बिलासपुर: बिलासपुर जिले में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं. इसमें से एक है कोटा विधानसभा सीट. जिले की 3 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. साल 2018 के चुनाव में कोटा विधानसभा सीट ने इतिहास बदला और पहली बार इस सीट पर गैर कांग्रेसी पार्टी ने जीत दर्ज की. यह पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी की पार्टी थी. इस पार्टी की टिकट से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने जीत दर्ज की, जो खुद पहले कांग्रेस की टिकट से इसी विधानसभा में दो बार जीत दर्ज कर चुकी थी.
इस बार दिखेगा त्रिकोणीय मुकाबला: इस बार भी कोटा से रेणु जोगी ही जेसीसीजे प्रत्याशी हैं. वहीं, इस सीट पर प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को बीजेपी ने टिकट दिया है. वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से अटल श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर इस बार का मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है. क्योंकि ये सीट कांग्रेस का अभेद किला था, जिसे भेदने का काम कांग्रेस की पूर्व कार्यकर्ता रेणु जोगी ही थी. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी ने भी इस सीट से दिग्गज प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है.
कोटा विधानसभा क्षेत्र को जानिए: कोटा विधानसभा सीट सामान्य वर्ग की सीट है. यहां करीब 65 से 70 फीसद सामान्य वर्ग की आबादी है. यहां आदिवासी, साहू, ब्राह्मण और ठाकुर सहित बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग रहते हैं. इस सीट में जहां आदिवासियों का वोट निर्णायक होता है. वहीं, ब्राम्हण और अन्य सामान्य जाति के लोगों का वोट बंटा है. लेकिन एससी का वोट एकतरफा किसी एक पार्टी को जाता है. जो कि जीतने वाले के लिए मील का पत्थर साबित होता है. यहां अब तक कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशियों में ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार जीत दर्ज करने में अव्वल रहे है. साल 2018 में हुए चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ जब दूसरी पार्टी ने जीत दर्ज की और रेणु जोगी पहली विधायक बनी, जो गैर ब्राम्हण हैं. रेणु जोगी अभी इस सीट से विधायक हैं.
कोटा विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे और समस्याएं: ये सीट अविभाजित मध्यप्रदेश में थी तब भी यहां का विकास नहीं हुआ था. ना ही छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस क्षेत्र का विकास हुआ. अब भी कई ग्रामीण इलाके और जंगल में अंदर बसे गांव में हैं. जहां अचानकमार टाइगर रिजर्व होने की वजह से विकास नहीं हो पा रहा है. इसके अलावा कोटा से रतनपुर जाने वाले बायपास सड़क से लगे गांव विकास की बांट जोह रहा है. यहां के लोगों की मूल समस्या मूलभूत सुविधाओं का न मिलना है. अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में बसे कुछ गांव आज भी ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है. कई गांव अंधेरे में डूबा रहता है.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: साल 2018 में हुए चुनाव में यहां कुल 138617 वोट पड़े थे. कोटा विधानसभा सीट पर 77.37 फीसद वोटिंग हुई. जेसीसीजे की रेणु जोगी ने यहां 48800 वोटों से जीत हासिल की. वहीं भाजपा के काशी साहू को 45774 वोट मिले थे. इस चुनाव में जेसीसीजे को 33 फीसद वोट मिले थे. वहीं, भाजपा को 31 फीसद वोट मिले थे.
कोटा विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी तय करते हैं जीत और हार: कोटा सीट सामान्य बाहुल्य विधानसभा है. इस क्षेत्र में ब्राम्हण, ठाकुर, मुस्लिम के साथ बड़ी संख्या में ओबीसी रहते हैं.साथ ही यहां आदिवासी समाज के लोग भी अधिक संख्या में रहते है. यहां किंगमेकर की भूमिका आदिवासी समाज निभाते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में लोगो ने रेणु जोगी पर भरोसा किया. 2018 में कांग्रेस यहां तीसरे दल के रूप में आई.