बिलासपुर : तस्वीरों और वीडियो देखकर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये दोनों तस्वीरे छत्तीसगढ़ के महानगर बिलासपुर की है. इस तस्वीर में एक को देखकर लगेगा कि ये किसी गांव की है और दूसरे को देखने से अहसास होगा कि किसी मेट्रो सिटी की है. लेकिन दोनों ही बिलासपुर की तस्वीर है और दोनों नगर निगम क्षेत्र की है. जहां एक तरफ नगर निगम कंगाल है और राज्य सरकार के दिये फंड के भरोसे वार्डों के विकास की कार्ययोजना बना रहा है. वहीं सरकारी बंगलों की दीवारों और पुल पुलिया के नीचे स्मार्ट सिटी रंग रोगन और चित्रकारी कर पैसे बर्बाद कर रहा है.
बिलासपुर बन रहा है स्मार्ट : बिलासपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त है. बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड शहर के 14 वार्डों में काम कर रही है. बिलासपुर नगर निगम वैसे तो 70 वार्डो का शहर है, लेकिन वार्डो की स्थिति और सड़क, नालिया बद से बदतर होती जा रही है. नगर निगम में नए शामिल हुए वार्ड को देखने से समझ आने लगता है कि यह किसी गांव की तस्वीर है. क्योंकि शहरी क्षेत्र में ऐसी स्थिति नहीं होती. यह बात भी सही है कि नगर निगम के वार्डों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और निगम के पास इतने पैसे भी नहीं है कि वह वार्डो का विकास कर सके.
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50 करोड़ में सुधारेंगे बिलासपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महापौर रामशरण के आग्रह पर नगर निगम को विकास कार्यों के लिए 50 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद महापौर रामशरण यादव ने कहा है कि ''हम नगर निगम के वार्डों में विकास की कार्य योजना बना रहे हैं. इतने कम पैसे में कैसे विकास हो सकेगा. क्योकि जरूरतों के हिसाब से 50 करोड़ रुपए ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.लेकिन निगम भी उस कहावत को चरितार्थ कर रही है. जिसमें कहा गया है कि नहीं मामा से कनवा मामा ठीक है. कुछ इसी तरह निगम भी 50 करोड़ से संतुष्ट हो रहा है. कई योजना तैयार कर वार्डों के विकास के लिए टेंडर जारी करने की बात कह रहा है.