बिलासपुर: गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के आदिवासी क्षेत्र में एक ऐसा स्कूल है, जहां के छात्र-छात्राएं भारत के संविधान और उसके उद्देश्यों को लेकर सजग हो रहे हैं. स्कूल प्रशासन की ये यह नई पीढ़ी के मन में भारत और भारत के संविधान के प्रति अलख जगाने का काम कर रही है. इस स्कूल में हर रोज प्रार्थना के बाद बच्चों को भारत का संविधान और उसकी रक्षा का पाठ पढ़ाते हैं.
ये स्कूल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के दूरस्थ विकासखंड, वनवासी बाहुल्य गांव नाका में है. इस स्कूल में बच्चों को प्रार्थना के बाद भारत के संविधान के प्रस्तावना का पाठ पढ़ाया जाता है. ऐसा सालों से चल रहा है. इसका नतीजा ये है कि आज छठी से आठवीं तक के हर छात्र-छात्राओं को भारत के संविधान की प्रस्तावना की ना सिर्फ जानकारी है, बल्कि कंठस्त भी है. प्रस्तावना के एक-एक शब्द एक-एक लाइन बच्चे मुंह जवानी सुनाते हैं साथ ही संविधान कब लागू हुआ यह भी उन्हें बखूबी पता है.
बच्चों को कंठस्त है प्रस्तावना
आमतौर पर स्कूलों में प्रतिदिन बच्चों को राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत या फिर किसी प्रकार की प्रार्थना गाने का प्रचलन है. अमूमन हर स्कूलों में यही देखने को मिलता है. परनाका हाई स्कूल के छठवीं से आठवीं तक के हर छात्र छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना कंठस्त है.
कर्तव्यों और अधिकारों की दी जाती है जानकारी
भारत देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का संचालन संविधान के मुताबिक ही होता है. इसलिए इस स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को पाठ्यक्रम के अलावा संविधान की भी जानकारी दी है. साथ ही उनके मूल अधिकारों और कर्तव्य के बारे में भी लगातार बताया और समझाया जाता है.
'संविधान भारत का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज'
स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि 'भारत का संविधान स्वतंत्र भारत का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है. पर स्कूल स्तर पर भी संविधान को लेकर ऐसी विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती.' ऐसे में मरवाही जैसे दूरस्थ आदिवासी वनांचल क्षेत्र में शिक्षकों का यह प्रयास निश्चय ही सराहनीय और अनुकरणीय है.