बिलासपुर: एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार जहां धान खरीदी में नया कीर्तिमान रच चुकी है. वहीं दूसरी और धान का उठाव न होने से इसका खामियाजा कृषि साख सहकारी समिति लैंप्स और आदिवासी सेवा सहकारी समिति भुगत रही है. धान खरीदी शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने धान खरीदी के लिए विपणन संघ को उपार्जन एजेंसी नियुक्त किया था. विपणन संघ ने प्रदेश में धान खरीदी के लिए प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति लैम्प्स को एजेंट समिति नियुक्त किया. जिसके मुताबिक पंजीकृत किसानों से धान खरीदी करने की जिम्मेदारी सहकारी समितियों को सौंपी गई.
संकट में सहकारी समितियां
विपणन संघ और समिति के बीच एक अनुबंध के बाद कई नियम बनाये गए थे. नियम के मुताबिक कांटा-बाट,नमी मीटर, कैप कवर, तौलाई-भराई, सिलाई और स्टैकिंग के साथ हमाल की व्यवस्था सहकारी समिति को करानी थी. ट्रांसपोर्टेशन की जिम्मेदारी विपणन संघ को दी गई. अनुबंध के मुताबिक खरीदी केंद्र में धान का बफर स्टॉक की सीमा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को तय करनी थी. खरीदी केंद्र में धान की मात्रा ज्यादा होने पर 72 घंटे के भीतर धान का उठाव किया जाना था. जिसका पालन नहीं हुआ. अब इसका खामियाजा सहकारी समितियां भुगत रही है.
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नमी कम होने के वजन में आई कमी
धान खरीदी बंद हुए आज 48 दिन से ज्यादा हो गए. आजतक समितियों से धान का उठाव नहीं किया गया है. अब जब यह धान राइस मिलर्स को दिया जा रहा है, तो प्रति बोरी 2 किलो तक की कमी आ रही है. जब धान की खरीदी की गई थी तब 17 फीसदी नमी थी. अब जब उस धान का उठाव हो रहा है तो नमी का प्रतिशत 9 से 12 फीसदी तक है. इसके मुताबिक प्रति 40 किलो में 9 से 7 फीसदी नमी कम हो गई. हर बोरे में करीब 2 किलो वजन में कमी आई है. समिति प्रबंधकों का कहना है कि अनुबंध के अनुसार धान का उठाव 72 घंटे के अदर होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने नुकसान की भरपाई करने की मांग की है.
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क्या है कानूनी पेंच?
धान उठाव होने के बाद मिलर्स को दिया जाता है. मिलर्स को धान तभी दिया जाएगा, जब मिलर्स को डीओ जारी होगा. डिलीवरी आर्डर लेने के लिए धान की मात्रा के अनुसार शासन से तय मापदंडों के तहत बैंक गारंटी अनुबंध कर खाद्य शाखा में जमा करना अनिवार्य है, लेकिन ज्यादातर मिलर इतनी बड़ी मात्रा में उठाव के लिए बैंक गारंटी जमा नहीं कर पाते. इसकी वजह से उन्हें डिलीवरी ऑर्डर जारी नहीं किए जाते हैं. खरीदे गए धान के लिए यदि डीओ जारी नहीं होता तो दूसरा रास्ता यह है कि उसे खरीदी केंद्रों से ले जाकर विपणन संघ के निर्धारित संग्रहण केंद्रों में परिवहन किया जाता है. यहां से उसका परिधान डिलीवरी ऑर्डर के अनुसार मिलर्स को होता रहेगा. इसके लिए परिवहनकर्ता की नियुक्ति विवरण संघ करता है. गौरेला पेंड्रा मरवाही में परिवहनकर्ता ने 17 सहकारी समितियों में से कहीं से भी 1 किलो धान का परिवहन नहीं किया है. परिवहनकर्ता को धान उठाव के लिए विपणन संघ से कोई आदेश भी नहीं दिया गया है. अब भी यहां की समितियों में हजारों क्विंटल धान स्टॉक है. स्टॉक धान के वजन में आई कमी से होने वाले नुकसान से अब विपणन संघ अपना पल्ला झाड़ रहा है. विपणन संघ का कहना है कि जो भी कमी होगी उसकी जवाबदारी समिति प्रबंधक और समिति की है.