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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस, पूछा पैसेंजर ट्रेन क्यों नहीं चलाई जा रही

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में समाजसेवी सुदीप श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि गरीब और छोटो शहरों के लिए पैसेंजर ट्रेन क्यों नहीं चलाई जा रही है.

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Published : Oct 10, 2020, 2:43 AM IST

Chhattisgarh High Court sent notice to central government
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस

बिलासपुर: हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रदेश में पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन और स्पेशल ट्रेनों में जनरल कोच की मांग को लेकर लगी महत्वपूर्ण जनहित याचिका मामले में सुनवाई की है. चीफ जस्टिस और जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

दरअसल बिलासपुर के समाजसेवी सुदीप श्रीवास्तव ने एक अन्य के साथ मिलकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. प्रकरण में याचिकाकर्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मार्च से पूरे देश मे केंद्र सरकार और रेलवे ने ट्रेन का संचालन बंद कर दिया था. लॉकडाउन के समय श्रमिक स्पेशल ट्रेन राज्य सरकारों की मांग पर कुछ दिनों तक चलाई गई. इसके बाद आज तक पूरे देश में करीब 151 स्पेशल ट्रेन चलाए जा रहे हैं. इन ट्रेनों के नंबर चेंज किए गए हैं. जबकि ट्रेन का नाम और रूट वही रखा गया है. उसके साथ-साथ ट्रेन का किराया बढ़ा दिया गया है. यात्रियों के कॉन्सेशन समाप्त कर दिया गया. सारी ट्रेनों में सामान्य श्रेणी के बोगी हटा दी गई. जिससे सामान्य, गरीब और ग्रामीणों की यात्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है.

पढ़ें: मिट्टी के नीचे दबकर तीन बच्चियों की मौत, ग्रामीणों ने लगाया रेत उत्खनन का आरोप

याचिका के जरिए कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ के रहवासी अपने इलाज के लिए भी ट्रेवल नहीं कर पा रहे हैं. जबकि केंद्र ने ही अपने महामारी अधिनियम के तहत जारी निर्देश में कहा है कि देश में कोई भी कही भी बिना रोक-टोक के यात्रा कर सकता है. फिर पैसेंजर ट्रेन छत्तीसगढ़ और आस-पास के लिए क्यों नहीं चलाई जा रही है. ये संविधान में प्रदत अनुछेद 19(1)(d) का स्पष्ट उल्लंघन है.

केंद्र सरकार को नोटिस जारी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि गरीब और छोटो शहरों के लिए पैसेंजर ट्रेन क्यों नहीं चलाई जा रही है. जो स्पेशल ट्रेन चल रही है. उसमें जनरल बोगी क्यों नहीं है. केंद्र को इस संबंध में 3 सप्ताह में एफिडेविट के साथ जवाब प्रस्तुत करने का हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है.

बिलासपुर: हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रदेश में पैसेंजर ट्रेनों के परिचालन और स्पेशल ट्रेनों में जनरल कोच की मांग को लेकर लगी महत्वपूर्ण जनहित याचिका मामले में सुनवाई की है. चीफ जस्टिस और जस्टिस पीपी साहू की युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

दरअसल बिलासपुर के समाजसेवी सुदीप श्रीवास्तव ने एक अन्य के साथ मिलकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. प्रकरण में याचिकाकर्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मार्च से पूरे देश मे केंद्र सरकार और रेलवे ने ट्रेन का संचालन बंद कर दिया था. लॉकडाउन के समय श्रमिक स्पेशल ट्रेन राज्य सरकारों की मांग पर कुछ दिनों तक चलाई गई. इसके बाद आज तक पूरे देश में करीब 151 स्पेशल ट्रेन चलाए जा रहे हैं. इन ट्रेनों के नंबर चेंज किए गए हैं. जबकि ट्रेन का नाम और रूट वही रखा गया है. उसके साथ-साथ ट्रेन का किराया बढ़ा दिया गया है. यात्रियों के कॉन्सेशन समाप्त कर दिया गया. सारी ट्रेनों में सामान्य श्रेणी के बोगी हटा दी गई. जिससे सामान्य, गरीब और ग्रामीणों की यात्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है.

पढ़ें: मिट्टी के नीचे दबकर तीन बच्चियों की मौत, ग्रामीणों ने लगाया रेत उत्खनन का आरोप

याचिका के जरिए कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ के रहवासी अपने इलाज के लिए भी ट्रेवल नहीं कर पा रहे हैं. जबकि केंद्र ने ही अपने महामारी अधिनियम के तहत जारी निर्देश में कहा है कि देश में कोई भी कही भी बिना रोक-टोक के यात्रा कर सकता है. फिर पैसेंजर ट्रेन छत्तीसगढ़ और आस-पास के लिए क्यों नहीं चलाई जा रही है. ये संविधान में प्रदत अनुछेद 19(1)(d) का स्पष्ट उल्लंघन है.

केंद्र सरकार को नोटिस जारी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि गरीब और छोटो शहरों के लिए पैसेंजर ट्रेन क्यों नहीं चलाई जा रही है. जो स्पेशल ट्रेन चल रही है. उसमें जनरल बोगी क्यों नहीं है. केंद्र को इस संबंध में 3 सप्ताह में एफिडेविट के साथ जवाब प्रस्तुत करने का हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया है.

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