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Inspirational Story Of Sheetal : वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम ने बदला जीवन, शीतल की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत

Inspirational Story Of Sheetal दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जोनल स्टेशन बिलासपुर में रेलवे बोर्ड ने वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम शुरु की है.जिसका फायदा स्थानीय कारीगरों को मिल रहा है.इन स्टॉल्स में स्थानीय प्रोडक्ट्स को बेचा जाता है.बिलासपुर के स्टेशन में भी एक स्टॉल है.जिसमें एक महिला कारीगर अपने उत्पादों को बेचती है.महिला कारीगर की माने तो वन नेशन,वन प्रोडक्ट स्टॉल ने उनकी आर्थिक स्थिति को पहले से ज्यादा मजबूती दी है. जानिए आखिर क्यों वन नेशन,वन प्रोडक्ट स्टॉल बदल रहा है लोगों की जिंदगी.

Inspirational Story Of Sheetal
शीतल की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 5, 2023, 3:07 PM IST

Updated : Oct 6, 2023, 12:35 PM IST

वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम से शीतल बनीं आत्मनिर्भर

बिलासपुर : केंद्र सरकार ने रेलवे को आवागमन के साधन और माल ढुलाई के अलावा व्यावसायिक रूप में तैयार करने का प्लान तैयार किया है.इसी के तहत अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कई स्टेशनों का कायाकल्प हो रहा है.साथ ही साथ लोकल कारीगरी और चीजों को बढ़ावा देने के लिए रेलवे ने चुनिंदा स्टेशनों पर वन नेशन,वन प्रोडक्ट के तहत कई स्टॉल्स भी खोले हैं.जिनमें स्थानीय लोग अपने बनाएं उत्पादों की सीधी बिक्री कर रहे हैं.रेलवे की स्कीम में स्थानीय कारीगरों को कम पैसों में ही स्टॉल मिल रहे हैं.जिससे अपना उत्पाद बेचकर कारीगर मुनाफा कमा रहे हैं.

वन नेशन वन प्रोडक्ट से स्थानीय कारीगर कमा रहे लाभ : केंद्र सरकार की रेलवे बोर्ड ने "वन नेशन, वन प्रोडक्ट" स्कीम का संचालन किया है.जिसमें स्थानीय कारीगरों की आर्थिक स्थिति को सुधरने लगी है. स्थानीय कारीगर अपने उत्पादों को बनाकर बिना किसी बिचौलिए के इन स्टॉल्स तक लाते हैं.इसके बाद सीधे उत्पादों को बेचकर मुनाफा कमाते हैं. बिचौलिया नहीं होने से बिक्री की गई चीज की पूरी रकम सीधा कारीगरों को ही मिल रहा है.जिससे अब पहले की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है.

बिलासपुर की शीतल की सुधरी आर्थिक स्थिति : बिलासपुर की शीतल रेलवे स्टेशन पर वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत अपने हाथों से बनाएं सामानों की बिक्री करती हैं. आज शीतल स्वावलंबी होकर अपनी आर्थिक स्थिति को पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत कर चुकी है. शीतल को रेलवे स्टेशन में स्टॉल लेने में जरा भी परेशानी नहीं हुई.स्टॉल की मदद से शीतल अपने हाथों से तैयार किए गए सजावटी सामानों को बेच रही है.बिना किसी बिचौलिये के शीतल का काम और उनके हुनर का उन्हें सही दाम मिल रहा है.

प्लेटफॉर्म पर लगे स्टॉल ने बदली किस्मत : बिलासपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर ग्रामीण इलाके में रहने वाली शीतल का स्टॉल है. शीतल कौशिक क्राफ्ट और बांस के बने फूल पत्ती, मिट्टी के वाज और ज्वेलरी बनाती हैं.पहले जब शीतल इन सामानों को बनाती थी तो उन्हें बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण बिचौलियों का सहारा लेना पड़ता था.जिससे उनकी मेहनत का पूरा पैसा नहीं मिलता था.लेकिन अब ऐसा नहीं है. शीतल अब खुद घर पर सजावटी सामानों को तैयार करती हैं.इसके बाद बिलासपुर रेलवे स्टेशन के स्टॉल में लाकर उन्हें बेचकर लाभ कमाती हैं.

