बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई को लेकर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि रसूखदारों के लिए पुलिस रात 2 बजे तक सक्रिय रहती है और उनका काम जल्दी करती है, लेकिन गरीबों के लिए पुलिस को क्या हो जाता है. कोर्ट के तल्ख टिप्पणी से एक बार फिर पुलिस कार्रवाई पर सवालिया निशान लग गया है.
युवक की खुदकुशी के मामले में हाई कोर्ट: पूरा मामला बिलासपुर का है. 1 जून 2022 को जमीन दलालों की प्रताड़ना से तंग आकर सिद्धांत नागवंशी ने आत्महत्या कर ली थी.सकरी थाना क्षेत्र में रहने वाले वीरेंद्र नागवंशी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि उनके बेटे सिद्धांत नागवंशी ने जमीन दलालों की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी की थी. पिता वीरेंद्र नागवंशी ने बेटे को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ सकरी थाने में शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की. लेकिन डेढ़ साल बाद भी पुलिस ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और कोई जांच और ना ही किसी और तरह की कार्रवाई की है. कार्रवाई नहीं होने की वजह से मृतक युवक के पिता ने हाईकोर्ट में अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर कर बताया कि पुलिस कार्रवाई करना नहीं चाहती.
सीजी हाईकोर्ट ने बिलासपुर पुलिस को लताड़ा: हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए पुलिस को जमकर फटकार लगाई और आदेश दिया है कि सकरी थाना प्रभारी प्रकरण में अगली सुनवाई में शपथ पत्र पेश करते हुए हाजिर होने का आदेश दिया. मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि लगता है पुलिस जानबूझकर मामले की जांच नहीं करना चाहती. कोर्ट ने प्रतिवादी के वकील से कहा कि थानेदार को नौकरी करनी है कि नहीं. कोर्ट ने आदेश दिया की शिकायत के बाद से लेकर अभी तक पुलिस ने मामले में क्या जांच की, किसका बयान लिया, पूरी रिपोर्ट हाई कोर्ट में सबमिट करें.
पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने के साथ ही जमीन दलालों के द्वारा प्रताड़ना से लोगों की जान जाने के मामले में कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस जानबूझकर कार्रवाई नहीं करना चाहती थी और इसलिए पूरे मामले को डेढ़ साल तक लटकाया गया है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस रसूखदारों के मामले में पूरी रात काम कर रिजल्ट पर तत्काल पहुंचती है, वहीं गरीब लोगों के लिए पुलिस यह कर्तव्य क्यों नहीं निभाती. मामले में कोर्ट ने राज्य शासन, एसपी बिलासपुर को भी नोटिस जारी किया है.