बना लेता है लेकिन उसे अभी तक कोई स्थायी रोजगार नहीं मिला है. इलेक्ट्रॉनिक चाक से मनीष मिट्टी के खूबसूरत बर्तन बनाता है.

हम एक बार फिर आपसे अपील करते हैं कि इस दिवाली मिट्टी के दीये घर लाएं, जिससे उनकी भी दिवाली रोशन हो, जो साल भर इसका इंतजार करते हैं.

Intro:मिट्टी के दीये के नाम पर शासन लूट रही वाहवाही, कुम्हारों की कौन सुने पुकार?
Body:दीपावली त्यौहार के नजदीक आते ही राज्य शासन द्वारा मिट्टी व गोबर से बने दीये का उपयोग करने जागरूकता लाया जा रहा है वहीं बिलासपुर जिला मुख्यालय से महज़ 35 किमी की दूरी पर स्थित तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के कुम्हारों का हाल जानने कोशिश की गई। तखतपुर क्षेत्र के अलग अलग कुम्हार परिवार से मिल कर मिट्टी के दीये बनाने व बिक्री में किस प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है उसकी जानकारी लिया गया। इस विषय में क्षेत्र के कुम्हारों से चौंकाने वाली बात सामने आया।
पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे काम सरकारी व्यवस्था नहीं - तखतपुर के अशोक कुमार कुम्भकार ने बताया कि उनके घर में मिट्टी के बने समान पीढ़ी दर पीढ़ी से बनाया जा रहा है परन्तु उन्हें इस व्यवसाय को बचाये रखने के लिए सरकारी सहायता नहीं मिला है। निजी व्यवस्था कर इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के उत्पाद घड़ा, मरकी, दीया, ठेकली, चुकलि आदि बनाकर अपना एवं परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।
सीजन में मांग - उनका कहना है कि कुम्हार के पीढ़ी दर पीढ़ी की व्यवसाय को बचाये रखने सरकार द्वारा बचाने पहल नहीं किया गया जिससे केवल त्यौहार में ही तैयार किया जाता है, साथ ही गैर कुम्हार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक चाक से व्यवसाय अपनाने से कुम्हार का ठप्प हो गए है । अशोक कुम्भकार का बाइट।
जमीन मिट्टी भूसा की समस्या - जहाँ एक ओर शासन प्रशासन द्वारा मिट्टी से बने दीया उपयोग करने जागरूकता लाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर कुम्हारों के साथ हो रहे अत्याचार को नजर अंदाज़ किया जा रहा है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कुम्हार परिवार के लिए लगभग 5 से 10 एकड़ भूमि सुरक्षित रखने की बात सामने आया परन्तु सरकार की लापरवाही से बढ़ते अतिक्रमण और अनुपयोगी जमीन का वितरण पर नगर के रामकुमार कुम्भकार ने अपना दर्द कहा है। रामकुमार कुम्भकार का बाइट। Conclusion:युवाओ को प्रशिक्षण पर स्थायी रोजगार नहीं - मनीष कुम्भकार ने बताया कि उनके द्वारा मिट्टी के अलग अलग उत्पाद बनाने प्रशिक्षण लिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक चाक से मिट्टी के विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण संस्था से प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है परन्तु प्रशिक्षण का स्थायी लाभ दिलाने सरकारी रोजगार नहीं दिया गया है। मनीष कुम्भकार का बाइट।
रिपोर्ट नरेन्द्र ध्रुव तखतपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
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