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झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर HC ने फैसला रखा सुरक्षित

झीरम आयोग के फैसले को हाईकोर्ट ने सुरक्षित रख लिया है.

bilaspur High court reserved the decision of Jheeram Commission
झीरम आयोग के फैसले को हाईकोर्ट ने रखा सुरक्षित
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Published : Dec 2, 2019, 11:15 PM IST

बिलासपुर: झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शासन की यचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य शासन के पांच गवाहों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. इस मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.

बता दें कि झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता, पुलिस जवान के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी. आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई. इस दिन शासन की तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई. इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे निरस्त कर दिया गया.

पढ़ें : अंतागढ़ टेपकांड: आरोपी मंतूराम पवार को SIT का नोटिस, वॉइस सैंपल देने के लिए बुलाया गया

साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया था. राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की है.

बिलासपुर: झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शासन की यचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य शासन के पांच गवाहों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया गया था. इस मामले में शासन की ओर से एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी.

बता दें कि झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता, पुलिस जवान के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था. मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी. आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई. इस दिन शासन की तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई. इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे निरस्त कर दिया गया.

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साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया था. राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की है.

Intro:झीरम आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली राज्य सरकार याचिका पर उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।शासन की यचिका में आयोग के उस आदेश को चुनौती दी गई थी , जिसमें राज्य शासन के पांच गवाहों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया था। साथ ही मामले में शासन की ओर से आज एक और आवेदन पेश कर झीरम आयोग के आने वाले फैसले पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी।Body:बतादें की झीरम घाटी हमले में मारे गए कांग्रेसी नेता, पुलिस जवान के मामले में राज्य शासन ने न्यायिक आयोग का गठन किया था। मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल की अध्यक्षता में चल रही थी। आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई। इस दिन शासन के तरफ से पी. सुंदरराज की गवाही हुई। इसके बाद आयोग ने राज्य शासन के तरफ से आए आवेदन जिसमें कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तुलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया था को निरस्त कर दिया। साथ ही राज्य शासन के तरफ से गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन को भी निरस्त कर दिया था।Conclusion:राज्य शासन की तरफ से आयोग के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी जिस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की।
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