बिलासपुर: क्रिसमस का त्योहार पास आ रहा है. घरों से लेकर चर्च में क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेलवे परिक्षेत्र और इसके आसपास चार ऐसे चर्च हैं जो सौ से डेढ़ सौ साल पुराने हैं. जहां ईसाई धर्म के लोग प्रभु की आराधना करने आते हैं. इन चर्च में अलग अलग समुदाए जैसे रोमन, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट धारा को मानने वाले अनुयाई है जो अपने मुताबिक प्राथना करते हैं. किसी चर्च में मदर मैरी की पूजा की जाती है तो किसी में प्रभु ईसा मसीह की ओर कोई बिना मूर्ति बाइबल की पूजा करता है. इनका ऊपर वाले को मानने का तरीका भी अलग है. ये एक ही समुदाए है फिर भी पूजा का तरीका अलग है. सभी ईसाई समुदाए के लोग हैं और इन चर्चों में आकर प्रार्थना करते हैं.
बिलासपुर में काफी संख्या में रहते थे ब्रिटिश: बिलासपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का जोनल कार्यालय बिलासपुर में स्थित है लेकिन इससे पहले से ही बिलासपुर का रेलवे देश में एक अलग ही अहमियत रखता रहा है. बिलासपुर रेलवे ब्रिटिश काल में ब्रिटिशियन का सबसे पसंदीदा शहर था और इसीलिए ब्रिटिश गवर्मेंट ने रेलवे परिक्षेत्र में सैकड़ों एकड़ में रेलवे के लिए जमीन सुरक्षित की थी. यहां ब्रिटिश काल के दौरान ही ब्रिटिशियन कॉलोनी बनाकर रहते थे और बड़े अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे. यहां अंग्रेज बड़े बंगलो में रहते थे और वह रेलवे में अपनी सेवा देते थे. ब्रिटिशियन ईसाई समुदाय से जुड़े हुए थे और अलग-अलग धाराओं को मानने वाले थे. यही कारण है कि उनके प्रेयर के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने यहां चर्च का निर्माण कराया था. अलग-अलग धाराओं के मुताबिक ब्रिटिश गवर्नमेंट ने रोमन, कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और इंडियन ईसाई समुदाय के लिए अलग चर्च का निर्माण कराया था. इन चर्च में अपनी अपनी मान्यता के अनुरूप ईसाई समुदाय के लोग प्रेयर करते थे.
ईसा मसीह और मदर मैरी को मानने वाले अलग अलग धारा के: रेवरेंट शैलेश सोलोमन ने बताया कि बिलासपुर के चर्च कई दशक पुराने हैं. कुछ तो डेढ़ सौ साल पुराने चर्च हैं जिन्हें अब भी ईसाई समुदाय ने सहेज कर रखा है. बीच-बीच में इन चर्च की मरम्मत और रंग रोगन का काम कराया जाता है, इन चर्च की नींव और दीवार आज भी पहले की तरह मजबूत है. रेलवे परिक्षेत्र में अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए तीन चर्च और एक शहर में चर्च है, जिन्हें ब्रिटिश काल के दौरान ब्रिटिश गवर्नमेंट ने बनवाया था.
यहां प्रोटेस्टेंट, रोमन और कैथोलिक चर्च है, इसके अलावा शहर में प्रोटेस्टेंट चर्च बनाया गया है. चारों चर्च में अलग-अलग धाराओं के लोग अपने मुताबिक प्रेयर करते हैं और सभी का एक ही उद्देश्य प्रभु ईसा मसीह और मदर मैरी की उपासना है. सभी की सोच एक जैसी है और सभी धाराओं में इंसानियत को पहले महत्व दिया गया है. दूसरों को इंसानियत के लिए काम करने और प्रभु यीशु मसीह के आदर्श का पालन करने और उनके बताएं रास्तों में चलने की नसीहत देते हैं.- रेवरेंट शैलेश सोलोमन
क्रिसमस की चल रही तैयारी: बिलासपुर में ईसाई समुदाय के बहुत सारे चर्च हैं और इसके अलावा मिशन स्कूलों में भी चर्च बनाए गए हैं. इन सभी चर्च में इस समय साफ सफाई और रंग रोगन का काम किया जा रहा है. आने वाले 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह का जन्म दिवस मनाया जाएगा और क्रिसमस की तैयारी के साथ ही झांकी बनाई जाती है. यह झांकी शहर में घूम कर प्रभु ईसा मसीह का संदेश लोगों तक पहुंचती है. ईसा मसीह को इंसानियत का उपदेश देने और लोगों में भाईचारा बनाने के लिए सूली पर चढ़ा दिया गया था. कुछ चर्च में इसी तरह के झांकी और जीवंत तस्वीर तैयार की जाती है. इसके अलावा उस समय जिस तरह से ईसा मसीह को क्रॉस पर चढ़ाकर लेकर गए थे, उसी तरह जीवंत झांकी भी बनाई जाती है. बिलासपुर में क्रिसमस का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है और यहां ईसाई समुदाय के साथ ही अन्य समुदाय के लोग भी क्रिसमस मनाते हैं.