पहले नहीं हो पाता था लाभ : शीतल कौशिक ने बताया कि पहले वह सामान अपने घर पर तैयार कर बाजार में दुकानदार को बेचा करती थी. दुकानदार से उसे कोई खास कीमत नहीं मिलता था. इसीलिए सामानों में प्रॉफिट बहुत कम था. लेकिन अब वह सीधे तौर पर ग्राहकों को खुद सामान बेच रही है. इससे उसे ज्यादा मुनाफा हो रहा है. पहले की तुलना में अब शीतल ज्यादा पैसे कमा लेती है और पैसे ज्यादा आने से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है.

''बिचौलिए नहीं होने से मेहनत और प्रोडक्ट की अच्छी कीमत मिलती है. ग्राहक कितना भी बारगेनिंग कर ले, वह उसमें फायदे में ही रहती है. वन नेशन वन प्रोडक्ट के तहत मिले इस स्टॉल से जिंदगी बेहतर बन रही है.'' शीतल कौशिक, कारीगर

कोरबा के स्ट्रीट वेंडर की बेटी कल्पना की ऊंची उड़ान
जिस बेटी को मां के साथ पिता ने ठुकराया,उसी ने सात समंदर पर तिरंगा लहराया
मजदूर का बेटा बना जेल अधीक्षक,प्राइवेट नौकरी से समय निकालकर की तैयारी

क्या तैयार करती हैं शीतल कौशिक ? : शीतल कौशिक ने बताया कि वह बांस की फ्लावर उसकी डंडी, पत्तियां और कई तरह के बास्केट तैयार करती हैं. वह देहात ज्वेलरी भी तैयार करती हैं. जिसे छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं पसंद करती हैं. वह पहले इस काम को घर में रहकर करती थी. उसका प्रोडक्ट मजबूत और अच्छी क्वॉलिटी का है, यही कारण है कि उसके हाथों के बने सामान को रेलवे स्टेशन आने वाले यात्री पसंद करते हैं. उसके इस काम में लोगों से प्रोत्साहन मिलता है और उसके सामानों को लोग अपने घर ले जाकर सजावट के रूप में रखते हैं. पहले शीतल स्थानीय मेलों में अपने सामानों को बेचती थी.लेकिन अब एक व्यवस्थित जगह मिलने पर उसे सामानों को बेचने में मेहनत नहीं करनी पड़ती.

वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम से शीतल बनीं आत्मनिर्भर

बिलासपुर : केंद्र सरकार ने रेलवे को आवागमन के साधन और माल ढुलाई के अलावा व्यावसायिक रूप में तैयार करने का प्लान तैयार किया है.इसी के तहत अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कई स्टेशनों का कायाकल्प हो रहा है.साथ ही साथ लोकल कारीगरी और चीजों को बढ़ावा देने के लिए रेलवे ने चुनिंदा स्टेशनों पर वन नेशन,वन प्रोडक्ट के तहत कई स्टॉल्स भी खोले हैं.जिनमें स्थानीय लोग अपने बनाएं उत्पादों की सीधी बिक्री कर रहे हैं.रेलवे की स्कीम में स्थानीय कारीगरों को कम पैसों में ही स्टॉल मिल रहे हैं.जिससे अपना उत्पाद बेचकर कारीगर मुनाफा कमा रहे हैं.

वन नेशन वन प्रोडक्ट से स्थानीय कारीगर कमा रहे लाभ : केंद्र सरकार की रेलवे बोर्ड ने "वन नेशन, वन प्रोडक्ट" स्कीम का संचालन किया है.जिसमें स्थानीय कारीगरों की आर्थिक स्थिति को सुधरने लगी है. स्थानीय कारीगर अपने उत्पादों को बनाकर बिना किसी बिचौलिए के इन स्टॉल्स तक लाते हैं.इसके बाद सीधे उत्पादों को बेचकर मुनाफा कमाते हैं. बिचौलिया नहीं होने से बिक्री की गई चीज की पूरी रकम सीधा कारीगरों को ही मिल रहा है.जिससे अब पहले की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है.

