बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सेवा से बर्खास्तगी के मामले में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को खारिज किया है. डबल बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नियमित सेवा शासकीय सेवक की लंबी अवधि का अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के बाद भी उसे विभागीय जांच के बिना सेवा से बर्खास्त करना अनुचित है. पूरा मामला मत्स्य विभाग में सहायक ग्रेड 3 के पद पर कार्य करने वाले कृष्ण कुमार कोसरिया से जुड़ा हुआ है, जिन्हें नौकरी के दौरान अनुपस्थित होने पर बर्खास्त किया गया था.
क्या थी याचिका : याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार कोसरिया मत्स्य विभाग में कार्यरत थे. वह अपने नौकरी के दौरान अलग-अलग समय पर लगभग 8 साल तक बिना किसी जानकारी के नौकरी से अनुपस्थित रहे. उन्हें नोटिस दिया गया था, जिसके बाद कोसरिया ने अपना मेडिकल प्रमाण पत्र पेश किया. जिसे विभाग में नामंजूर करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. इस मामले को लेकर कृष्ण कुमार कोसरिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस मामले में शासन के फैसले को सही मानते हुए याचिका खारिज कर दी थी, जिसे लेकर कर्मचारी ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की.
डबल बेंच ने सिंगल बेंच का फैसला पलटा : याचिका दायर करने के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को खारिज कर दिया. डबल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई बिना जानकारी दिए गायब होता है तो मामले में विभागीय जांच होनी चाहिए. विभागीय जांच नहीं होने पर कोर्ट ने शासन के फैसले को निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा था कि कार्यनिष्ठा के प्रति याचिकाकर्ता की लापरवाही सामने नजर आ रही है. याचिकाकर्ता आदतन नौकरी से अनुपस्थित रहा है,जो मेडिकल प्रमाण पत्र जमा किया है वह भी वास्तविक नहीं है. कर्मचारी पिछले 14 सालों में केवल 7 महीने ही काम किया है, जिससे उसके कार्य के प्रति निष्ठा और गंभीरता नजर नहीं आ रही है. लापरवाही साफ दिख रही है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है.''
क्या है हाईकोर्ट की डबल बेंच का फैसला : याचिकाकर्ता के मामले में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को उलट दिया. कोर्ट ने कहा कि ''याचिकाकर्ता नियमित सरकारी कर्मचारी था. भले ही वह 5 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नौकरी से अनुपस्थित रहा, लेकिन उसने इसका स्पष्टीकरण दिया. यदि उसका स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं था. तो उसके खिलाफ विभागीय जांच करना था, लेकिन बिना विभागीय जांच किए उन्हें बर्खास्त कर दिया. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस संजय के अग्रवाल ने डिविजन बेंच के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर लिया है, और बहाली के लिए हकदार नहीं होगा, लेकिन वह मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में बैक वेज को छोड़कर परिणामी लाभों का हकदार होगा.