बिलासपुर: बिलासपुर की समाजसेवी 85 साल की महिला विजया माधव बगे ने अपने मृत्यु के पहले ही देहदान का निर्णय लिया था. अंतिम समय में विजया ने अपने बच्चों को अपनी अंतिम इच्छा बताई. विजया ने बच्चों से कहा था कि उनकी मौत के बाद उनके शव को मेडिकल कॉलेज को दे दिया जाए. ताकि मेडिकल के छात्र मानव अंग पर रिसर्च कर सकें. विजया माधव ने बुधवार को अंतिम सांस ली. मौत के बाद उनके बच्चों ने आज उनका देहदान किया.
विजया माधव बगे का हुआ देहदान: विजया माधव के मौत के बाद हिंदू रीति रिवाज को पूरा करते हुए उनके डेडबोडी को सिम्स मेडिकल कॉलेज में दान कर दिया गया. देहदान से पहले हिंदू रीति रिवाज के अनुसार परिजनों को अंतिम दर्शन कराया गया. फिर शव को मुक्तिधाम ले गए. इसके बाद बॉडी को मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. वहां, उनका देहदान किया गया. माधव के देह से सिम्स मेडिकल कॉलेज के छात्र अब अपनी पढ़ाई करेंगे, रिसर्च करेंगे.
मां की शुरू से ही इच्छा थी कि वह अपना देह दान करें. मां की अंतिम इच्छा को पूरा करने के साथ ही समाज की भलाई के लिए मां का देह दान किया है. मां अपने आंखों का भी दान करना था, लेकिन आंखों में इंफेक्शन होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. वह चाहती थी कि उनके शरीर के हर अंग का दान किया जाए जो दूसरों के काम आ सके. -अतुल, विजया बगे का बेटा
मृत्यु के बाद कौन से अंग आते हैं काम, जानिए अंगदान और देहदान में अंतर |
बुजुर्गों की ऐसी मानवता की देहदान का लिया संकल्प, लोगों को भी कर रहे जागरूक |
रायपुर वृद्धाश्रम के बुजुर्ग करेंगे नेत्र और देहदान |
जानिए कौन है देहदान करने वाली महिला: बिलासपुर के 27 खोली इलाके में रहने वाले स्वर्गीय एमजी बगे केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान बिलासपुर इकाई में साइंटिस्ट थे. विजया बगे समाज सेवा में हमेशा लगी रहती थीं. लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह पिछले कुछ समय से घर पर ही रह रही थी. उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटों ने उनका शरीर कानूनी कारवाई पूरी करते हुए बिलासपुर सिम्स के छात्रों के लिए दान कर दिया.