बिलासपुर: किसी की प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होता. बस प्रतिभा को पेश करने लिए सच्ची लगन और मेहनत होनी चाहिए. ऐसा ही कुछ कारनामा कर दिखाया है बिलासपुर की जूनियर वैज्ञानिक हिमांगी हालदार (Bilaspur junior scientist Himangi haldhar ) ने. जिनके अविष्कार ने ना सिर्फ छत्तीसगढ़ का बल्कि पूरे देश का नाम गर्व से ऊंचा किया है. हिमांगी के अविष्कार के कारण उन्हें दिल्ली में सम्मानित भी किया जा चुका है.साथ ही उनके इस आविष्कार को फ्रांस में आयोजित होने वाली यूएन ग्लोबल फोरम में भी प्रस्तुत किया जाएगा. ताकि अन्य देशों को भी उनके आविष्कार का फायदा मिल सके.
क्या है हिमांगी का अविष्कार : पावर प्लांट में बिजली पैदा करने के लिए जितने कोयले का इस्तेमाल होता है. उससे भी ज्यादा परेशानी कोयला जलने के बाद पैदा होने वाली राख करती है. अभी तक राख के निपटारे के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई है. देश और दुनिया के वैज्ञानिक और सरकारी संस्थाएं इसके निपटारे के लिए कई तरह की कोशिशें कर रहे हैं. बिलासपुर की छात्रा हिमांगी ने इसी राख से कुछ ऐसा बनाया जो आने वाले दिनों में राख की समस्या से निजात दिला सकता है. हिमांगी ने सैनिटाइजर की डिमांड को देखते हुए राख के गुणों की जानकारी निकालकर राख से सैनिटाइजर तैयार किया है. जूनियर वैज्ञानिक हिमांगी ने बताया कि '' स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था होती है, लेकिन सामान्य तौर पर हाथ अच्छे से धोने के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं होती. जिससे बच्चों कई स्वास्थ्यगत समस्या होती है. इसे देखते हुए सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जो सबसे कम खर्च वाला सामान हो और उसके फायदे अच्छे रहें. पहले हिमांगी ने कुछ और सोचा फिर बाद में उसने सैनिटाइजर बनाने का फैसला किया." हिमांगी राख के गुणों को जानती थी.इसके अलावा राख में और क्या गुण होते हैं इस पर भी उन्होंने जानकारियां इकट्ठी की और रिसर्च किया. इसके बाद राख से सैनिटाइजर तैयार करने का निर्णय लिया और फिर इस काम में लग (Himangi haldhar made sanitizer from ashes) गई.
कैसे बनाया राख से सैनिटाइजर : हिमांगी हालदार ने बताया कि '' राख से सैनिटाइजर बनाने की प्रक्रिया काफी आसान है. सबसे पहले लकड़ी के डिब्बे 3 फीट की ऊंचाई की लेनी होगी. इसके बाद लकड़ी के डिब्बे पर एक तरफ दरवाजा लगा दे. उसके टॉप में एक छेद कर दें. छेद के ठीक नीचे दो बड़े बड़े बकेट रखे. बकेट में सबसे नीचे रेत फिर उसके ऊपर पैरा और सबसे ऊपर राख होनी चाहिए. इसके बाद डिब्बे के ऊपर छेद में चाड़ी नुमा डिब्बा रखें. जिससे पानी राख में जमा हो. ऊपर पानी डालने के बाद पानी की सभी गंदगी और दुर्गुण को खत्म कर राख उसे नीचे के लेयर पैरा में उतार देता है. इसके बाद राख के कणों को पैरा रोक लेता है. लेकिन उसकी महीन कणों को सबसे नीचे रखे रेत रोकता है. इसके बाद सैनिटाइजर रूपी पानी बाहर निकलता है. इस प्रक्रिया में पानी डालने से लेकर सैनिटाइजर बाहर निकलने तक लगभग 2 घंटे लगते हैं.लेकिन इस सैनिटाइजर से हाथ साफ करने से हाथ की गंदगी और कीटाणु खत्म हो जाते (sanitizer from ashes) हैं.''
कौन हैं हिमांगी हालदार : हिमांगी शहर के भारत माता स्कूल की 11वीं क्लास की छात्रा हैं. उसके नाम कई और ख़िताब हैं. उसके पिता पानु हालदार भारत माता स्कूल में शिक्षक हैं और वे हिमांगी के गुरु भी है. हिमांगी के इस प्रोजेक्ट को लेकर वे काफी उम्मीद रखें हैं. हिमांगी के पिता पानु हालदार ने बताया कि ''अब वह फरवरी 2023 में फ्रांस में आयोजित यूएन ग्लोबल फोरम में अपनी प्रस्तुति देंगी. छत्तीसगढ़ और देश के लिए यह गौरव का क्षण होगा. उनकी बेटी हिमांगी शुरू से ही साइंस के प्रति रुझान रखती है और लगातार वो कुछ न कुछ करती रहती है. इससे पहले भी हिमांगी स्कूल स्तर पर कई अवॉर्ड जीत चुकी है. वे साइंस एक्जीबिशन में अपने कई अविष्कार के माध्यम से जिले में जूनियर वैज्ञानिक के नाम से जानी जाती है.''