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छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति का रास्ता साफ

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Published : Feb 23, 2022, 11:36 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में डॉक्टरों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट के इस आदेश से राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. राज्य सरकार ने प्रदेश भर के अस्पतालों में 446 चिकित्सा अधिकारियों की नियमित भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसके लिए निर्धारित योग्यता एमबीबीएस थी. साथ ही साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जानी थी.

शासन के इस निर्णय और जारी विज्ञापन को चुनौती देते हुए डॉ. कमल सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया कि बिना लिखित परीक्षा के नियुक्ति किया जाना नियमों के खिलाफ है. याचिकाकर्ता डॉक्टर की तरफ से कहा गया कि सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर भर्ती किया जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत है.

शासन ने अपने तर्क में यह भी कहा कि, भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन किया जा रहा है. नियुक्ति के लिए पांच कॉलम है. जिसमें लिखित एग्जाम या फिर साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाने का उल्लेख है. इसके साथ ही मेरिट अंक में 50 फीसदी अंक के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के अनुभव, शासकीय अस्पताल में संविदा नियुक्ति के अनुभव का भी प्रावधान है. साक्षात्कार में सिर्फ 5 फीसद अंक है. जो एक्सपर्ट कमेटी को तय करना है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में डॉक्टरों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट के इस आदेश से राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. राज्य सरकार ने प्रदेश भर के अस्पतालों में 446 चिकित्सा अधिकारियों की नियमित भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसके लिए निर्धारित योग्यता एमबीबीएस थी. साथ ही साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जानी थी.

शासन के इस निर्णय और जारी विज्ञापन को चुनौती देते हुए डॉ. कमल सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में बताया गया कि बिना लिखित परीक्षा के नियुक्ति किया जाना नियमों के खिलाफ है. याचिकाकर्ता डॉक्टर की तरफ से कहा गया कि सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर भर्ती किया जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत है.

शासन ने अपने तर्क में यह भी कहा कि, भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन किया जा रहा है. नियुक्ति के लिए पांच कॉलम है. जिसमें लिखित एग्जाम या फिर साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाने का उल्लेख है. इसके साथ ही मेरिट अंक में 50 फीसदी अंक के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के अनुभव, शासकीय अस्पताल में संविदा नियुक्ति के अनुभव का भी प्रावधान है. साक्षात्कार में सिर्फ 5 फीसद अंक है. जो एक्सपर्ट कमेटी को तय करना है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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