बिलासपुर: मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ की स्थापना सन 2000 में हुई. तब छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों के साथ रेलवे लाइन और स्टेशनों की स्थिति खासी अच्छी नहीं थी. लेकिन सन 2003 में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन का निर्माण हुआ. इसके भूमि पूजन के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई बिलासपुर आए हुए थे. उन्होंने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की नींव रखी. इसके बाद से लेकर लगातार रेलवे अधोसंरचना और विकास कार्यों को लेकर लगातार आगे बढ़ता रहा. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने देश में रेल इतिहास में कुछ ऐसे काम किए हैं जिसे भुलाया नहीं जा सकता. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे देश की आय में हिस्सा देने वाले अन्य उपक्रमों में शामिल है. इसने इतना अधिक राजस्व देश के खजाने में दिया है. जिससे अन्य जोन भी लाभान्वित हुए हैं.Bilaspur rail zone became earning area of secr
बिलासपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने रचा इतिहास लदान के मामले में नंबर वन : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे निर्माण के बाद से ही देश में सालों तक माल लदान और राजस्व में नंबर वन रहा. कोयला, बॉक्साइट, डोलोमाइट, जैसे खनिज पदार्थों के अलावा माल लदान के साथ ही भिलाई स्टील प्लांट से बने रेल लाइन और अन्य सामानों को देश के अन्य हिस्सों तक ले जाने के लिए दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे तत्पर रहा, ज़ोन निर्माण के लेकर अब तक 80 मिलियन टन से बढ़ते हुए आज 200 मिलियन टन माल लदान कर रहे हैं. और यही कारण है कि लगभग 10 सालों से भी ज्यादा माल लदान और अधिक राजस्व देने में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे देश के अन्य जोन में नंबर वन की श्रेणी में रहा है.
SECR ने वासुकी और लांगहॉल ट्रेन चलाई : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा पांच मालगाड़ियों (300 वैगनों) को एक साथ जोड़कर देश की सबसे लंबी 3.5 किलोमीटर फ्रेट ट्रेन “सुपर वासुकी” का परिचालन किया है. यह ट्रेन 16 अगस्त 2022 को देश की आजादी के अमृत महोत्सव में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा देश की सबसे लंबी मालगाड़ी बनकर चली. 5 मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर इस ट्रेन का परिचालन रायपुर रेल मंडल के भिलाई डी केबिन से बिलासपुर रेल मंडल के कोरबा तक किया गया. इस मालगाड़ी की कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर के लगभग थी. इसलिए इसका नाम सुपर वासुकी दिया गया था. इस ट्रेन ने 300 वैगनों के साथ भिलाई डी केबिन से कोरबा तक लगभग 228 किमी की दूरी को 6 घंटे 50 मिनट में तय की . फ्रेट ट्रेनों के परिचालन समय को कम करने, क्रू-स्टाफ की बचत एवं उपभोक्ताओं को त्वरित डिलीवरी प्रदान करने लगातार लॉन्ग हाल मालगाड़ियों का परिचालन किया गया है.
शेषनाग से शुरू किया गया प्रयोग : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे द्वारा एनाकोंडा, सुपर एनाकोंडा, शेषनाग एवं वासुकी लॉन्ग हॉल ट्रेनों का परिचालन किया गया था. लॉन्ग हॉल ट्रेनों के परिचालन से न सिर्फ क्रू-स्टाफ की बचत हुई बल्कि रेलवे ट्रैक का सही इस्तेमाल के साथ यह सराहनीय पहल प्रत्येक दृष्टिकोण से लाभकारी सिद्ध हुआ. “शेषनाग" का परिचालन कर लांग हाल की शुरुआत की गई थी. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर मंडल द्वारा 4 एम्प्टी रैक 2.8 किमी लंबी एवं 251 वैगनों को जोड़कर 2 जुलाई 2020 को नागपुर मंडल से बिलासपुर मंडल के कोरबा तक चलाया गया. अपने गंतव्य तक यह ट्रेन लगभग 250 किमी से भी अधिक दूरी तय की.
सैकड़ों मेमू, डेमू और पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने छत्तीसगढ़ राज्य के नागरिकों की सुविधा के लिए सैकड़ों मेमू, डेमू और पैसेंजर ट्रेन शुरू की है. इन ट्रेन का डोंगरगढ़, राजनांदगांव से लेकर पेंड्रा कोरबा और अन्य क्षेत्रों में परिचालन किया जाता है. इससे रोजाना ही छत्तीसगढ़ के लाखों लोग सफर कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने नौकरी पेशा के साथ ही व्यापारियों के समय को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग समय पर मेमू, डेमू और पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया है, इसके साथ ही जोन के आप लाइन के स्टेशन से लेकर डाउन लाइन तक के स्टेशन तक ट्रेनों का परिचालन किया है, यानी नागपुर कटनी और कटनी नागपुर तक मेमो डेमू और पैसेंजर ट्रेनें चलाई जाती है.
अधोसंरचना विकास के साथ सैकड़ो अंडर- ओवर ब्रिज निर्माण : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने अधोसंरचना विकास के साथ ही कई सुरक्षा गत विकास किए हैं जैसे सभी सिग्नल इलेक्ट्रिक के साथ ही स्टेशनों में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे ट्रेनों के अंदर सीसीटीवी कैमरे चेकिंग के अलावा तकनीकी के माध्यम से यात्रियो की सुविधाओं को सुनिश्चित किया है. दूसरी तीसरी लाइन के साथ ही कुछ हिस्सों में चौथी लाइन बिछाने के साथ ही परिचालन भी शुरू कर दिया है.
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यात्रियों की सुरक्षा सबसे पहले : यात्रियों को बेहतर यात्री सुविधाएं और सुरक्षा के साथ बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए ज़ोन की 190 कोच में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के साथ ही ट्रेनों में बढ़ते अपराध की रोकथाम, संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने और सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखकर ट्रेनों के कोच में क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे का प्रावधान किया जा रहा है. अब तक 110 एलएचबी कोच, 72 ईएमयू के कोच और 08 डेमू कोच में क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे लगाए जा चुके है. इससे यात्रियों का सफर सुरक्षित और आरामदायक यात्रा अनुभव के साथ सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होगा.