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Bilaspur News : सरकंडा को नया नगर निगम बनाने की मांग - एक नई क्रांति

बिलासपुर में अब एक नई क्रांति लाने के लिए जनता और नेता इकट्ठे होने लगे है. रायपुर की तर्ज पर अब बिलासपुर में भी दो नगर निगम बनाने की मांग उठने लगी है. अरपा नदी के दूसरे किनारे में बसे सरकंडा को नगर निगम बनाने की 25 साल पुरानी मांग अब तेज हो रही है. बिलासपुर नगर निगम के 22 वार्ड और आसपास के छोटे ग्राम पंचायतों को मिलाकर नए नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है.

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सरकंडा को नया निगम बनाने की मांग तेज
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Published : Jun 5, 2023, 8:27 PM IST

सरकंडा को नया निगम बनाने की मांग तेज

बिलासपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में जिस तरह दो नगर निगम बनाए गए हैं. उसी तरह बिलासपुर में भी क्षेत्रफल और जनसंख्या के मुताबिक शहर को दो भागों में बांट कर दो नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है. पहले से ही बिलासपुर नगर निगम में 70 वार्ड हैं. अब अरपा नदी के उस पार सरकंडा क्षेत्र को अलग नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है.



दो निगम से मिलेगा ज्यादा राजस्व : अरपा नदी के उस पार को अलग नगर निगम बनाने की मांग को लेकर पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे अमित तिवारी ने कहा कि ''अभी बिलासपुर नगर निगम 70 वार्डों का है, जिसके लगभग 22 वार्ड अरपा नदी के पार सरकंडा क्षेत्र में आते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे आसपास गांव भी हैं जिन्हें मिलाकर पृथक नगर निगम बनाया जा सकता है. इस क्षेत्र का विकास तेजी से किया जा सकेगा, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले बजट को अगर देखा जाए तो अभी केवल बिलासपुर शहर में एक ही नगर निगम के लिए बजट आता है. यदि दो नगर निगम बन जाएगा तो इतना ही बजट दूसरे के लिए भी आएगा. दूसरा नगर निगम बन जाने के बाद सिस्टमैटिक विकास किया जा सकता.''


समुचित और संगठित विकास किया जा सकेगा : सरकंडा में रहने वाले विनय शुक्ला ने बताया कि '' दो नगर निगम बनेगा तो उसका फायदा बहुत ज्यादा मिलेगा.अरपा नदी के दूसरे किनारे में बसे सरकंडा में नगर निगम के 22 वार्ड आते हैं. 40% जनसंख्या बिलासपुर की सरकंडा क्षेत्र में रहती है. वहां विकास का दर ऊंचा होगा. राजस्व की अच्छी खासी कमाई होगी और विकास का दर बढ़ेगा. कहीं पैसे की दिक्कत नहीं आएगी.''


वित्तीय व्यवस्था मजबूत होगी : बिलासपुर के नागरिक पीनाल उपवेजा ने कहा कि ''नया नगर निगम बनने से शहर के विकास की रफ्तार बढ़ जाएगी. जैसे धीरे- धीरे कर शहर का विस्तार होता जा रहा है, उस लिहाज से नए नगर निगम का होना अति आवश्यक हो गया है. जगह के हिसाब से उस क्षेत्रफल के मुताबिक विकास किया जाए तो इससे वहां रहने वाले आम नागरिकों को सुविधाएं प्राप्त होती हैं.''

सीएम से की गई है मांग : बिलासपुर नगर निगम में पांच विधानसभाओं का चुनाव क्षेत्र शामिल है. यहां शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र भी नगर निगम क्षेत्र में शामिल हैं. यही वजह है कि पूरी तरह से ग्रामीण और दूसरे क्षेत्रों का विकास संभव नहीं हो पा रहा है. शहरी क्षेत्र में नगर निगम के नेता और अधिकारी ज्यादा ध्यान देते हैं. नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की शुरुआत में योजना तैयार की गई थी. बिलासपुर में नगर निगम और सरकंडा क्षेत्र में उप नगर निगम बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका. अब सरकंडा क्षेत्र को स्वतंत्र नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है. इस विषय में संघर्ष समिति के लोग मुख्यमंत्री से मिल भी चुके हैं और उन्हें अपना मांग पत्र सौंपा है. अब देखना होगा कि राज्य सरकार कब तक बिलासपुर में नए नगर निगम की घोषणा करती है.

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क्यों है दूसरे निगम की जरूरत : बिलासपुर नगर निगम के 22 वार्ड हैं. यहां आबादी के दृष्टिकोण से देखें तो शहर की कुल आबादी का 35 से 40% जनसंख्या इस इलाके में निवास करती है. मतदाताओं की संख्या भी लगभग 1 लाख 50 हजार से 1 लाख 75 हजार के आसपास है. इससे यहां पृथक निकाय का दावा मजबूत होता है. ऐसा माना जा रहा है कि अरपा पार को नगर निगम बना दिया जाता है तो यहां का विकास तेज गति से होगा. व्यवस्थित राजस्व प्राप्ति के साधन बनेंगे. क्षेत्र से लगे पंचायत सेंदरी, रमतला, बैमा, नागोई, परसाही, लगरा, चिल्हाटी सहित कुछ गांवों को नगर निगम में शामिल कर नगर निगम को बड़ा किया जा सकता है.

