बिलासपुर: गौरेला पेंड्रा मरवाही में लॉकडाउन के दौरान महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों के लिए एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित की है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिलों के तीनों विकासखंड में इन दिनों करोड़ों का हितग्राही मूलक काम चल रहा है. जिले की कलेक्टर ने भी शनिवार को जिले के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी गांव बस्ती, बगरा, पुटा, लमना, बोकरामुडा में जाकर वहां चल रहे मनरेगा के कार्यों का जायजा लिया और ग्रामीणों से स्थिति जानी.
रोजगार गारंटी के कामों में शासन की ओर से निर्धारित किए गए दिशा निर्देशों का भी बराबर ख्याल रखते हुए मनरेगा का काम चल रहा है, इस दौरान शासन जानबूझकर ऐसे ही काम स्वीकृत कर रहा है, जिसमें अधिक मजदूरों की संख्या ना हो, इसके बावजूद सभी मजदूरों को काम के दौरान आते और जाते वक्त हाथ-पैर साबुन से अच्छी तरह धोना आवश्यक है साथ ही मुंह पर मास्क या कपड़े या गमछे से ढक कर काम करना आवश्यक है, जिसका पालन ग्रामीण भी कर रहे हैं, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी इनके ओर से पूरी तरह पालन किया जा रहा है.
कलेक्टर ने किया आदिवासी इलाके का दौरा
इस दौरान शनिवार को जिले की कलेक्टर ने गोरेला विकासखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्ती, बगरा, पुटा, बुकोरा, मुड़ा, लमना जैसे आदिवासी इलाके का दौरा किया और मनरेगा में चल रहे काम का जायजा लिया और पूरे हो चुके काम की भी समीक्षा की.
कलेक्टर ने दिए दिशा-निर्देश
कलेक्टर ने बताया कि फिलहाल गौरेला विकासखंड में ही 9 करोड़ रुपए से अधिक के काम स्वीकृत किए गए हैं, पिछले साल पेंड्रा गौरेला मरवाही में 30,000 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से अभी मजदूर ही घरों से नहीं निकल रहे हैं, इसलिए अभी सिर्फ 10,000 मजदूरों को ही शासन-प्रशासन रोजगार दे पाया है. दौरे के दौरान जिला कलेक्टर ने हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर विभाग के ओर से रोजगार योजना बनाकर शीघ्र ही क्रियान्वित करने की भी बात कही है.