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टिड्डी दल से बचाव को लेकर कलेक्टर ने ली अधिकारियों की बैठक

गौरेला पेंंड्रा मरवाही में टिड्डी दल का प्रकोप शुरू हो चुका है. जिसके बाद टिड्डी दल के आक्रमण की संभावना को लेकर जिला प्रशासन ने की आवश्यक बैठक कर बचाव के दिशा-निर्देश दिए.

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Published : May 31, 2020, 5:16 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: देश में कोरोना के बाद टिड्डी दल का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिला कलेक्टर डोमन सिंह ने टिड्डी दल के आक्रमण की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि, राजस्व एवं अन्य विभागीय अधिकारियों की आवश्यक बैठक लेकर टिड्डी दल की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जिले के सीमावर्ती गांव में समुचित प्रचार-प्रसार करते हुए ग्रामीणों को टिड्डी दल से बचाव के तरीकों से अवगत कराया जाए. वहीं बचाव के लिए ध्वनि यंत्रों की व्यवस्था और कीटनाशकों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

ध्वनि यंत्रों से टिड्डी दल को भगाने का प्रयास

उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के आने पर ढोल, पटाखे, मोटर साइकल के साईलेंसर और अन्य तेज ध्वनि यंत्रों से टिड्डी दल को भगाने का प्रयास करें. कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अपने क्षेत्र के कृषकों को फसलों में छिड़काव के लिए उचित दवा जैसे क्लोरोपायरीफाॅस, लैम्बड़ा-साईहेलोथ्रिन, मेलाथियान इत्यादि की सही मात्रा और सही समय पर छिड़काव की जानकारी दें. उन्होंने कृषि विभाग को दवा छिड़काव के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा और स्प्रे इत्यादि की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके.

पढ़ें- कोरिया जिले के भरतपुर में पहुंचा टिड्डी दल, किसानों की बढ़ी चिंता

अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश

उन्होंने जिला स्तर पर नियंत्रण और निरीक्षण दल गठित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. जिससे टिड्डी दल के आगमन की दिशा पर सतत नजर रखी जा सके. उन्होंने जिले के सीमावर्ती गांवों में मुनादी और मैदानी स्तर पर अधिकारियों को सतत निगरानी करने के लिए निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि टिड्डी दल टिड्डी नाम के उड़ने वाले कीट का बड़ा दल है. इसमें लाखों कीड़े एक साथ उड़ते हैं. यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है. यह समूह एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है.

पूरी फसल को चट कर जाते हैं टिड्डी

टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड या समूह बनाकर पेड़-पौधे और वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. यह दल 15 से 20 मिनट में फसल के पत्तियों को पूरी तरह खाकर नष्ट कर सकते हैं. शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं. टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों और फसलों पर बसेरा करते हैं और रात गुजारते हैं.

किसान कर रहे फसल बचाने की कोशिश

टिड्डी दल रातभर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इस संबंध में किसानों को समझाया गया है कि जब यह कीट आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आसपास मौजूद घास-फूस जलाकर धुआं करें. इससे टिड्डी दल खेत में ना बैठकर आगे निकल जाएगा. आवाज से यह कीट डरता है. किसान अपने खेतों में पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें. ट्रैक्टर के साइलैंसर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं.

टिड्डी के अंडों को किया जा रहा नष्ट

कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को और उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है. इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा रासायनिक दवाओं से भी इसे काबू में किया जा सकता है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही: देश में कोरोना के बाद टिड्डी दल का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिला कलेक्टर डोमन सिंह ने टिड्डी दल के आक्रमण की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि, राजस्व एवं अन्य विभागीय अधिकारियों की आवश्यक बैठक लेकर टिड्डी दल की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जिले के सीमावर्ती गांव में समुचित प्रचार-प्रसार करते हुए ग्रामीणों को टिड्डी दल से बचाव के तरीकों से अवगत कराया जाए. वहीं बचाव के लिए ध्वनि यंत्रों की व्यवस्था और कीटनाशकों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

ध्वनि यंत्रों से टिड्डी दल को भगाने का प्रयास

उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के आने पर ढोल, पटाखे, मोटर साइकल के साईलेंसर और अन्य तेज ध्वनि यंत्रों से टिड्डी दल को भगाने का प्रयास करें. कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अपने क्षेत्र के कृषकों को फसलों में छिड़काव के लिए उचित दवा जैसे क्लोरोपायरीफाॅस, लैम्बड़ा-साईहेलोथ्रिन, मेलाथियान इत्यादि की सही मात्रा और सही समय पर छिड़काव की जानकारी दें. उन्होंने कृषि विभाग को दवा छिड़काव के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा और स्प्रे इत्यादि की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सके.

पढ़ें- कोरिया जिले के भरतपुर में पहुंचा टिड्डी दल, किसानों की बढ़ी चिंता

अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश

उन्होंने जिला स्तर पर नियंत्रण और निरीक्षण दल गठित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए. जिससे टिड्डी दल के आगमन की दिशा पर सतत नजर रखी जा सके. उन्होंने जिले के सीमावर्ती गांवों में मुनादी और मैदानी स्तर पर अधिकारियों को सतत निगरानी करने के लिए निर्देश दिए. बैठक में बताया गया कि टिड्डी दल टिड्डी नाम के उड़ने वाले कीट का बड़ा दल है. इसमें लाखों कीड़े एक साथ उड़ते हैं. यह लगभग दो से ढाई इंच लम्बा कीट होता है. यह समूह एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है. हालांकि इनके आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है.

पूरी फसल को चट कर जाते हैं टिड्डी

टिड्डी दल सामूहिक रूप से लाखों की संख्या में झुंड या समूह बनाकर पेड़-पौधे और वनस्पतियों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. यह दल 15 से 20 मिनट में फसल के पत्तियों को पूरी तरह खाकर नष्ट कर सकते हैं. शाम 6 से 8 बजे के आस-पास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं. टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाड़ियों और फसलों पर बसेरा करते हैं और रात गुजारते हैं.

किसान कर रहे फसल बचाने की कोशिश

टिड्डी दल रातभर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इस संबंध में किसानों को समझाया गया है कि जब यह कीट आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आसपास मौजूद घास-फूस जलाकर धुआं करें. इससे टिड्डी दल खेत में ना बैठकर आगे निकल जाएगा. आवाज से यह कीट डरता है. किसान अपने खेतों में पटाखे फोड़कर, थाली बजाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर आवाज करें. ट्रैक्टर के साइलैंसर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं.

टिड्डी के अंडों को किया जा रहा नष्ट

कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को और उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है. इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा रासायनिक दवाओं से भी इसे काबू में किया जा सकता है.

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