बिलासपुर की शीतल की सुधरी आर्थिक स्थिति : बिलासपुर की शीतल रेलवे स्टेशन पर वन नेशन वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत अपने हाथों से बनाएं सामानों की बिक्री करती हैं. आज शीतल स्वावलंबी होकर अपनी आर्थिक स्थिति को पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत कर चुकी है. शीतल को रेलवे स्टेशन में स्टॉल लेने में जरा भी परेशानी नहीं हुई.स्टॉल की मदद से शीतल अपने हाथों से तैयार किए गए सजावटी सामानों को बेच रही है.बिना किसी बिचौलिये के शीतल का काम और उनके हुनर का उन्हें सही दाम मिल रहा है.

प्लेटफॉर्म पर लगे स्टॉल ने बदली किस्मत : बिलासपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर ग्रामीण इलाके में रहने वाली शीतल का स्टॉल है. शीतल कौशिक क्राफ्ट और बांस के बने फूल पत्ती, मिट्टी के वाज और ज्वेलरी बनाती हैं.पहले जब शीतल इन सामानों को बनाती थी तो उन्हें बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण बिचौलियों का सहारा लेना पड़ता था.जिससे उनकी मेहनत का पूरा पैसा नहीं मिलता था.लेकिन अब ऐसा नहीं है. शीतल अब खुद घर पर सजावटी सामानों को तैयार करती हैं.इसके बाद बिलासपुर रेलवे स्टेशन के स्टॉल में लाकर उन्हें बेचकर लाभ कमाती हैं.

पहले नहीं हो पाता था लाभ : शीतल कौशिक ने बताया कि पहले वह सामान अपने घर पर तैयार कर बाजार में दुकानदार को बेचा करती थी. दुकानदार से उसे कोई खास कीमत नहीं मिलता था. इसीलिए सामानों में प्रॉफिट बहुत कम था. लेकिन अब वह सीधे तौर पर ग्राहकों को खुद सामान बेच रही है. इससे उसे ज्यादा मुनाफा हो रहा है. पहले की तुलना में अब शीतल ज्यादा पैसे कमा लेती है और पैसे ज्यादा आने से उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है.

''बिचौलिए नहीं होने से मेहनत और प्रोडक्ट की अच्छी कीमत मिलती है. ग्राहक कितना भी बारगेनिंग कर ले, वह उसमें फायदे में ही रहती है. वन नेशन वन प्रोडक्ट के तहत मिले इस स्टॉल से जिंदगी बेहतर बन रही है.'' शीतल कौशिक, कारीगर

कोरबा के स्ट्रीट वेंडर की बेटी कल्पना की ऊंची उड़ान
जिस बेटी को मां के साथ पिता ने ठुकराया,उसी ने सात समंदर पर तिरंगा लहराया
मजदूर का बेटा बना जेल अधीक्षक,प्राइवेट नौकरी से समय निकालकर की तैयारी

क्या तैयार करती हैं शीतल कौशिक ? : शीतल कौशिक ने बताया कि वह बांस की फ्लावर उसकी डंडी, पत्तियां और कई तरह के बास्केट तैयार करती हैं. वह देहात ज्वेलरी भी तैयार करती हैं. जिसे छत्तीसगढ़ की ग्रामीण महिलाएं पसंद करती हैं. वह पहले इस काम को घर में रहकर करती थी. उसका प्रोडक्ट मजबूत और अच्छी क्वॉलिटी का है, यही कारण है कि उसके हाथों के बने सामान को रेलवे स्टेशन आने वाले यात्री पसंद करते हैं. उसके इस काम में लोगों से प्रोत्साहन मिलता है और उसके सामानों को लोग अपने घर ले जाकर सजावट के रूप में रखते हैं. पहले शीतल स्थानीय मेलों में अपने सामानों को बेचती थी.लेकिन अब एक व्यवस्थित जगह मिलने पर उसे सामानों को बेचने में मेहनत नहीं करनी पड़ती.

Last Updated : Oct 6, 2023, 12:35 PM IST
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