सरकंडा को नया निगम बनाने की मांग तेज

बिलासपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में जिस तरह दो नगर निगम बनाए गए हैं. उसी तरह बिलासपुर में भी क्षेत्रफल और जनसंख्या के मुताबिक शहर को दो भागों में बांट कर दो नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है. पहले से ही बिलासपुर नगर निगम में 70 वार्ड हैं. अब अरपा नदी के उस पार सरकंडा क्षेत्र को अलग नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है.



दो निगम से मिलेगा ज्यादा राजस्व : अरपा नदी के उस पार को अलग नगर निगम बनाने की मांग को लेकर पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे अमित तिवारी ने कहा कि ''अभी बिलासपुर नगर निगम 70 वार्डों का है, जिसके लगभग 22 वार्ड अरपा नदी के पार सरकंडा क्षेत्र में आते हैं. इसके अलावा छोटे-छोटे आसपास गांव भी हैं जिन्हें मिलाकर पृथक नगर निगम बनाया जा सकता है. इस क्षेत्र का विकास तेजी से किया जा सकेगा, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले बजट को अगर देखा जाए तो अभी केवल बिलासपुर शहर में एक ही नगर निगम के लिए बजट आता है. यदि दो नगर निगम बन जाएगा तो इतना ही बजट दूसरे के लिए भी आएगा. दूसरा नगर निगम बन जाने के बाद सिस्टमैटिक विकास किया जा सकता.''


समुचित और संगठित विकास किया जा सकेगा : सरकंडा में रहने वाले विनय शुक्ला ने बताया कि '' दो नगर निगम बनेगा तो उसका फायदा बहुत ज्यादा मिलेगा.अरपा नदी के दूसरे किनारे में बसे सरकंडा में नगर निगम के 22 वार्ड आते हैं. 40% जनसंख्या बिलासपुर की सरकंडा क्षेत्र में रहती है. वहां विकास का दर ऊंचा होगा. राजस्व की अच्छी खासी कमाई होगी और विकास का दर बढ़ेगा. कहीं पैसे की दिक्कत नहीं आएगी.''


वित्तीय व्यवस्था मजबूत होगी : बिलासपुर के नागरिक पीनाल उपवेजा ने कहा कि ''नया नगर निगम बनने से शहर के विकास की रफ्तार बढ़ जाएगी. जैसे धीरे- धीरे कर शहर का विस्तार होता जा रहा है, उस लिहाज से नए नगर निगम का होना अति आवश्यक हो गया है. जगह के हिसाब से उस क्षेत्रफल के मुताबिक विकास किया जाए तो इससे वहां रहने वाले आम नागरिकों को सुविधाएं प्राप्त होती हैं.''

सीएम से की गई है मांग : बिलासपुर नगर निगम में पांच विधानसभाओं का चुनाव क्षेत्र शामिल है. यहां शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र भी नगर निगम क्षेत्र में शामिल हैं. यही वजह है कि पूरी तरह से ग्रामीण और दूसरे क्षेत्रों का विकास संभव नहीं हो पा रहा है. शहरी क्षेत्र में नगर निगम के नेता और अधिकारी ज्यादा ध्यान देते हैं. नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की शुरुआत में योजना तैयार की गई थी. बिलासपुर में नगर निगम और सरकंडा क्षेत्र में उप नगर निगम बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसे अमल में नहीं लाया जा सका. अब सरकंडा क्षेत्र को स्वतंत्र नगर निगम बनाने की मांग की जा रही है. इस विषय में संघर्ष समिति के लोग मुख्यमंत्री से मिल भी चुके हैं और उन्हें अपना मांग पत्र सौंपा है. अब देखना होगा कि राज्य सरकार कब तक बिलासपुर में नए नगर निगम की घोषणा करती है.

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क्यों है दूसरे निगम की जरूरत : बिलासपुर नगर निगम के 22 वार्ड हैं. यहां आबादी के दृष्टिकोण से देखें तो शहर की कुल आबादी का 35 से 40% जनसंख्या इस इलाके में निवास करती है. मतदाताओं की संख्या भी लगभग 1 लाख 50 हजार से 1 लाख 75 हजार के आसपास है. इससे यहां पृथक निकाय का दावा मजबूत होता है. ऐसा माना जा रहा है कि अरपा पार को नगर निगम बना दिया जाता है तो यहां का विकास तेज गति से होगा. व्यवस्थित राजस्व प्राप्ति के साधन बनेंगे. क्षेत्र से लगे पंचायत सेंदरी, रमतला, बैमा, नागोई, परसाही, लगरा, चिल्हाटी सहित कुछ गांवों को नगर निगम में शामिल कर नगर निगम को बड़ा किया जा सकता है.

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